Sonbhadra News: इंटर कालेज मामले में बड़ा फैसला, विवादित जमीन की स्थिति स्पष्ट होने तक रहेगी यथास्थिति

Sonbhadra News: आदर्श इंटर कालेज से जुड़ी कथित विवादित जमीन को लेकर न्यायालय की तरफ से बड़ा फैसला सामने आया है। मामले में प्रश्नगत जमीन की स्थिति स्पष्ट होने तक, संबंधित जमीन पर यथास्थिति यानी किसी तरह के नए निर्माण/बदलाव पर रोक लगा दी गई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 17 July 2024 3:12 PM GMT
Sonbhadra News
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Sonbhadra News (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: जिला मुख्यालय स्थित आदर्श इंटर कालेज से जुड़ी कथित विवादित जमीन को लेकर न्यायालय की तरफ से बड़ा फैसला सामने आया है। मामले में प्रश्नगत जमीन की स्थिति स्पष्ट होने तक, संबंधित जमीन पर यथास्थिति यानी किसी तरह के नए निर्माण/बदलाव पर रोक लगा दी गई है। निर्णय में कहा गया है कि यथास्थिति का यह आदेश, विवादित भूमि के बावत किसी अतिरिक्त आदेश /वाद के अंतिम निर्णय तक प्रभावी रहेगा।

यह बताया जा रहा मामला

बताते चलें कि मामला जिला मुख्यालय स्थित हाइडिल ग्राउंड के सामने स्थित आदर्श इंटर कालेज से जुड़ी/सटी जमीन से जुड़ा हुआ है। प्रकरण को लेकर वर्ष 2022 में डिग्री निष्पादन/इजरा की कार्रवाई की गई थी। जमीन पर कब्जा पाने वाले पक्षकारों से इजरा के बाद जमीन का बैनामा लेने वालों की तरफ से निर्माण भी शुरू कर दिया गया था। इसी बीच ओमप्रकाश तिवारी आदि की तरफ से एक वाद न्यायालय अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर किया गया।

सुलह-समझौते के आधार पर संपन्न की गई थी इजरा कार्यवाही

सुनवाई के वक्त न्यायालय ने पाया कि डिक्रीदारों की तरफ से इजरा निष्पादन की कार्रवाई के वक्त पक्षकारों के साथ सुलह-समझौता किया गया था। इसी के आधार पर इजरा निष्पादन की कार्यवाही संपन्न कराई गई थी। कोई कार्रवाई शेष न रहने के कारण इजरा वाद की कार्यवाही पूर्ण कर दी गई थी। न्यायालय ने पाया कि संबंधित आराजी बटाजात की भूमि है और उसके संबंध में स्पष्ट नक्शा पत्रावली में दाखिल नहीं है। साथ ही इजरा की कार्यवाही संपन्न होने के बाद वादीगण ने विवादित भूखंड का बैनामा लिया है। विवादित भूखण्ड जिसे अक्षरों के समूह से प्रदर्शित किया गया है के भीतर विद्यालय का भवन और रास्ता अमीन अदालत की ओर से दर्शाया गया है।

यह बातें बनी न्यायालय के निर्णय का आधार

न्यायालय ने माना कि उपरोक्त के आधार पर यह स्पष्ट है कि उक्त भवन विद्यालय भवन और रास्ते के रूप में वर्तमान में इस्तेमाल किया जा रहा है। पत्रावली में वादीगण की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दाखिल किया गया है, जिससे विवादित भूमि (उनके द्वारा क्र की गई भूमि) की सही-वास्तविक स्थिति मौके पर स्पष्ट हो सके। अतः न्यायालय के मत से उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के अवलोकन के उपरांत प्रथम दृष्टया मामला विवादित भूमि को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के पक्ष में पाया जाता है। वादी-प्रतिवादी दोनों पक्षों को आदेशित किया जाता है कि वह विवादित भूमि के बावत किसी अतिरिक्त आदेश /वाद के अन्तिम निर्णय तक यथास्थिति बनाए रखें।

Durgesh Sharma

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