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Sonbhadra News: सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल, कहीं हाथ तो कहीं पैर की ठोकर लगते ही उखड़ जा रही सड़क
Sonbhadra News: सोनभद्र में सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल जारी है। ताजा मामला बभनी ब्लाक के बड़होर गांव का है। यहां पीडब्यलूडी निर्माण खंड की तरफ से लगभग 35 लाख की लागत से कराए जा रहे चार किमी सड़क के नवीनीकरण के कार्य में गड़बड़ी को लेकर जहां ग्रामीण 10 दिन पूर्व एतराज जता चुके हैं।
Sonbhadra News: सोनभद्र में सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार का खेल जारी है। ताजा मामला बभनी ब्लाक के बड़होर गांव का है। यहां पीडब्यलूडी निर्माण खंड की तरफ से लगभग 35 लाख की लागत से कराए जा रहे चार किमी सड़क के नवीनीकरण के कार्य में गड़बड़ी को लेकर जहां ग्रामीण 10 दिन पूर्व एतराज जता चुके हैं। वहीं, उनकी तरफ से वायरल किए गए वीडियो को लेकर काफी हंगामा भी मच चुका है। अब अफसरों का दावा है कि महज 10 मीटर सड़क खराब थी, जिसे मौके पर एई-जेई को भेजकर दुरूस्त करा दिया गया। इसको लेकर कुछ फोटोग्राफ्स भी, सोशल मीडिया पर डाले गए हैं। वहीं, ग्रामीणों का दावा है कि महज कागज पर ही सड़क दुरूस्त कर दी गई। अब भी यह सडक हाथ लगाते ही उखड़ जा रही है। इसको लेकर वीडियो भी सामने आई है। ऐसे में कौन सच और कौन झूठा... इसको लेकर जहां चर्चाएं जारी हैं। वहीं, सड़क की दूसरी एजेंसी से जांच की मांग उठाई जा रही है।
कुछ यह है पूरा माजरा
बताते चलें कि 10 दिन पूर्व बभनी ब्लाक के बड़होर गांव में लगभग चार किमी सड़क के नवीनीकरण कार्य का वीडियो ग्रामीणों की तरफ से वायरल किया तो हड़कंप मच गया। हाथ लगते ही सडक उखड़ जाने के वीडियो को लेकर कांग्रेस की तरफ से भी सवाल दागे गए। मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो विभाग की तरफ से मौके पर जेई-एई को भेजकर, महज 10 मीटर सड़क खराब होने और उसे दुरूस्त करने का दावा किया गया लेकिन जब इसको लेकर मौके की रियलिटी जांची गई तो पता चला कि ग्रामीणों की तरफ से सड़क की गुणवत्ता अभी भी खराब स्थिति में होने के दावे तो किए ही जा रहे हैं, मौके पर दिखती स्थिति भी, विभागीय दावों पर सवाल उठा रही है।
ग्रामीणों का दावा: नहीं कराई गई कोई सड़क दुरूस्त
रामअजोर, हीरालाल, रामलल्लू, विक्रम बारी, चंद्रशेखर, बलिराम आदि ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की हालत में कोई सुधार नहीं आया है ना ही उनकी जानकारी में पीडब्ल्यूडी विभाग का कोई अफसर सड़क दुरूस्त कराने उनके गांव पहुंच सकता है। उन लोगों ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों से गुहार लगाई थी। सड़क दुरूस्त कराने का भी दावा किया गया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। सड़क बने आठ दिन गुजर गए लेकिन हालत यह है कि हाथ लगाने के बाद सड़क उखड़ ही रही है, सड़क पर पैदल चलते वक्त पैरों के ठोकरों के साथ ही, मवेशियों के आवागमन से भी सड़क की गिट्टियां उखड़ जा रही हैं। ग्रामीणों ने मामले को लेकर धरना-प्रदर्शन की भी चेतावनी दी। उनका कहना था कि 10 साल पूर्व बनी सड़क के नवीनीकरण की प्रक्रिया जरूर अपनाई गई लेकिन ऐसी सड़क बना दी गई जो शायद ही चंद माह तक चल पाए। ग्रामीणों ने ऐसी सडक को फिर से उखड़वाने की भी मांग की। कहा कि ऐसी सड़क बनने का क्या मतलब, जब वह पैरों के ठोकर लगने से ही उखड़ जाए।
अक्टूबर में आए पीडब्ल्यूडी मंत्री ने दी थी कड़ी हिदायतें
अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में रेणुका नदी पर पुल की सौगात देने पहुंचे पीडब्ल्यूडी मंत्री ने जहां सडकों की खराब हालत पर अफसरों को जमकर फटकार लगाई थी वहीं समीक्षा बैठक में इस बात की हिदायत दी थी कि कोई भी सड़क अगर दो साल के भीतर उखड़ती है तो उसके लिए संबंधित की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की जाएगी। दिलचस्प मसला यह है कि पिछले दिनों मंडलायुक्त मिर्जापुर ने भी सोनभद्र में सड़कों के निर्माण की स्थिति पर नाराजगी जताई थी और सोनभद्र को इस मामले में श्रेणी डी का दर्जा देखते हुए, स्थिति में अविलंब सुधार के लिए चेताया भी था। बावजूद अफसर अभी भी, इस तरह के मामलों को मिली शिकायतोें पर आवागमन सुगम बना दिया गया है तो चंद मीटर की ही सड़क खराब थी जिसे दुरूस्त कर दिया गया है...का खेल खेलने में लगे हुए हैं।
ग्रामीणों का दावा गलत, सड़क करा दी गई है दुरूस्त: एक्सईएन
पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के एक्सईएन इं. अनिल कुमार राकेश का दावा है कि बड़होर में वीडियो वायरल होने के पहले ही सड़क दुरूस्त करा दी गई थी। ग्रामीणों की तरफ से दुरूस्ती के दावे के बाद भी, सड़क खराब होने, गिट्टिया उखड़ने के दावे पर कहा कि उनके एई-जेई ने मौके पर जाकर सड़क दुरूस्त कराया था। खराब मिली 10 मीटर सड़क की जगह 20 मीटर सड़क उखड़वाकर दुरूस्त कराई गई थी। इसलिए अब सड़क में कोई शिकायत नहीं रह गई।
किसका दावा सही, किसका गलत, कैसे सामने आए सच?
सवाल उठता है कि अफसर सड़क के गुणवत्तापूर्ण निर्माण और मिली खामियों को दुरूस्त करा दिए जाने का दावा किए जा रहे हैं। वहीं, ग्रामीण अब भी सड़क को खराब बता रहे हैं। मौके पर दिखती स्थिति भी सवाल उठा रही है। ऐसे में किसका दावा सच माना जाए, इसको लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग उठने लगी है।