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Sonbhadra News: कंडाकोट महादेव से जुड़ी सड़क पर वन विभाग के दांव-पेंच का ग्रहण, पीडब्ल्यूडी के खाते में जमीन, बावजूद नहीं हो पा रहा निर्माण

Sonbhadra News: कंडाकोट स्थित गौरीशंकर महादेव तक श्रद्धालुओं की पहुंच आसान बनाने के लिए निर्मित कराई जा रही सड़क पर, वन महकमे के विभागीय दांवपेंच का ग्रहण लग गया है। वनाधिकार अधिनियम के तहत एक हेक्टेअर जमीन सड़क निर्माण और एक हेक्टेअर जमीन सार्वजनिक पूजा-पाठ के लिए दी जा चुकी है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 9 Jan 2024 2:17 PM GMT
Forest Departments maneuver on the road connected to Kandakot Mahadev eclipsed, land in PWDs account, construction is not being done despite this
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कंडाकोट महादेव से जुड़ी सड़क पर वन विभाग के दांव-पेंच का ग्रहण, पीडब्ल्यूडी के खाते में जमीन, बावजूद नहीं हो पा रहा निर्माण: Photo- Social Media

Sonbhadra News: लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र कंडाकोट स्थित गौरीशंकर महादेव तक श्रद्धालुओं की पहुंच आसान बनाने के लिए निर्मित कराई जा रही सड़क पर, वन महकमे के विभागीय दांवपेंच का ग्रहण लग गया है। वनाधिकार अधिनियम के तहत एक हेक्टेअर जमीन सड़क निर्माण और एक हेक्टेअर जमीन सार्वजनिक पूजा-पाठ के लिए दी जा चुकी है। इसको दृष्टिगत रखते हुए डीएमएफ कोटे से सडक निर्माण और सामुदायिक भवन के लिए धनराशि भी निर्गत हो चुकी है। बावजूद वन विभाग के क्लीयरेंस से जुड़े दांव-पेंच ने निर्माण कार्य को उलझाकर रख दिया है। अब पीडब्ल्यूडी के अफसर क्लीयरेंस के लिए दौड़ लगा रहा है। यह क्लियरेंस कब तक मिलेगी? जमीन पीडब्ल्यूडी के खाते में दर्ज हो चुकी है ऐसे में कार्य पर रोक लगाने का मतलब क्या है? पूर्व में निर्मित हो चुकी सड़क पर पुनर्निमाण के लिए क्या दोबारा से क्लीयरेंस की जरूरी पड़ेगी? जैसे सवाल पूरे मामले को उलझाए हुए हैं।


आवागमन की दुर्गमता से जूझते हुए यहां पहुंचते हैं श्रद्धालु

बताते चलें कि कंडाकोट पहाड़ी को जहां त्रेताकालीन ऋषि कण्व के तपोस्थली का दर्जा हासिल है। वहीं, इस पहाड़ी पर भगवान शिव और पार्वती को अर्धनारीश्वर स्वरूप में सदेह विरोजमान होने की मान्यता है। पहाड़ी की ऊंची चढ़ाई और दुर्गम रास्ते के बावजूद श्रावण मास के साथ ही, बसंत पंचमी और शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का भारी रेला उमड़ पड़ता है। श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी और अर्धनारीश्वर स्वरूप में विराजमान गिरिजाशंकर तक पहुंच आसान बनाने के लिए, इस धाम से जुड़ी सड़क को दुरूस्त करने की मांग लंबे समय से उठती रही है।


सड़क निर्माण के लिए वनाधिकार से जमीन, डीएमएफ से दिया धन

इसको देखते हुए कंडाकोट महादेव मंदिर तक पहुंच आसान बनाने के लिए, वनाधिकार अधिनियम के जरिए ग्राम पंचायत बहुआर में सड़क निर्माण के लिए एक हेक्टेअर जमीन और पूजापाठ-मंदिर स्थल के रख-रखाव के लिए एक हेक्टेअर जमीन प्रदान की गई। सडक निर्माण के लिए दी गई जमीन पीडब्ल्यूडी के खाते में दर्ज होने के बाद, डीएम चंद्रविजय सिंह की तरफ से डीएमएफ कोटे के तहत सड़क निर्माण तथा पूजा-पाठ वाली जमीन पर सामुदायिक भवन निर्माण के लिए धनराशि आवंटित की गई और इस धनराशि से पीएसी कैंप के पास से होकर कंडाकोट पहाड़ी तक मौजूद पुराने रास्ते के पुनर्निर्माण का प्लान बनाया गया।


शुरू हुआ काम तो वन विभाग की तरफ से फंसा दिया गया पेंच

सड़क के पुनर्निमाण का काम शुरू हुआ तो अचानक से वन विभाग की तरफ से एनओसी यानी क्लियरेंस का पेंच फंसाते हुए रोंक लगा दी गई। अब करीब छह माह से इस पेंच को दूर करने के लिए दौड़ की स्थिति बनी है। कंडाकोट स्थल से जुड़े लोग जहां कभी एसडीएम, कभी डीएम से गुहार लगा रहे हैं। वहीं, डीएम-एसडीएम की तरफ से कैमूर वन्य जीवन अभयारण्य के प्रभागीय वनाधिकारी को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा जा चुका है। वहीं, पीडब्ल्यूडी की तरफ से वन्य जीव विभाग के स्थानीय अफसरों की तरफ से दी गई जानकारी के आधार पर क्लीयरेंस को लेकर ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।




जमीन स्थानांतरण के बाद भी

सवाल उठता है कि जब जमीन पीडब्ल्यूडी के नाम स्थानांतरित है। पूर्व से मौजूद रास्ते/सड़क के ही पुनर्निमाण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। मामला सार्वजनिक हित, खासकर श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। बावजूद कभी क्लीयरेंस तो कभी निर्धारित एक साल की अवधि में जमीन का स्थानांतरण न होने की बात कहकर, मामले को पिछले छह माह से लटकाया क्यूं जा रहा है? यह ऐसे सवाल हैं जो श्रद्धालुओं के साथ ही, आमजन के भी जेहन को मथे हुए हैं।

क्लीयरेंस लेने का किया जा रहा प्रयास

एक्सईएन प्रांतीय खंड इं. शैलेष कुमार चौधरी का फोन पर कहना था कि वन विभाग के लोगों को कहना है कि एक वर्ष के भीतर जमीन परिवर्तित नहीं हुई है, इसलिए क्लीयरेंस की प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी, जिसके लिए आवेदन किया बया है। वनाधिकार अधिनियम के तहत जमीन पीडब्ल्यूडी के नाम खाते में दर्ज होने की जानकारी देने पर कहा कि इस बारे में वह फाइल देखने के बाद ही कुछ कह पाएंगी। वहीं, डीएफओ कैमूर अरविंद कुमार यादव का फोन पर कहना था कि अगर जमीन पीडब्ल्यूडी के नाम दर्ज है, इसके बारे में पीडब्ल्यूडी को सही तथ्यों के साथ अवगत कराना चाहिए। ऐसा न कर उनकी तरफ से ही क्लीयरेंस के लिए आवेदन किया गया है, इसलिए मामले की वास्तविक स्थिति क्या है और पेंच किस बात का है, इसके बारे में पीडब्ल्यूडी के अफसर ही स्पष्ट कर सकते हैं।

Shashi kant gautam

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