TRENDING TAGS :
Sonbhadra News: सोनभद्र सहित यूपी के 17 जिलों में नहीं है कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी, सीपीसीबी की रिपोर्ट में खुलासा
Sonbhadra News Today: सीपीसीबी की तरफ से बायो मेडिकल कचरा प्रबंधन और किस जिले-प्रदेश को वर्तमान में कितनी उपचार क्षमता की आवश्यकता है, इसको लेकर विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित किए जाने की जानकारी दी गई है
Sonbhadra News: बायोमेडिकल कचरे के सुरक्षित निस्तारण के मामले में अभी सोनभद्र, यूपी के अन्य जनपदों से काफी पीछे है। सीपीसीबी की तरफ से पिछले दिनों एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सोनभद्र सहित 17 जिले कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी से अब तक अछूते हैं। इसको देखते हुए जहां एनजीटी की तरफ से, जरूरी पहल और बायो मेडिकल कचरे के प्रबंधन को लेकर किए जा रहे प्रयासों की प्रगति के सााथ सीपीसीबी को दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए 14 अप्रैल 2024 तिथि नियत की गई है। वहीं, सीपीसीबी की तरफ से बायो मेडिकल कचरा प्रबंधन और किस जिले-प्रदेश को वर्तमान में कितनी उपचार क्षमता की आवश्यकता है, इसको लेकर विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित किए जाने की जानकारी दी गई है।
2021 में ही बायो मेडिकल कचरे के सुरक्षित निबटान के दिए गए थे निर्देश
बताते चलें कि यूपी से दाखिल हुई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए वर्ष 2021 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिर्फ यूपी ही नहीं, पूरे देश में बायो मेडिकल कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के निर्देश दिए गए थे। प्रभावी अमल न होता देख, याचिकाकर्ता की तरफ से, इस तरफ एनजीटी का ध्यान आकर्षित कराया गया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी की तरफ से सीपीसीबी से अब तक की प्रगति और वर्तमान स्थिति के बाबत पूरी रिपोर्ट तलब कर ली गई।
उत्पादन और उपचार में अंतर न रहने पाए, दिए गए हैं निर्देश
एनजीटी की तरफ से दिए गए निर्देश क्रम में दाखिल की गई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा है कि दिसंबर, 2016 में कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंटफैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए थे। इसमें निर्धारित मानकों के अनुपालन के लिए सीबीडब्ल्यूटीएफ व्यवस्था के तहत परिचालन मापदंडों को रेखांकित किया गया था। निर्देश दिया कचरे के उत्पादन और उपचार में कोई अंतर न रहने पाए। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपचार क्षमता की वर्तमान आवश्यकता की समीक्षा करने के लिए, सीपीसीबी ने एक विशेषज्ञ समिति भी गठित किए जाने की जानकारी दी है, जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान नागपुर, भारतीय चिकित्सा संघ, सफदरजंग अस्पताल, वीएमएमसी, सीबीडब्ल्यूटीएफ एसोसिएशन ऑफ इंडिया और एसपीसीबी के सदस्य शामिल किए गए हैं। साथ ही कचरा उत्पादन और निस्तारण के बीच का अंतर विश्लेषण करने के लिए एक कार्यप्रणाली तैयार किए जाने की भी जानकारी दी गई है।
कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंटफैसिलिटी
सीबीसीपी की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में यूपी को लेकर जो जानकारी दी गई है उसमें बताया गया है कि यूपी के 75 जिलों में से महज 58 जिलों में ही कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) की सुविधा उपलब्ध है। शेष 17 जिले (सोनभद्र, अंबेडकरनगर, अमेठी, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बांदा, बदायूं, चित्रकूट, कासगंज, लखीमपुर खीरी, महोबा, मऊ, रायबरेली, श्रावस्ती, ललितपुर, सुल्तानपुर) सीबीडब्ल्यूटीएफ सुविधा से आच्छादित नहीं है।
निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश
सीपीसीबी की तरफ से यह निर्देश भी जारी किया गया है कि यूपी में नियमों-निर्देशों के उल्लंघन के कुल 7304 मामले आने और 13047 के खिलाफ एक्शन की रिपोर्ट दी गई है। शेष के खिलाफ तत्काल कार्रवाई शुरू करने बायोमेडिकल कचरे का सही उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। गहरे गड्ढों के माध्यम से निपटाए जा रहे जैव चिकित्सा अपशिष्ट के बारे में जानकारी एकत्रित करने और दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जा रहा है कि नहीं, इसका सत्यापन करने कें भी निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह जहां कैप्टिव उपचार सुविधाएं अभी भी उपयोग की जा रही हैं, वहां भी मानकों के अनुपालन की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। उधर, इस प्रकरण की पिछले दिनों सुनवाई करने वाले एनजीटी के चेयरमैन प्रकाश श्रीवास्तव और एक्सपर्ट मेंबर डा ए सेंथिल ने सीपीसीबी को निर्देशित किया है कि किए जा रहे प्रयासों की प्रगति के साथ आठ सप्ताह के भीतर दूसरा शपथपत्र प्रस्तुत किया जाए।