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Sonbhadra News: वायु प्रदूषण से स्थिति खराब, 42 प्रतिशत घटी फेफड़ों की क्षमता

Sonbhadra News: केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने माना है कि इलाके में वायु प्रदूषित है। सालाना रिपोर्ट में मानक से तिगुनी एक्यूआई का उल्लेख किया गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 23 May 2024 12:26 PM GMT
Sonbhadra News
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प्रदूषित हवा। (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: देश के सर्वाधिक तीसरे प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर चल रही कवायदों के बीच, एक बार फिर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बात को स्वीकार किया है कि सोनभद्र में प्रदूषण की स्थिति खराब है। सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी की तरफ से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दाखिल याचिका के क्रम में प्रस्तुत की गई सालाना रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि अनपरा और रेणुसागर में पाया गया वायु गुणवत्ता सूचकांक निर्धारित मानक से लगभग ढाई से तीन गुना ज्यादा है।

चार वर्ष बाद भी नहीं सुधरी हालत

प्रदूषण की यह स्तिथी तब है जब केंद्रीय सरकार की तरफ से देश के चुनिंदा शहरों के साथ सोनभद्र के अनपरा को क्लीन एनर्जी प्रोग्राम के तहत चयनित किया गया है। वर्ष 2020 में शुरू किए गए क्लीयर एयर प्रोग्राम के चार वर्ष बीत चुके हैं, बावजूद हालात अभी भी खराब बने हुए हैं। हालांकि दूसरी तरफ रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए हैं, जिसमें अनपरा से महज 16 किमी की दूरी पर स्थित शक्तिनगर और अनपरा से सटे रिहंद डैम के दूसरे छोर पर स्थित रिहंदनगर तथा ओबरा में वायु प्रदूषण की वार्षिक रिपोर्ट संतोषजनक बताई गई है।

इन मसलों पर दाखिल की गई याचिका

वर्ष 2014 में जगतनारायण विश्वकर्मा और अश्वनी कुमार दूबे की ओर से सोनभद्र तथा सिंगरौली के हालात को लेकर एनजीटी में याचिका दाखिल की गई थी। वहां से गठित कोर कमेटी ने दोनों जिलों की स्थिति काफी खराब बताई थी और प्रदूषण नियंत्रण के साथ ही प्रभावितों को राहत देने के लिए कई उपाय सुझाव दिए। इसको लेकर गत मार्च माह में याचिका दाखिल करने वाले सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति मोर्चा की ओर से एनजीटी को बताया गया कि अभी भी सोनभद्र-सिंगरौली क्षेत्र में फ्लोरोसिस का व्यापक प्रसार है। सीसा और पारा की विषाक्तता के अलावा मरकरी की खतरनाक मौजूदगी बनी हुई है।


हवा में घुले जहरीले पदार्थ

एनजीटी से याचना की गई है कि स्थिति को देखते हुए क्षेत्र की वहन क्षमता का आकलन किया जाए। मौजूदा औद्योगीकरण/विस्तार को रोकते हुए, प्रदूषण से पीड़ितों को हुए नुकसान का मुआवजा दिलाया जाए। इसके साथ पर्यावरण की बहाली को लेकर योजना बनाकर कार्य हो। दावा किया गया है कि यहां के वायुमंडल में कई भारी धातुएँ जैसे पारा, क्रोमियम, सीसा, आर्सेनिक की बड़ी मात्रा थर्मल पावर प्लांट और कोयले के लिए घुल रही है। साल में कम से कम 95 दिन काफी खराब व्यतीत हो रहे हैं।

42 प्रतिशत तक घट गई है फेफड़ों की क्षमता

दावा किया गया है कि इसके चलते प्रदूषण प्रभावित इलाके के बाशिंदों के फेफड़ों की क्षमता 42 प्रतिशत तक घट गई है। मसूड़ों पर नीली रेखाओं के साथ ही, गर्भपात की उच्च दर देखी जा रही है। एनजीटी की ओर से वर्ष 2017 में सोनभद्र में फ्लोरोसिस की टेस्टिंग और मरकरी के विस्तृत अध्ययन के लिए लैब स्थापित करने का निर्देश दिया गया था उस पर भी अमल नहीं हुआ। इस पर एनजीटी की प्रधान पीठ ने संबंधित क्षेत्र में प्रदूषण की सीमा और स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव, स्थानीय निवासियों और लगाए गए आरोपों की सत्यता, वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। इसके क्रम में अभी जो प्राथमिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया गया है कि अनपरा में पीएम 10 के रूप में वायु गुणवत्ता सूचकांक का सालाना स्तर 166.75 और अनपरा से सटे रेणुसागर में इसका स्तर 159.67 पाया गया है।

क्षेत्रीय अधिकारी ने स्थिति पर काटी कन्नी

सोनभद्र में प्रदूषण की स्थिति और नियंत्रण को लेकर किए जा रहे उपाय के बारे में जानकारी के लिए प्रभारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण उमेश कुमार गुप्ता से संपर्क साधा गया लेकिन उन्होंने इस मसले से ही कन्नी काट ली।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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