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Sonbhadra: यूपी में एक ऐसा पुल जिसके वर्षों से खड़े हैं पाए, नहीं हो पाई ढलाई, कीचड़ में तब्दील हो गए रास्ते

Sonbhadra: पुल और रास्तों के निर्माण के बारे में न ही किसी विभाग के अधिकारी ने सुध ली, न ही नदी में खड़े पुल के पायों और कीचड़ और धूल से सनी रहने वाली सड़क पर किसी जन प्रतिनिधि की ही नजर पड़ पाई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 29 Sept 2024 2:10 PM IST
Sonbhadra News
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Sonbhadra News (Photo: Newstrack)

Sonbhadra News: यूपी सरकार जहां एक तरफ हर गांव और मजरे को पक्की सड़क से जोड़ने और सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाए रखने की कवायद में जुटी हुई है। वहीं यूपी के आखिरी छोर पर स्थित सोनभद्र में अभी भी ऐसी परिस्थितियां हैं जो सरकारी कवायदों को ही नहीं, विकास के मामले में 112 में स्थान पर रहे सोनभद्र को तीसरे स्थान पर पहुंचने के दावे को भी मुंह चिढ़ाने वाली हैं। ताजा मामला घोरावल ब्लाक के मुड़िलाडीह और धोवां गांव के बीच स्थापित बेलन नदी पर निर्मित होने वाले पुल और उससे जुड़े लगभग एक किमी रास्ते से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2013 में इस रास्ते पर पक्की सड़क और पुल निर्माण की मिली मंजूरी 11 साल बाद भी महज नदी में खड़े होने वाले पुल के पायों तक पहुंच पाई है।

विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहे पुल के पाए, कीचड़ में तब्दील पड़ी है सड़क

ग्रामीणों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड की तरफ से स्वीकृत कार्य के एवज में डेढ़ से दो करोड़ रुपये का भुगतान भी हो चुका है लेकिन निर्माण के नाम पर बेलन नदी में दिखने वाले चंद पायों के अलावा शेष चीजें जस का तस पड़ी हुई हैं। ग्रामीणों की मानें तो वर्ष 2013 के बाद पुल निर्माण का कार्य तो शुरू हुआ लेकिन वर्ष 2018 आते-आते वह भी महज पायों के निर्माण पर आकर रूक गया। इसके बाद से इस पुल और रास्तों के निर्माण के बारे में न ही किसी विभाग के अधिकारी ने सुध ली, न ही नदी में खड़े पुल के पायों और कीचड़ और धूल से सनी रहने वाली सड़क पर किसी जन प्रतिनिधि की ही नजर पड़ पाई।



वर्ष 2017 से बीजेपी की बादशाहत फिर भी हालत बदतर

बकौल ग्रामीण, वर्ष 2013 में जिस वक्त कार्य की मंजूरी बताई जा रही है, उस समय यूपी में सपा की सरकार थी और घोरावल से सपा के रमेश चंद्र दुबे विधायक थे। वर्ष 2017 और वर्ष 2022 में यहां से भाजपा के अनिल मौर्य विधायक निर्वाचित हुए। प्रदेश में भी दोनों बार भाजपा की सरकार विराजमान हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार अफसरों को सभी गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने, अधूरे निर्माण को शीघ्र पूर्ण करने और सड़कों को गड्ढा मुक्त रखने के निर्देश देते रहे। मुख्य सचिव स्तर से भी निर्देश जारी होने की प्रक्रिया बनी रही। बावजूद बेलन नदी पर खड़े पाए कब पुल की शक्ल अख्तियार करेंगे और कब स्कूल के दोनों छोर पर मौजूद कच्ची सड़क पक्की सड़क में तब्दील हो पाएगी? फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।


सड़क पुल का हो जाता निर्माण तो घट जाती 10 किलोमीटर तक की दूरी

ग्रामीणों की बातों पर यकीन करें तो घोरावल ब्लाक के मुड़िलाडीह और धोवां गांव के बीच स्थित बेलन नदी पर पुल निर्माण के साथ ही दोनों छोर पर लगभग 500-500 मीटर सड़क का निर्माण करा दिया गया होता तो मुड़िलाडीह से धोवां होते हुए राजगढ़ के लिए जाने वाली दूरी कम से कम 10 किलोमीटर कम हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल और रास्ते के न बन पाने की वजह से संबंधित अंचल के रहवासियों को खनदेउर , शाहगंज के रास्ते राजगढ़ जाना पड़ता है। कुछ यहीं स्थिति राजगढ़ की तरफ से घोरावल क्षेत्र के लिए आने वाले लोगों के लिए भी है।



एक्सईएन से नहीं मिल पाया सवालों का जवाब

घोरावल तहसील क्षेत्र के मुड़िलाडीह और धोवां गांव के बीच बेलन नदी पर निर्मित हो रहा पुल लंबे समय से महज पाए की शक्ल में खड़ा है। उसके दोनों छोर को मिलाकर लगभग एक किमी की सड़क भी कीचड़ में तब्दील पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2013 में सड़क और पुल का निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ था। ग्रामीणों का आरोप कि इस कार्य में लगभग डेढ़ से 2 करोड रुपए की निकासी भी हो चुकी है बावजूद सड़क जहां वैसे ही कच्ची हालत में पड़ी हुई है वही पुल का पाया खड़ा करके छोड़ दिया गया है..। इसका कारण और विभाग की तरफ से इसकी वास्तविक वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी के लिए प्रांतीय खंड के एक्सईएन शैलेश कुमार ठाकुर से फोन और मैसेज दोनों के जरिए संपर्क किया गया लेकिन किसी भी सवाल का जवाब नहीं मिला।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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