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Sonbhadra News : काली पट्टी बांध विद्युतकर्मी निजीकरण के विरोध में उठाएंगे आवाज, 13 को विरोध सभा कर अभियान की करेंगे शुरूआत

Sonbhadra News: निजीकरण के विरोध में प्रथम चरण में जहां 13 जनवरी को बिजली कर्मियों ने विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन कर्मी काली पट्टी बांधे रखने के साथ ही विरोध सभा करेंगे।

Kaushlendra Pandey
Published on: 10 Jan 2025 6:27 PM IST
Sonbhadra News ( Pic- Social- Media)
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 Sonbhadra News ( Pic- Social- Media)

Sonbhadra News : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में अभियान चलाएगी। प्रथम चरण में जहां 13 जनवरी को बिजली कर्मियों ने विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है। वहीं, इस दिन कर्मी काली पट्टी बांधे रखने के साथ ही विरोध सभा कर निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाएंगे। शुक्रवार को राजधानी लखनऊ स्थित शक्ति भवन और प्रदेश के मंडल मुख्यालयों पर हुई विरोध सभा में यह निर्णय लिया गया। कहा गया कि निजीकरण की अपनाई जा रही प्रक्रिया रद्द/वापस होने तक विभिन्न माध्यमों से आवाज उठाने का क्रम जारी रहेगा। वहीं, अवकाश के दिनों में बिजली कर्मी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के जरिए आम उपभोक्ताओं के बीच जाकर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।

पूर्वांचल- दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से होगी निजीकरण की शुरूआत:

संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले लखनऊ में हुई सभा में पदाधिकारियों की तरफ से दावा किया गया कि बिजली कर्मचारी किसी धोखे में नहीं है। उनके सामने यह बात स्पष्ट है कि एक बार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी घरानों को सौंप दिया गया तो पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था का निजीकरण होनेे में समय नहीं लगेगा। दावा किया कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन और शासन का निर्णय संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है और इवसकी शुरुआत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से की जा रही है। कहा गया हिक 13 जनवरी को सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता पूरे दिन काली पट्टी बांधेंगे और विरोध सभा करते हुए आवाज उठाएंगे। इसी दिन आंदोलन की अगली रणनीति का खुलासा किया जाएगा।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे ने कहा कि बिजली का निजीकरण होने से सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव गरीबी रेखा से नीचे रह रहे आम बिजली उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ेगा। इसको ध्यान में रखते हुए संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया है कि अवकाश के दिनों में ग्राम पंचायतों और शहरों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से आम बिजली उपभोक्ताओं के बीच में जाकर उन्हें निजीकरण से होने वाले गंभीर नुकसान की जानकारी दी जाएगी। दावा किया कि मुंबई-महाराष्ट्र में निजी क्षेत्र में बिजली है और वहां घरेलू उपभोक्ताओं को 17-18 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। संघर्ष समिति की तरफ से दावा किया गया जहां-जहां भी निजीकरण है वहां के बिजली टैरिफ का चार्ट बनाकर घर-घर वितरित करते हुए लोगों को जागरूक किया जाएगा।



Shalini singh

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