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Sonbhadra: भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल करेंगे सपा की उम्मीदवारी, राबर्टसगंज सीट पर अचानक से बदले समीकरण
Loksabha Election 2024: राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरणों में जहां कोल बिरादरी का अहम स्थान माना जाता है। वहीं, आदिवासी जातीय समीकरणों के हिसाब से खरवार और गोंड़ बिरादरी का खासा अहम स्थान है।
Loksabha Election 2024: पिछले एक सप्ताह से टिकट को लेकर चल रही कयासबाजी के बीच सपा ने भाजपा के गढ़ माने जाने राबटर्सगंज संसदीय सीट पर भाजपा के ही पूर्व सांसद छोटेलाल को टिकट देकर, सत्तापक्ष को बड़ी चुनौती दी है। छोटेलाल को टिकट मिलने से जहां अचानक से, राबटर्सगंज संसदीय सीट के सियासी समीकरण बदल से गए हैं। वहीं लोकसभा के साथ ही, दुद्धी विधानसभा में भी इस सियासी उलटफेर से निबटने के लिए कौन सी रणनीति सही रहेगी? इसको लेकर भाजपा की तरफ से भी मंथन शुरू हो गया है।
बताते चलें कि राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरणों में जहां कोल बिरादरी का अहम स्थान माना जाता है। वहीं, आदिवासी जातीय समीकरणों के हिसाब से खरवार और गोंड़ बिरादरी का खासा अहम स्थान है। इसी समीकरण को देखते हुए जहां राबटर्सगंज सीट पर कोल बिरादरी के उम्मीदवार, राजनीतिक दलों की पहली पसंद बने हुए हैं। वहीं, पांच विधानसभा वाले राबटर्सगंज विधानसभा क्षेत्र में चकिया, राबटर्सगंज, ओबरा और दुद्धी में खरवार बिरादरी के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद को देखते हुए, भाजपा की तरफ से वर्ष 2014 में छोटेलाल खरवार को टिकट देकर एक नया सियासी समीकरण तैयार किया गया था।
मूलतः चकिया विधानसभा के रहने वाले सांसद छोटेलाल खरवार ने जातीय समीकरणों के साथ ही, मोदी मैजिक को साधकर जीत का एक नया रिकार्ड बना डाला था। लेकिन वर्ष 2019 में राबटर्सगंज सीट अद एस केे कोटे में चले जाने के कारण उनका सियासी समर थम सा गया। पत्नी के जरिए आगे की सियासी पारी खेलने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वर्ष 2024 में आकर अब उन्होंने साइकल की सवारी की है। उनकी यह कोशिश कितनी कामयाब होगी, इसको लेकर जहां अटकलें लगाई जाने लगी हैं। वहीं, सपा की ओर से, भाजपा को उसके ही परंपरागत वोटरों के बीच घेरने की बनाई गई रणनीति का भाजपा क्या तोड़ निकालेगी? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
कभी राजनाथ के खास माने जाते थे छोटेलाल
छोटेलाल ने अचानक से प्रधान से सांसद पद का सफर किया था तो लोग एकबारगी चौंक उठे थे। टिकट के समय छोटेलाल को पार्टी स्तर पर विरोध का भी सामना करना पड़ा था। मंडल अध्यक्षों की तरफ से सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी ने प्रदेश नेतृत्व तक को चिंता में डाल दिया था लेकिन मोदी लहर पर सवार भाजपा ने 2014 में जीत का कुछ ऐसा इतिहास रचा कि सारी चीजें बेमानी हो गईं।
पीएम मोदी ने छोटेलाल को दिया था छोटा कमल का नाम
छोटेलाल के समर्थन में पीएम मोदी ने जिला मुख्यालय पर सभा संबोधित किया था। उसमें उन्होंने छोटेलाल नाम के साथ ही लंबाई भी छोटी देखते हुए लोगों सेय अपील की थी कि यह छोटेलाल नहीं बल्कि छोटा कमल हैं, इसलिए इन्हें जरूर जिताए। तब पीएम का यह अंदाज मतदाताओं के बीच खासा चर्चा का विषय बना हुआ था। बदले समीकरण में अब वहीं, छोटा कमल भाजपा गठबंधन को चुनौती देता दिखाई देगा।
2019 में सियासी समर थमने के साथ ही दिखने लगे थे तीखे तेवर
वर्ष 2019 में राबटर्सगंज सीट अपना दल के खाते में जाने के साथ ही, पूर्व सांसद छोटेलाल के तेवर तीखे होने लगे थे। जहां उन्होंने सीएम योगी पर समस्याएं न सुनने का सनसनीखेज आरोप लगाया था। वहीं नौगढ़ प्रमुख के चुनाव में केंद्रीय मंत्री महेंद्र पांडेय पर, उनके विरोधी खेमे का साथ देने का आरोप लगाकर हड़कंप मचा दिया था। जिले की प्रभारी मंत्री अर्चना पांडेय की मौजूदगी में पार्टी के लोगों से तीखी नोंकझोंक जैसी चीजें भी छोटेलाल को लंबे समय तक चर्चा में बनाए रखी थी। वर्ष 2020 के जिला पंचायत चुनाव में पत्नी की सियासी पारी को महत्व न दिए जाने को लेकर भी उनकी नाराजगी सामने आई थी।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगाया था। उसी समय सपा में जाने के संकेत भी मिलने लगे थे। हालात को देखते हुए पार्टी के लोगों ने किसी तरह स्थिति संभाली। वर्ष 2024 में एक बार फिर से राबटर्सगंज सीट अद एस के कोटे में चली गई तो छोटेलाल ने जहां सपा का दामन थाम लिया। वहीं, चर्चाओं की मानें तो उन्हें रोकने में सत्तापक्ष के दिग्गजों की तरफ से भी वह दिलचस्पी नहीं दिखाई गई जो राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र के सियासी समीकरण को लेकर दिखाई जानी चाहिए थी।