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Sonbhadra News: महाकुंभ पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं को सरकार की देन कहना सनातन का अपमान, 144 वर्ष के दावे को मिथिलेशनंदिनीशरण ने ठहराया गलत, कहाः प्रत्येक तिथि-प्रत्येक समय विलक्षण

Sonbhadra News: मिथिलेश नंदिनी शरण बोले 144 वर्ष बाद महाकुंभ पड़ने के दावे को भी गलत ठहराया। कहा कि किसी शास्त्र में ऐसी कोई युति नहीं है जिससे 144 वर्ष के दावे की पुष्टि की जा सके।

Kaushlendra Pandey
Published on: 4 March 2025 6:22 PM IST
Sonbhadra News
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Sonbhadra News (Image From Social Media)

Sonbhadra News: सोनभद्र आए हनुमत पीठ अयोध्या के महंत मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने ग्राम्य संस्कृति के साथ ही महाकुंभ और उससे जुड़ी सनातन परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि महाकुंभ पर्व है और प्रयागराज तीर्थ। इन दोनों का संगम यहां महाकुंभ के बड़े मेले की रचना करता है। इस महाकुंभ में आए 60-70 करोड़ श्रद्धालुओं को सरकार की देन कहना भारत का, लोकतंत्र का और सनातन का अपमान है। उन्होंने 144 वर्ष बाद महाकुंभ पड़ने के दावे को भी गलत ठहराया। कहा कि किसी शास्त्र में ऐसी कोई युति नहीं है जिससे 144 वर्ष के दावे की पुष्टि की जा सके।

मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने कहा कि महाकुंभ की महिमा में 144 साल बाद महाकुंभ नहीं बल्कि महाकुंभ में ऐसे कुछ संयोग बन रहे हैं जो 144 वर्ष बाद पड रहे हैं यह कहा जा सकता है। कहा कि कहीं किसी शास्त्र में कोई 144 साल की युति नहीं है। हर दिन, हर समय अनूठा है। हम जिस समय में बात कर हैं यह समय भी न कभी न पहले आया, न आएगा। कहा कि प्रत्येक दिन विलक्षण है। कहा कि भारतीय सनातन धर्म में जो अवधारणा हैं वह अकाट्य तर्कों पर आधारित हैं। उनमें कल्पित युक्तियां लगाएंगे तो सवाल उठेंगे। कहा कि महाकुंभ प्रत्येक 12 वर्ष पर आता है। संयोग असाधारण हो सकते हैं लेकिन 144 वर्ष की युति कहना सही नहीं है।

- बनावटी साधु-संतों को सनातनियों ने नहीं किया अंगीकार

- महाकुंभ में आईटियन बाबा सहित नए साधु-संतों, साध्वियों के सुर्खियों में छाने पर कहा कि कहा कि ऐसे बाबा मीडिया की उपज हैं। मीडिया के द्वारा बनाई गई महानता को भारत के श्रद्धालु समाज ने चौंक कर देखा जरूर लेकिन कभी अंगीकार नहीं किया। कहा कि महाकुंभ में आई सनातनी भीड़ ऐसे बाबाओं के पास कभी नहीं कई। वह हमेशा पारंपरिक संतों से जुड़ी रही।

- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की टिप्पणी पर किया तीखा कटाक्ष

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से व्यवस्था-सरकार पर की गई टिप्पणी और उसकी प्रतिक्रिया में उनके शंकराचार्य की पदवी पर उठाए गए सवाल पर कहा कि

संगम पर जाएं तो संगम स्नान पर ध्यान दें। यह हमेशा ध्यान रखें कि धूल उड़ाएंगे तो आप पर भी पड़ेगी। इसलिए धूल उड़ाने यानी किसी तरह की प्रतिक्रियात्मक टिप्पणी करने से बचें।

- महाकुंभ सरकारी है, कहना असंगत..

उन्होंने कहा कि महाकुंभ सरकारी है यह कहना असंगत है। कोई भी सरकार महाकुंभ जैसा कोई आयोजन नहीं कर पाई।महाकुंभ में आए 60-70 करोड़ सरकार के चलाए लोग हैं यह कहना है भारत का लोकतंत्र का का अपमान है। कहा कि चुनाव में एक-एक सीट निकालने में जिन सरकारों को पसीनें छूट जाते हैं, वह

60 से 70 करोड़ श्रद्धालुओं को महाकुंभ लाए, यह कहना भारतीय सनातन धर्म का अपमान है। कहा कि जाहं तक सरकार के सहयोग की बात है तो किसी भी आयोजन में सरकार का सहयोग होता है। वहां की व्यवस्था, सुरक्षा से जुड़े जरूरी इंतजाम सरकार की जिम्मेदारी होती है।

- हादसे के लिए वीआईपी कल्चर को नहीं ठहरा सकते दोषी

महंत मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने कहा कि महाकुंभ में हुआ हादसा दुखद है लेकिन इसके लिए वीआईपी कल्चर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। ऐसा वह लोग कह रहे हैं जो सरकार की आलोचना करने के लिए नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं। कहा कि वीआईपी कल्चर को दोषी ठहराना अपराध है। कुंठा का द्योतक है। कहा कि व्यवस्थाएं चौकस रखनी पड़ती हैं फिर भी कई बार चूक हो जाती है। जहां श्रद्धा का अपार ज्वार हो वहां किसने किसको धक्का दिया, किसने किसको कुचला, यह नहीं बताया जा सकता। सिर्फ यहीं कहा जा सकता है कि घटना दुखद है। इसे सियासत, प्रतिहिंसात्मक रूप देना गलत है।

- उदारता से नहीं बना राममंदिर, बनवाना पड़ा

स्थानापना के 36 साल व्यतीत होने के बाद भी, बुनियादी सुविधाओं को लेकर जूझ रहे सोनभद्र पर कहा कि हक पाना है तो आवाज उठानी पड़ेगी। रामजन्मभूमि मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि रामजन्मभूमि मंदिर सरकार की उदारता से नहीं बना बल्कि इसके लिए सनातनी समाज ने सरकार को बाध्य किया। सरकार के पास भी मंदिर निर्माण का कोई विकल्प नहीं था इसलिए मंदिर बनवाना पड़ा। इसी तरह सोनभद्र के लोगों को भी अपने हक, अपने प्राप्तव्य के लिए सरकार को बाध्य करना पड़ेगा।

Ramkrishna Vajpei

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