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Sonbhadra News: गांजा तस्करी का रैकेट, पकड़े गए तस्करों से पुलिस को मिली अहम जानकारी
Sonbhadra News: तस्करों ने बताया उड़ीसा से गांजा लाने के लिए पहले पेमेंट करना पड़ता है और अलग-अलग नंबरों से ऑनलाइन पेमेंट का सहारा लिया जाता है।
Sonbhadra News
Sonbhadra News: पुलिस की पकड़े में आए गांजा तस्करी के बड़े अंतरराज्यीय गिरोह ने, कई चौकाने वाले खुलासे किए गए है। एक-एक कर आरोपियों ने पूछताछ में जिस तरह पुलिस को अलग-अलग जानकारियां दी हैं, उसने उड़ीसा से प्रयागराज तक चलने वाले गांजा तस्करी के रैकेट की करीब-करीब एक बडी कहानी ही बयां कर दी है। पुलिस भी इन खुलासों को लेकर हैरान है। मिली जानकारियों के आधार पर, तस्करी से जुड़े़ पूरे रैकेट के खुलासे के निर्देश दिए गए हैं।
कुछ इस तरह होती है गांजा तस्करी की डील:
पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को जो जानकारियां दी हैं, उसके मुताबिक उड़ीसा से गांजा लाने के लिए पहले पेमेंट करना पड़ता है। इसके लिए अलग-अलग नंबरों से ऑनलाइन पेमेंट का सहारा लिया जाता है। पकड़ में आए ताजा मामले में प्रयागराज के सत्यम पांडेय ने बृजेश कुमार की तरफ से आकाश, विवेक, कान्हा और संयम को उड़ीसा जाने के लिए बोलेरो भाड़े पर उपलब्ध कराई गई थी। उड़ीसा पहुंचने पर कालाहांडी निवासी आदम सुना से मुलाकात हुई। उसने फोन पे के जरिए तीनों के एकाउंट से धनराशि अपने एकाउंट में ट्रांसफर कराई। इसके बाद गांजा तस्करी के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई मारुती कंपनी की स्विफ्ट कार उपलब्ध कराई गई और इसमें छिपाने के लिए बनाई गई जगह में गांजा रखकर उपलब्ध्ण कराया गया।
आगे के वाहन से ली जाती है पुलिस की लोकेशन:
गांजा मिलने के बाद दोनों वाहन उड़ीसा से प्रयागराज के लिए चले। गांजा वाली कार आगे और पुलिस का लोकेशन लेते रहने के लिए उपलब्ध कराई गई बोलेरो आगे चलती रही। पूर्व की तरह, इस बार की भी ट्रिक कामयाब रही और तस्कर गांजा लेकर, उड़ीसा, छत्तीसगढ होते हुए सोनभद्र के रास्ते यूपी में प्रवेश कर गए लेकिन बग्घानाला तिराहे के पास साइड में खड़े होकर, पुलिस की लोकेशन का इंतजार करते समय, पकड़़ लिए गए।
लोकेशन वाहन के मालिक को प्रति चक्कर मिलते हैं 15 हजार:
आरोपियों से पूछताछ में जहां बताया गया कि गांजा खरीदने के लिए दी जाने वाली रकम कई बार तीन से चार लोग मिलकर वहन करते हैं। वहीं, कार के आगे लोकेशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बोलेरो को प्रति चक्कर भाड़े के रूप में 15 हजार उपलब्ध कराया जाता है। डीजल और टोल का खर्चा अलग होता है। आसानी से ट्रांजैक्शन हिस्ट्री और बातचीत का रिकर्ड न मिलने पाए, इसके लिए जहां बात करने के निमित्त ह्वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, गांजा लेने के लिए जाने वाले व्यक्तियों के खाते में किसी के जरिए रुपये भेजकर, व्हाट्सएप पर बार कोड भेजा जाता है। इसी बार कोड पर फोन पे या गूगल पे से पेमेंट करना होता है। ताजा प्रकरण में जो बारकोड सामने आया है, उसे प्रकाश में कालाहांडी के आदम सुना के सहयोगी विश्वनाथ मलिक का बताया जा रहा है।
उड़ीसा में कालांहाडी से झारसुगुड़ा एयरपोर्ट फैली हैं तस्करों की जड़ें:
बताते हैं कि आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि झारसुगुड़ा एयरपोर्ट उड़ीसा के पास अक्सर अक्सर आदम सुना नामक कथित व्यक्ति की मौजूदगी रहती है लेकिन तस्करी की डील के लिए पास के जंगल वाली जगह का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बातचीत फाइनल होने पर तयशुदा रकम, उपलब्ध कराए गए बारकोड पर भुगतान किया जाता है। इसके बाद गांजा तस्करी के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं और इसके जरिए, संबंधित आपूर्ति प्वाइंट पर गांजा पहुंचाया जाता है। गांजा लाने-ले जाने वालों को भी प्रति चक्कर 15 हजार भुगतान किए जाते हैं।
कहां तक फैला है रैकेट, कराई जा रही जांच: क्षेत्राधिकारी
क्षेत्राधिकारी नगर डा. चारू द्विवेदी ने बताया कि इस गिरोह की जड़ें किन-किन राज्यों में और कहां तक फैली हुई हैं, इसके बारे में पता करवाया जा रहा है। फिलहाल कुल नौ नाम सामने आए हैं जिनमें सात को गिरफ्तार किया जा चुका है। शेष दो की तलाश जारी है। तस्करी के इस गिरोह से और कौन-कौन जुड़े हैं, इसके बारे में पता लगाया जा रहा है।