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Sonbhadra News: हाईकोर्ट पहुंचा दुष्कर्म का चर्चित मामला, आरोपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर लगाई गई रोक

Sonbhadra News: न्यायालय की तरफ से पीड़िता को नोटिस जारी की गई लेकिन पीड़िता की तरफ से न्यायालय में कोई कथन प्रस्तुत नहीं किया गया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 24 Feb 2024 11:15 AM GMT
Sonbhadra News Today Famous Rape Case Reached High Court
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Sonbhadra News Today Famous Rape Case Reached High Court

Sonbhadra News: घोरावल थाना क्षेत्र से जुड़ा दुष्कर्म का चर्चित मामला अब हाईकोर्ट जा पहुंचा है। ं पुलिस की तरफ से आरोपों को झूठा बताते हुए लगाई गई फाइनल रिपोर्ट के बाद, न्यायालय ने पीड़िता की तरफ से पूर्व में धारा 161 और 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराए गए बयान का संज्ञान लेकर आरोपी को खिलाफ सुनवाई के लिए सम्मन जारी किया था। इसको लेकर की कई क्रिमिनल अपील का संज्ञान लेते हुए, हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि तय की गई है।

सीओ ने प्रकरण को झूठा बताते हुए दाखिल की थी फाइनल रिपोर्टः घोरावल थाना क्षेत्र की एक दलित महिला ने क्षेत्र के उमेश कुमार यादव के खिलाफ धारा 376, 504, 506 आईपीसी और एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। 40 वर्षीय महिला ने आरोप लगाया था कि काम कराने के बहाने आरोपी बाइक पर बैठाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मामले में 26 जुलाई 2023 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। घोरावल के तत्कालीन सीओ ने मामले की विवेचना की और दुष्कर्म के आरोप को झूठा बताते हुए, न्यायालय में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी। इस पर न्यायालय की तरफ से पीड़िता को नोटिस जारी की गई लेकिन पीड़िता की तरफ से न्यायालय में कोई कथन प्रस्तुत नहीं किया गया। वहीं, न्यायालय ने पूर्व में धारा 161 और 164 के तहत दर्ज कराए गए बयान का संज्ञान लेते हुए, आरोपी को सुनवाई के लिए सम्मन जारी कर दिया।

क्रिमिनल अपील के जरिए जारी सम्मन को दी गई चुनौती:

जिले के न्यायालय से जारी किए गए सम्मन को आरोपी ने अधिवक्ता अनिल मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील दाखिल कर चुनौती दी, जहां न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों, साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए पाया कि पीड़िता करीब 40 साल की एक शादीशुदा महिला है। वह खुद आरेापी के साथ प्याज की खुदाई करने के लिए उसकी बाइक से गई थी। आरोपी पक्ष की तरफ से मामले में भाई-भाई के बीच संपत्ति विवाद का मसला होने और इसको लेकर एक भाई की तरफ से महिला के जरिए झूठी एफआईआर दर्ज कराने का दावा किया गया है। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में जो भी सही है, उसको लेकर सुनवाई की जरूरत जताई है और मामले में आगे की सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि तय करते हुए, आरोपी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

अपीलार्थी की तरफ से इन तथ्यों का बनाया गया आधार: अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए दाखिल क्रिमिनल अपील में आरोपी की तरफ से दावा किया गया है कि पीड़िता लगभग 40 वर्ष की एक विवाहित महिला है। उसने आरोपी के भाई के कहने पर झूठे केस में फंसाया है। दोनों भाइयों के बीच संपत्ति विवाद का मसला चल रहा था। उसी को लेकर बदला लेने के लिए एक भाई की साजिश से, ढाई महीने देर से एफआईआर दर्ज कराई गई।यह भी तर्क दिया गया कि पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण कराया गया लेकिन लेकिन उसमें दुष्कर्म से संबंधित चोटों का उल्लेख नहीं ह। कॉल डिटेल रिपोर्ट में भी कोई विशेष संकेत नहीं मिला। गवाहों ने भी आरोपों का समर्थन नहीं किया है। आरोपी पक्ष का दावा था कि ट्रायल कोर्ट की तरफ से सरसरी तौर पर सम्मन जारी कर दिया गया है इससे उसे मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। अधिवक्ता एके मिश्रा ने बताया कि प्रकरण में, उच्च न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ किसी तरह के कर्सिव एक्शन पर रोक लगा दी है और मामले में अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि तय की गई है।

Admin 2

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