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Sonbhadra News: यादों को छोड़.. अंतहीन सफर पर निकल पड़ा ’टीसीडी’ को क्रिकेट का कुंभ बनाने वाला शख्स, ..बुझ गई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट की ज्योति जलाने वाली मशाल, हर किसी की आंखें हुईं नम

Sonbhadra News Today: क्रिकेट को लेकर सजींदा रहने वाले शमीम अंसारी कहते हैं कि बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख्स दुद्धी नगर को वीरान कर गया...

Kaushlendra Pandey
Published on: 8 Jan 2025 5:01 PM IST
Sonbhadra News Today Duddhi Gopal Das Jaiswal Passes Away
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Sonbhadra News Today Duddhi Gopal Das Jaiswal Passes Away

Sonbhadra News in Hindi: सोनभद्र। यूपी के सबसे पिछड़े अंचल का दर्जा रखने वाले आदिवासी बहुल अंचल दुद्धी को क्रिकेट का कुंभ बनाने वाले शख्स गोपाल दास जायसवाल 73 साल की उम्र में मंगलवार की रात अंतहीन सफर पर निकल पड़े। इसके साथ ही, जहां सैकड़ों आंखे नम हो उठीं। इसी के साथ, वर्ष 1987 में दुद्धी तहसील मुख्यालय पर अंतर्राज्यीय क्रिकेट टूर्नामेंट की अखंड ज्योति जलाने वाले भी मशाल भी बुझ गई। टूर्नामेंट का सफर आगे भी जारी रहेगा लेकिन अब शेष रहेंगी तो सिर्फ उनकी यादें.., इसको लेकर बुधवार को जिले के किकेट प्रेमियों के साथ ही, दुद्धी तहसील मुख्यालय के हर बाशिंदें की जुबां पर उनका नाम बना रहा।

80 के दशक में रखी गई थी अंतर्राज्यीय टूर्नामेंट की नींव:

क्रिकेट को लेकर सजींदा रहने वाले शमीम अंसारी कहते हैं कि बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख्स दुद्धी नगर को वीरान कर गया..। बताते चलें कि सादगी पसंद शख्स गोपाल दास जायसवाल ने 80 के दशक में दुद्धी जैसे छोटे से कस्बे में अधिवक्ता बजरंग लाल उपाध्याय, समरजीत सिंह, बी साहब, अच्छू खान, सलीम खान, सुनील जायसवाल, महेंद्र एडवोकेट, अनिल जायसवाल सहित अन्य सहयोगियों और खिलाड़ियों के साथ अंतर्राज्जीय क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरुआत की।


आयोजन के लिए पड़ने वाले खर्च की जरूरत टीन के गोल डब्बे पर दान पात्र लिखकर पूरे नगर में घूम-घूम कर चंदा इकट्ठा करते हुए पूरी की गई। नगर के लोगों और खिलाड़ियों की लगन देख तत्कालीन पीएचसी के प्रभारी डॉ. पीएन सिंह आगे आए और उन्होंने हिण्डाल्को से संपर्क कर भी मदद मुहैया कराई, जिससे आयोजन कमेटी को काफी राहत मिली।

चंद वर्षों के प्रयास ने दिला दी टूर्नामेंट को लोकप्रियता

धीरे-धीरे यह टूर्नामेंट मीडिया की सुर्खियां बनने के साथ ही लोगों की जुबां पर चढ़ता गया और जनपद से मंडल, मंडल से उत्तर प्रदेश, प्रदेश से बिहार, मप्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली तक की टीमों की तरफ से इंट्री दर्ज कराने की होड़ मच गई और इसी के साथ दुद्धी का टीसीडी क्रीड़ांगन एक ऐसा खेल ग्राउंड बन गया, जहां भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, कामरान, मृत्युंजय त्रिपाठी, संजीव मिश्रा, धर्मेंद्र मिश्रा, आंनद भगत, विक्रम राठौर, सनद चटर्जी, अबरार अहमद, दीपक, भारतीय महिला टीम की वर्तमान खिलाड़ी स्नेह राणा जैसे खेल जगत के दिग्गजों ने अपनी मौजूदगी तो दर्ज कराई ही, दर्जनों रणजी खिलाड़ी, वीजी ट्राफी, हेमंत ट्राफी, आईपीएल सहित राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट की उच्चस्तरीय प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिभाग कर चुके खिलाड़ियों ने भी यहां अपने-अपने राज्य की टीमों के जरिए पहुंचकर खेल का हुनर दिखाया।

बाधाएं भी नहीं रोकी गई टूर्नामेंट का रास्ता:

वर्ष 2004 में गोपाल दास जायसवाल काफी अस्वस्थ हो गए। उनकी दिली तमन्ना थी कि टूर्नामेंट किसी भी हाल में बंद न होने पाए। वहीं, उनकी अस्वस्थता आयोजन में आड़े आने लगी। एकबारगी उन्होंने भी हिम्मत छोड़ दी। खिलाड़ियों की दिलचस्पी और टूर्नामेंट के प्रति लोगों की चाहत को देखते हुए उन्होंने, अस्वस्थता के बावजूद, आयोजन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया।


आगे चलकर संतोष जायसवाल, रामपाल जौहरी, मु.शमीम अंसारी, महबूब खान, सलीम खान, रविन्द्र जायसवाल, जबीं खान, सुमित सोनी जैसे कई लोग आयोजन से जुड़ते गए और टूर्नामेंट के कारवां को आगे बढ़ाने का क्रम जारी रहा।

सरल स्वभाव से खिंचे चले आते थे अफसर-राजनीतिज्ञ

लोगों का कहना था कि गोपाल दास का स्वभाव इतना सरल था कि अफसर-राजनीतिज्ञ टूर्नामेंट के उद्घाटन और समापन समारोह में खिंचे चले आते थे। जिले में डीएम के रूप में तैनात रहे चुके प्रमुख सचिव पनधारी यादव हों या फिर मुख्य सचिव पद से रिटायर हो चुके दुर्गाशंकर मिश्र या फिर आईजी रहे कश्मीरा सिंह, जिलाधिकारी रहे दिनेश कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक रहे मोहित अग्रवाल, डॉ प्रीतिंदर सिंह, डीएम रहे विजय विश्वास पंत, टीके सीबू, एसपी रहे शिवशंकर सिंह, डीआईजी रहे डॉ केएस प्रताप कुमार, एसपी रहे रघुवीर लाल, दावा शेरपा, सांसद रामशकल, पकौड़ी लाल कोल, भाई लाल कोल, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरेश पटेल, पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड, विधायक सीएम प्रसाद, रूबी प्रसाद, अविनाश कुशवाहा, रमेश चंद दुबे, हरिराम चेरो, रामदुलारे गोंड़ आदि जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति जैसे यहां के लिए अपरिहार्य हो गई थी।



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