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Sonbhadra News: अपनों से दूर गीत-संगीत के बीच बुजुर्गों की मनी मकर संक्रांति, किसी ने पत्नी तो किसी ने बेटे से दुखी होकर वृद्धाश्रम को बनाया सहारा

Sonbhadra News: किसी ने पत्नी के ताने से तंग आकर तो किसी ने बच्चे-बहू की बेरूखी से उदासीन होकर वृद्धाश्रम को सहारा बनाया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 14 Jan 2025 8:48 PM IST
Sonbhadra News ( Pic- Social- Media)
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Sonbhadra News ( Pic- Social- Media)

Sonbhadra News : मकर संक्रांति को लेकर पूरे जिले में उत्साह की स्थिति रही। दूर-दराज से आए लोग अपने परिवार के साथ पर्व की खुशियां बांटने में जुटे रहे। वहीं, दूसरी तरफ अपनों की बेरुखी के चलते तमाम बुजुर्ग ऐसे भी रहे, जिन्होंने परिवार से दूर रहने का दर्द समेटे, वृद्ध आश्रम में मकर संक्रांति मनाई। किसी ने पत्नी के ताने से तंग आकर तो किसी ने बच्चे-बहू की बेरूखी से उदासीन होकर वृद्धाश्रम को सहारा बनाया। इस दौरान देशज गीत-संगीत के बीच, कुछ बुजुर्गों ने खिले मन से तो कुछ बुजुर्गों के उदास चेहरों के बीच पर्व की खुशियां एक-दूसरे से साझा किया।

प्रत्येक व्यक्ति के मन में तीज-त्योहार परिवार के सदस्यों के साथ मनाने की उमंग होती है। जीवन के चौथेपन में यह ललक कुछ ज्यादा ही देखते बनती है लेकिन इन सारी चीजों से दूर, गरीब, भूमिहीन बुजुर्गों को कौन कहे, नौकरी पेशा और अच्छी-खासी जायदाद रखने वालों को भी, पत्नी-बच्चों से दूर रहकर मकर संक्रांति का पर्व मनाने के लिए विवश होना प़ड़ा। मंगलवार की दोपहर गीत-संगीत के साथ छपका स्थित वृद्धाश्रम में मनाए गए पर्व के दौरान, तमाम बुजुर्गों ने एक दूसरे के साथ पर्व की खुशियां साझा की लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें पत्नी-बच्चों से दूर रहने का गम सालता रहा।

अच्छी-खासी पेंशन के बावजूद, घर पर नहीं मिल रहा था कोई सम्मान

ओबरा तापीय परियोजना से पांच वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए कड़िया-पनारी निवासी बुजर्ग का कहना था कि नौकरी के दौरान उन्होंने पत्नी-बच्चों का पूरा ख्याल रखा। सेवानिवृत्ति के बाद, पेंशन की राशि भी उन्हीं को सुपुर्द की लेकिन जब उन्हें सेवा-सुश्रुषा की जरूरत पड़ी तो बच्चे तो बच्चे ने पत्नी ने भी किनारा कस लिया। मजबूरन उन्हें वृद्धाश्रम का सहारा लेना पड़ा।

पत्नी-बच्चों के लिए बनाई जायदाद, थका शरीर तो दिखा दिया बाहर का रास्ता

दुद्धी तहसील क्षेत्र निवासी एक बुजुर्ग का भी यहीं दर्द था। उसने अपने नौकरी काल के दौरान पत्नी-बच्चों का पूरा ख्याल रखा। पत्नी के नाम छह बीघे जमीन भी खरीदी लेकिन जब उनके सेवा की बारी आई तो बच्चे तो बच्चे, पत्नी ने भी दर बदर भटकने के लिए विवश कर दिया। अब पिछले एक साल से, वृद्धाश्रम ही ठिकाना बना हुआ है।

बच्चे की याद के साथ वृद्धाश्रम बना ठिकाना

जिला मुख्यालय परिक्षेत्र निवासी एक महिला, जिसे जीवन के जिस मोड़ पर परिवार के सदस्यों की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसे उनके हाल पर छोड़ दिया गया। इकलौते लाडले की असमय मौत के बाद गम में डूबी बुजुर्ग, को किसी ने वृद्धाश्रम को रास्ता सुझाया, तब से वह, अपने बच्चे की तस्वीर को कलेजे से लगाए वृृद्धाश्रम को ही ठिकाना बनाए हुए हैं। कुछ इसी तरह की कहानी तमाम बुजुर्गों की है जो मंगलवार को अपनों से दूर रहकर, वृद्धाश्रम स्थित बुजुर्गों के बीच, मकर संक्रांति की खुशियां टटोलने में लगे रहे। वहीं, सोनभद्र इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल मीडिया एसोसिएशन की तरफ से भी कार्यक्रम में मौजूद रहकर बुजुर्गों के साथ पर्वग् की खुशियां साझा की गईं। इस दौरान डॉ. विनोद राय सहित अन्य कई लोगों की मौजूदगी बनी रही।

वृद्धाश्रम आने वाले प्रत्येक बुजुर्ग की कराई जा रही देखभाल: समाज कल्याण अधिकारी

जिला समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर यादव ने कहा कि वृद्धाश्रम आने वाले प्रत्येक बुजुर्ग को देखभाल उपलब्ध कराई जा रही है। त्यौहारों पर उन्हें अपनों से दूर रहने का एहसास न हो, इसके लिए समय-समय पर कार्यक्रम भी आयोजित कराए जाते हैं। वृद्धाश्रम के लिए, स्वयं का भवन उपलब्ध हो सके, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं।



Shalini singh

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