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Sonbhadra News: सोनभद्र के दो गांवों के बाशिंदो को मिला जमीनों का मालिकाना हक, यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला

Sonbhadra News: सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में बरदिया एवं सेंदुरिया) की भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 से आच्छादित वनभूमि की, अधिनियम की धारा-20 के अन्तर्गत विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत किए जाने से संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 10 Nov 2023 4:12 AM GMT (Updated on: 10 Nov 2023 4:16 AM GMT)
Sonbhadra News
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सीएम योगी आदित्यनाथ (सोशल मीडिया)

Sonbhadra News: दीपावली पर्व के अवसर पर राज्य सरकार की तरफ से सोनभद्र के दो गांवों को बड़ी सौगात मिली है। ओबरा तहसील क्षेत्र के बर्दिया और सिंदुरिया गांव के बाशिंदो को, बंदोबस्ती प्रक्रिया के तहत उनके पक्ष में निर्णीत वनभूमि पर, विधिक रूप से मालिकाना हक मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। दोनों गांवों में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 4 से आच्छादित भूमि की, अधिनियम की धारा 20 के तहत अधिसूचना जारी करने के प्रस्ताव पर गुरुवार को अयोध्या में हुई यूपी कैबिनेट की बैठक में अंतिम मुहर लगा दी गई।

प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में मिली मंजूरी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में बरदिया एवं सेंदुरिया) की भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-4 से आच्छादित वनभूमि की, अधिनियम की धारा-20 के अन्तर्गत विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत किए जाने से संबंधित प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया। लंबे समय से यह प्रस्ताव अटका हुआ था। इसको लेकर दोनों गांव के लोगों को विधिक रूप से कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था। इसको देखते हुए जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह के निर्देशन में गठित कमेटी ने धारा 4 की जमीनों को धारा 20 के रूप में प्रख्यापित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा हुआ था जिसे बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। अब यूपी कैबिनेट के इस निर्णय से जहां बंदोबस्ती प्रक्रिया से मिली जमीनों पर आधिकारिक रूप से मालिकाना हक मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। वह इन जमीनों के जरिए मिलने वाले लाभ भी ग्रामीणों को आसानी से प्राप्त हो सकेंगे।

इस तरह से अपनाई जाती है वन भूमि के बंदोबस्त की प्रक्रिया

भारतीय वन अधिनियम 1927 के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार किसी भी भूमि को, जो भारतीय वन अधिनियम की धारा-3 के अतंर्गत आती हो तथा जिस पर राज्य सरकार को मालिकाना हक प्राप्त हो, को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-4 के अंतर्गत आरक्षित वन (रिजर्व्ड फाॅरेस्ट) बनाए जाने के लिए प्रस्तावित कर सकती है। भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा-20 के अनुसार धारा-4 से 17 तक की कार्रवाई होने के उपरांत दावों का निर्धारण करते हुए राज्य सरकार सीमाओं को

निश्चित रूप से विनिर्दिष्ट करने वाली और अधिसूचना द्वारा नियत तिथि से उसे आरक्षित वन घोषित करने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर आरक्षित वन की घोषणा करती है।

बनवासी सेवा आश्रम की याचिका पर वर्षों से वनभूमि पर आबाद लोगों के लिए आया था 'सुप्रीम' आदेश:

वर्ष 1982 में वनवासी सेवा आश्रम द्वारा उच्चतम न्यायालय में दुद्धी/राबर्टसगंज (नवसृजित ओबरा तहसील की एरिया शामिल) तहसील में वर्षों से रह रहे आदिवासियों एवं मूल निवासियों को अधिकार दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी थी। 20 नवंबर 1986 और 18 जुलाई 1994 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसी जमीनों को लेकर सर्वे सेटेलमेंट की कार्रवाई का आदेश निर्गत किया गया था। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इसी कड़ी में बरदिया और सिंदुरिया गांव को लेकर धारा-20 की विज्ञप्ति/अधिसूचना निर्गत करने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है। अधिसूचना जारी होते ही दोनों गांव के निवासियों, जिनके पक्ष में वाद निर्णीत हुए हैं, उनके पक्ष में बन्दोबस्ती की प्रक्रिया में निर्णीत भूमि पर विधिक रूप से भूमिधरी के अधिकार प्राप्त हो सकेंगे। इसके अतिरिक्त, सामुदायिक प्रयोजन के लिए भी भूमि प्राप्त हो सकेगी जिससे क्षेत्रीय जनता को लाभ मिलेगा।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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