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निदेशक, GM और साइड इंचार्ज पर 83 लाख 69 हजार हजम करने का आरोप, न्यायालय ने दिए FIR के आदेश
Sonbhadra News: ओबरा सी के निर्माण का ठेका लेने वाली कोरियन कंपनी दुसान की सहायक कंपनी इंडवेल के निदेशक, जीएम और साइड इंचार्ज पर रुपये हड़प लिए जाने का आरोप लगा है।
Sonbhadra News: 1320 मेगावाट क्षमता वाली ओबरा सी के निर्माण का ठेका लेने वाली कोरियन कंपनी दुसान की सहायक कंपनी इंडवेल के निदेशक, जीएम और साइड इंचार्ज पर तिरासी लाख उनहत्तर हजार एक सौ सत्रह रुपये हड़प लिए जाने का आरोप लगाया गया है। परियोजना के निर्माण के लिए, दिए गए वर्कआर्डर पर काम करने वाली फर्म की तरफ से दिए गए प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने थानाध्यक्ष ओबरा को मामले में उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया है।
वह प्रकरण, जिसको लेकर कोर्ट ने पारित किया आदेश
केएन इंस्ट्रूमेंट फर्म के प्रोपराइटर काशीनाथ प्रसाद ने अधिवक्ता विकास शाक्य के जरिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर अवगत कराया कि ओबरा सी तापीय परियोजना के उप संविदाकार मेसर्स इंडवेल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के संविदा पर फैब्रिकेशन, इरेक्शन व अन्य कार्य किया है। 30 अप्रैल 2022 से 30 नवंबर 2022 तक किए गए कार्य के एवज में उसका मेसर्स इंडवेल के पास 83,69,117 रुपये बकाया था। संबंधित अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा। स्वयं कंपनी के अधिकारियों ने बकाया की बात भी स्वीकारी लेकिन भुगतान नहीं किया। कार्य समाप्ति के बाद सामान लेकर भागने लगे। तब उसने ओबरा परियोजना के महाप्रबंधक को जानकारी दी। उन्होंने संबंधित कंपनी के सामग्री उठान पर रोक लगा दी। बावजूद बकाया भुगतान नहीं किया गया।
यहां से भी नहीं मिल पाई मदद, तब ली न्यायालय की शरण
प्रकरण को लेकर डीएलसी कार्यालय पिपरी और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से गुहार लगाई गई। अपेक्षित मदद नहीं मिली तब न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर गुहार लगाई गई। न्यायालय में उल्लिखित तथ्यों ओर पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रथमदृष्ट्या संज्ञेय अपराध पारित होना पाया।
इनके-इनके खिलाफ दर्ज किया जाएगा केस
ममले में इंडवेल कंपनी के निदेशक वित्त-प्रशासन केवाई चक्रवर्ती, महाप्रबंधक जी श्री निवास राव निवासी विजयबाड़ा, आंध्रप्रदेश और साइड इंचार्ज बीपी ज्ञानेश्वर पर धनराशि भुगतान न किए जाने का आरोप लगाया गया है। न्यायालय ने मामले में ओबरा थानाध्यक्ष को प्रार्थना पत्र में उल्लिखित तथ्यों के आधार पर मामला दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना का आदेश दिया गया है।