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Sonbhadra News: नाबालिग को अगवा कर दुष्कर्म मामले में दोषी को 10 वर्ष की कैद, नौ वर्ष पूर्व के मामले में आया फैसला
Sonbhadra News: लगभग नौ साल तक चली सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्य, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तरफ से अदालत में प्रस्तुत किए गए तर्क, गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्ध पाया गया।
Sonbhadra News: नौ वर्ष पूर्व नाबालिग को अगवा कर, उसके साथ दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। प्रकरण चोपन थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। इस दौरान अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्ध पाया और दोषी रामसेवक कोल को 10 वर्ष की कैद तथा 30 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा।
यह था पूरा प्रकरण
अभियोजन थाना के मुताबिक चोपन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी नाबालिग जनवरी 2015 में अचानक लापता हो गई थी। इसको लेकर उसके पिता की तरफ से 8 जनवरी 2016 को चोपन थाने में एक तहरीर दी गई। इसके जरिए पुलिस को अवगत कराया कि 27 जनवरी 2015 को दोपहर बाद तीन बजे उसकी साढ़े 14 वर्षीय बेटी को रामसेवक कोल पुत्र रामनरेश कोल निवासी पटवध, थाना चोपन बहला फुसलाकर, अपहरण कर कहीं ले गया है। काफी खोजबीन के बाद भी न तो बेटी के बारे में न ही आरोपी के बारे में कोई जानकारी मिल पा रही है।
पुलिस ने मामले में पर्याप्त साक्ष्य मिलने का किया था दावा
दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन की और विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए कोर्ट में अपहरण, दुष्कर्म (धारा 376, 363, 366 आईपीसी) और पाक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल की। लगभग नौ साल तक चली सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्य, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तरफ से अदालत में प्रस्तुत किए गए तर्क, गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्ध पाया गया।
पीड़िता को प्रदान की जाएगी अर्थदंड की धनराशि
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें तथा पत्रावली में उपलब्ध कराए गए साक्ष्य-तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए दोषी रामसेवक कोल को 10 वर्ष की कैद के साथ 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न दिए जाने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने का आदेश पारित किया गया। वहीं, दोषी द्वारा मामले के विचारण के दौरान जो अवधि जेल में बिताया गया होगा, उसे सजा की अवधि में समाहित किया जाएगा। वहीं अर्थदंड की धनराशि जमा किए जाने के बाद, उसमें से 24 हजार नियमानुसार पीड़िता को प्रदान किए जाएंगे। अभियोजन की तरफ से मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश कुमार अग्रहरी, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह की ओर से की गई।