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Sonbhadra News: भाजपा के गढ़ में हार की कौन लेगा जिम्मेदारी, अगड़ों की नाराजगी ने दिए अप्रत्याशित परिणाम
Sonbhadra News: अगड़ों की नाराजगी और भाजपा के शीर्ष नेताओं की जनता से दूरी को हार का बड़ा कारण माना जा रहा है। अंदरखाने इस हार को लेकर मंथन भी शुरू हो गया है।
Sonbhadra News: मोदी मैजिक, राम मंदिर निर्माण और मोदी मैजिक के पहले से राबटर्सगंज संसदीय सीट पर मौजूद रहने वाले भाजपा के बड़े वोट बैंक के बावजूद, जिस तरह अद एस प्रत्याशी रिंकी कोल को हार मिली है, उसने कई सवालों को जन्म दिया है। अंदर खाने जहां इस चुनाव में भाजपा के साथ वर्षों से रहने वाले पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का मामला सामने आ रहा है। वहीं, अगड़ों की नाराजगी और भाजपा के शीर्ष नेताओं की जनता से दूरी को हार का बड़ा कारण माना जा रहा है। अंदरखाने इस हार को लेकर मंथन भी शुरू हो गया है लेकिन इस हार की जिम्मेदार कौन लेगा या किसके सिर तय की जाएगी, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
भाजपा की स्थापना से पूर्व जहां जनसंघ के दीपक का राबटर्सगंज सीट पर बोलबाला रहा। वहीं, भाजपा की स्थापना के बाद, कई बार भाजपा ने इस सीट पर अच्छी-खासी जीत तय की। मोदी मैजिक के साथ वर्ष 2014 से शुरू हुए चुनाव ने भाजपा को सोनभद्र के इतिहास में अब तक की सबसे रिकार्ड जीत दी। वर्ष 2019 में यह सीट अद एस को सौंपी गई। सपा-बसपा गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद, चार प्रतिशत तक बढ़े मतदान प्रतिशत और अगड़ों की ओर से झूमकर पड़े वोटों ने सांसद पकौड़ीलाल को यहां लगभग साढ़े चार लाख वोट दिलाकर 50 हजार वोटों से जीत दिया। उसी समय लगभग एक लाख वोटों की बढ़ोत्तरी के बावजूद महज 50 हजार के लगभग मिली जीत को पार्टी के लिए चेतावनी माना गया लेकिन मोदी-योगी मैजिक के रथ पर सवार भाजपा और अद एस नेताओं के लिए, सिर्फ जीत ही बड़ी मायने रही।
अगड़ों की दी गई गाली से शुरू हो गई हार की पटकथा
रही-सही कसर वर्ष भर पूर्व सजातीय व्यक्ति के यहां आयोजित कार्यक्रम में सांसद पकौड़ीलाल द्वारा अगड़ों को गाली देने, उसके वायरल वीडियो ने, नाराजगी की स्थिति बनानी शुरू कर दी। इसके कुछ दिन बाद एक आडियो भी वायरल हुआ जिसमें सांसद पकौड़ी को अगड़ों के वोट के बगैर जीत का दावा करते सुना गया। छानबे उपचुनाव में मिली जीत को इसका प्रमाण भी माना गया लेकिन जिस तरह राबटर्सगंज संसदीय सीट पर पकौड़ीलाल की विधायक बहू रिंकी कोल को वोट दिया गया, विरोध के स्वर उठने शुरू हो गई।
डैमेज कंट्रोल की खूब हुई कोशिश लेकिन नहीं बन पाई बात
चुनाव का समय अगड़ों की नाराजगी को दूर करने की खासी कोशिश हुई। सांसद पकौड़ीलाल का जहां कुछ मंचों से दूर रखा गया। वहीं, अद एस के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने इस पर खेद जताते हुए, आगे से ऐसा न होने की अपील की। सदर विधायक भूपेश चौबे, एमएलसी विनीत सिंह, अद एस विधिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक चौबे ने लोगों के यहां जाकर, बैठक कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की लेकिन जिस तरह से भाजपा के कई अगड़े पदाधिकारियों से दूरी और नाराजगी दूर करने को लेकर उनसे राय न लिए जाने की बात सामने आई, उसने हार की पटकथा लिख दी। अगड़ों की नाराजगी को देखते हुए बसपा वोटरों ने भी अपनी पार्टी का साथ दिया। परिणाम यह हुआ कि भाजपा की गढ़ रही सीट पर एक बड़े अंतर पर भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार और सपा प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा।