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Sonbhadra News: दुष्कर्म के मामले में विरोधाभासी बयान पर कोर्ट गंभीर, आरोपी बरी, पीड़िता के खिलाफ प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश
Sonbhadra News: प्रकरण की सुनवाई कर रही अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) (सीएडब्लू) अर्चना रानी की अदालत ने पाया कि पीडिता/वादिनी की तरफ से विरोधाभासी बयान देते हुए तहरीर की अंतर्वस्तु से स्पष्ट इंकार किया गया है।
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Sonbhadra News: दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज कराना भारी पड़ा है। एफआईआर और न्यायालय में दिए गए बयान दोनों में विरोधाभास की स्थिति को देखते हुए जहां आरोपी को बरी कर दिया गया है। वहीं कथित पीड़िता के खिलाफ धारा-383 बीएनएसएस के तहत, पृथक रूप से प्रकीर्ण वाद दर्ज कर सुनवाई का आदेश पारित किया गया है।
मामला पिपरी थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है । 24 अगस्त 2018 को पुलिस को एक युवती की तरफ से तहरीर दी गई। आरोप लगाया गया कि वह एक वर्ष से रंजीत पटेल के घर ट्यूशन पढ़ने जाती थी। वहां उसे वह अक्सर इधर-उधर की बाते कर अपनी तरफ आकर्षित करते थे। बाद में उसे शादी करने का और प्यार से रखने का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने लगे। इसी बीच वह गर्भवती हो गई। जब उसने आरोपी को यह बताया तो वह उसे शादी करने के बहाने औरंगाबाद ले गया और मांग में सिंदूर भर कर हॉस्पीटल में गर्भपात करा दिया और वहां से अकेला छोडकर पिपरी भाग आया।
प्रकरण में पुलिस ने धारा 376,313 भारतीय दण्ड संहिता के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की और चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया।
सुनवाई के दौरान सामने आए विरोधाभासी तथ्य:
प्रकरण की सुनवाई कर रही अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) (सीएडब्लू) अर्चना रानी की अदालत ने पाया कि पीडिता/वादिनी की तरफ से विरोधाभासी बयान देते हुए तहरीर की अंतर्वस्तु से स्पष्ट इंकार किया गया है। पीड़िता ने अपनी मुख्य परीक्षा एवं प्रतिपरीक्षा में अभियोजन कथानक का समर्थन नहीं किया और विरोधाभासी बयान दिया है। उसने अपने बयानों में आरोपी द्वारा उसके साथ बलात्कार करने व गर्भपात कराने के तथ्य से इंकार किया है। दो अन्य साक्षियों के भी बयान विरोधाभासी पाए गए। सामने आए तथ्यों को जिला रखते हुए न्यायालय ने जहां आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया। वहीं कार्यालय को वादिनी मुकदमा/पीड़िता के विरुद्ध धारा 383 बीएनएसएस के तहत पृथक रूप से प्रकीर्ण वाद दर्ज कर कार्यवाही/सुनवाई की प्रक्रिया का आदेश दिया गया है।