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Sonbhadra News: 10,47,050 लोगों को खिलाई जाएगी फाइलेरियारोधी खुराक, चार ब्लाकों में 10 से चलेगी विशेष मुहिम, अभियान को जनांदोलन का रूप देने की बनी रणनीति

Sonbhadra News: नाइट ब्लड सर्वे के जरिए सामने आई स्थिति को देखते हुए, संबंधित ब्लाकों के कुल 10,47,050 व्यक्तियों को फाइलेरियारोधी खुराक खिलाने का लक्ष्य किया गया है। 10 से 25 फरवरी से चलने वाले विशेष अभियान को मूर्तरूप देने के लिए जहां 890 टीमें गठित की गई हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 5 Feb 2025 4:32 PM IST
Sonbhadra News (Photo Social Media)
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Sonbhadra News (Photo Social Media)

Sonbhadra News: फाइलेरिया के मामले में यूपी के आखिरी छोर पर स्थित सोनभद्र के चार ब्लाकों की स्थिति हाई रिस्क जोन वाली पाई गई है। नाइट ब्लड सर्वे के जरिए सामने आई स्थिति को देखते हुए, संबंधित ब्लाकों के कुल 10,47,050 व्यक्तियों को फाइलेरियारोधी खुराक खिलाने का लक्ष्य किया गया है। 10 से 25 फरवरी से चलने वाले विशेष अभियान को मूर्तरूप देने के लिए जहां 890 टीमें गठित की गई हैं। वहीं, उनके निगरानी के लिए 166 सुपरवाइजर तैनात किए गए हैं। दवा देनी नहीं खिलानी है.. के तर्ज पर चलाए जाने वाले इस अभियान के लिए प्रत्येक टीम को रोजाना कम से कम 25 घरों में दस्तक देने और सदस्यों को दवा खिलाने का लक्ष्य दिया गया है।

- दो वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को खिलाई जाएगी दवा:

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अश्वनी कुमार ने बुधवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम की जानकारी दी। बताया कि इसके तहत ककराही यानी राबर्टसगंज ब्लाक, घोरावल ब्लाक, चतरा ब्लाकब और दुद्धी ब्लाक एरिया में यह अभियान चलाए जाएगा। इस दौरान दो सदस्योंव वाली 890 टीमें घर-घर जाकर दो वर्ष के ऊपर के सभी व्यक्तियों को निर्धारित खुराक अनुसार डीईसी (हेट्राजान) और अल्बेंडाजोल की टेबलेट खिलाई जाएगी। अभियान सप्ताह के चार दिन सोमवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार और शुकवार को चलाया जाएगा। निगरानी के लिए तैनात किए गए प्रत्येक सुपरवाइजर को रोजाना पांच से छह टीमों के निरीक्षण/निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

- निश्चित आयु वर्ग के अनुसार होगी दवा की खुराक:

स्ीएमओ ने बताया कि एक से दो साल के बच्चे को सिफ अल्बेंडाजोल, वह भी महज आधा टेबलेट खिलाना है। दो साल से पांच वर्ष के बच्चे को डीईसी और अल्बेंडाजोल की एक-एक गोली खिलाई जाएगी। छह से 15 वर्ष आयुवर्ग वालों को दो गोली डीईसी और एक गोली अल्बेंडाजोल, 15 वर्ष के उपर के सभी लोगों को तीन गोली डीईसी और एक गोली अल्बेंडाजोल की खिलाई जाएगी। सीएमओ ने कहा कि वर्ष में एक बार खाई जाने वाली यह दवा अगर पांच वर्ष तक खा ली जाए तो जहां फाइलेरिया रोग होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। वहीं अगर शरीर में कहीं से इससे जुडे थोड़े जीवाणु मौजूद भी हैं तो वह समाप्त हो जाते हैं।

- इन्हें नहीं खिलाई जाएगी दवा, इन सावधानियों का रखना होगा ख्याल:

सीमओ ने बताया कि दो वर्ष से छोटे बच्चों, बीमार व्यक्ति और गर्भवती महिला को फाइलेरिया रोधी खुराक नहीं खिलाई जानी है। खाली पेट इसकी कोई दवा नहीं ली जानी है। सीएमओ ने कहा कि दवा खाने के बाद हल्की मिचली, बुखार, घबड़ाहट की शिकायत आने पर घबड़ाएं नहीं, यह शरीर में हल्के परजीवी होने और उन पर दवा होने का प्रभाव हो सकता है। हालांकि दवा खाने वाले व्यक्तियों पर निगरानी के लिए 17 रैपिड रिस्पांस टीमें गठित की गई हैं। दवा खाने वाले व्यक्ति, बच्चे को किसी तरह की दिक्कत आती है तो यह टीम तत्काल मौके पर पहुंचकर उपचार उपलब्ध कराएगी। जरूरत समझ आने पर नजदीकी चिकित्सा केंद्र लाकर भी उपचार सुनिश्चित कराया जाएगा।

-जरूर खाएं दवा, बचाव ही है फाइलेरिया का इलाज

सीएमओ डा. अश्वनी कुमार, एसीएमओ प्रेमनाथ, डब्ल्यूएचओ के जोनल काओर्डिनेटर डा. मंजीत चौधरी ने कहा कि सभी लोग इस दवा को जरूर खाएं। अभियान को जनांदोलन का रूप देने के लिए जहां नगर और ग्राम पंचायत की प्रत्येक इकाई को इस अभियान से जोड़ने का प्रयास जारी है। वहीं, संबंधित एरिया की आशा के घर की उस एरिया को डिपो का रूप देते हुए, दवा उपलब्ध कराई जाएगी। कहा कि सभी संबंधित सेंटरों को दवा सहित अन्य जरूरी सामग्री-संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं। आशा के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ती और सामाजिक कार्यकर्ता इस अभियान की प्रमुख कड़ी के रूप में दिखाई देंगे। सभागार में मौजूद स्वास्थ्य महकमे के सभी लोगों ने अपील करते हुए कहा कि फाइलेरिया का बचाव ही इसका इलाज है, इसलिए दवा जरूर खाएं।

- उदासीनता-लापरवाही आगे चलकर पड़ सकती है भारी:

सीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण तत्काल सामने नहीं आते। कई बार मच्छर के जरिए प्रवेश करने वाले फाइलेरिया के विषाणु शरीर में लंबे समय तक दबे रह जाते हैं। पांच से 15 वर्ष बाद जाकर लक्षण सामने आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। कहा कि इसीलिए टीम को दवा देने नहीं, स्वयं के सामने खिलाने की हिदायत दी गई है। कहा गया कि यह दवा इसलिए भी खानी जरूरी है क्योंकि यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती जरूर है लेकिन मच्छरों को फाइलेरिया के विषाणु उन्हीं लोगों से मिलते हैं, जिनमें इसके लक्षण छिपे हुए होते हैं। इस दौरान सभी अपर/उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय के सभी स्टाफ, सभी मलेरिया निरीक्षक, डीसीपाथ, पीसीआई टीम के सदस्य मौजूद रहे।



Ramkrishna Vajpei

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