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Sonbhadra News: धूल फांक रही करोड़ों की बिल्डिंग, चंद वर्ष बाद ही पड़ गई दरारें, उखड़कर गिरने लगी टाइल्स
Sonbhadra News: ट्रामा सेंटर संचालन के लिए लगाई गई मशीनें जहां अभी से जर्जर स्थिति में पहुंच गई है। वहीं, आरोप है कि उसके कई पार्ट्स भी गायब हो गए हैं। कुछ यहीं हाल इसी बिल्डिंग के सामने स्थित बर्न यूनिट भवन का भी है।
Sonbhadra News: पहले जिला अस्पताल रहे, अब मेडिकल कालेज का दर्जा पा चुके राजकीय स्वायत्तशासी मेडिकल कालेज परिसर में, ट्रामा सेंटर और बर्न यूनिट के रूप में आमने-सामने बनी करोड़ों की बिल्डिंग धूल फांक रही हैं। ट्रामा सेंटर संचालन के लिए लगाई गई मशीनें जहां अभी से जर्जर स्थिति में पहुंच गई है। वहीं, आरोप है कि उसके कई पार्ट्स भी गायब हो गए हैं। कुछ यहीं हाल इसी बिल्डिंग के सामने स्थित बर्न यूनिट भवन का भी है। चैनल गेट पर लगा ताला जहां जंग खाने लगा है। वहीं, इसके दीवारों में सिलन, प्लास्टर की टूटन, भ्रष्टाचार की कहानी बयां करती नजर आने लगी है। इन दोनों बिल्डिंगों में स्वास्थ्य सुविधा को सुचारू बनाए रखने के लिए यहां स्थापित जनरेटर यहां से हटाया जा चुका है। वहीं, दोनों बिल्डिंगों से जुड़े परिसर के एक छोर पर सड़े-गले हाल में पड़े एंबुलेंस भी स्वास्थ्य सेवा की अजीब कहानी बयां करते नजर आने लगे हैं।
सपा काल में किया गया था ट्रामा सेंटर का उद्घाटन
किलर रोड का दर्जा पा चुके वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर सड़क हादसे का शिकार होने वालों को त्वरित और बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए, सपा काल में, तत्कालीन समय के जिला चिकित्सालय परिसर में 24 जनवरी 2015 को ट्रामा सेंटर के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया था। यूपी राजकीय निर्माण निगम की तरफ से भवन का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद, एक मई 2016 को इसका लोकार्पण किया गया था। इसके बाद से अब तक यह भवन उपेक्षित हाल में पड़ा हुआ है। कुछ यहीं हाल, इसी भवन के सामने स्थित बर्न यूनिट का है। उपेक्षा और निर्माण के समय मानकों की बरती गई अनदेखी का परिणाम यह है कि सिर्फ दरवाजे खिड़कियों के शीशे ही नहीं चटके बल्कि दिवाल पर लगाई गई टाइल्स भी उखड़कर और टूटकर गिरने लगी हैं।
तीन साल में 847 की मौत, फिर भी जिम्मेदार बेफिक्र
आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2021 में 268, वर्ष 2022 में 279 और वर्ष 2023 में लगभग 300 जिंदगियां सड़क हादसे की भेंट चढ़ चुकी हैं। बावजूद, वर्ष 2016 में लोकार्पित हो चुका ट्रामा सेंटर आठ वर्ष बाद भी, संचालन में नहीं आ सका है। इसी तरह झुलसे लोगों को बेहतर उपचार के लिए स्थापित बर्न यूनिट पर भी उपेक्षा की चादर पड़ी हुई है।
संचालन के लिए दिए जा चुके हैं पैरा मेडिकल स्टाफ: सीएमओ
सीएओ डा. अश्वनी कुमार ने बताया कि ट्रामा सेंटर और बर्न यूनिट दोनों की वस्तुस्थिति से शासन को अवगत कराया गया था जिसके परिप्रेक्ष्य में पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती भी मिली। बताया कि ट्रामा सेंटर और बर्न यूनिट के लिए जो भी पैरा मेडिकल स्टाफ नियुक्त हुए, उन्हें जिला अस्पताल (वर्तमान में राजकीय मेडिकल कालेज) के लिए ट्रांसफर किया जा चुका है। अब उनकी तैनाती कहां, किस रूप में की जानी है, यह तय करने की जिम्मेदारी मेडिकल कालेज के प्राचार्य की है।
जनहित में किया जाएगा पत्राचार: एडी हेल्थ
एडी हेल्थ विंध्याचल मंडल डा. शोभना द्विवेदी ने कहा कि चूंकि ट्रामा सेंटर और बर्न यूनिट दोनों के भवन, अब मेडिकल कालेज के अधीन हो चुके हैं। इसलिए उसके संचालन के लिए वह सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। यह जरूर है कि जनहित को ख्याल में रखते हुए, दोनों यूनिटों के संचालन के लिए उनकी ओर से पत्राचार किया जाएगा।
मैनपावर की दिक्कत, जल्द हालात होंगे बेहतर: प्राचार्य
मेडिकल कालेज के प्राचार्य सुरेश सिंह ने कहा कि दोनों बिल्डिगें मेडिकल कालेज के अंतर्गत आ गई हैं। मैन पावर की दिक्कत अभी बनी हुई है। इसएिल काफी कुछ संभव नहीं हो पा रही हैं। चूंकि मेडिकल कालेज में उपचार की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की प्रक्रिया जारी है।
इसलिए अलग से ट्रामा सेंटर संचालन का कोई औचित्य नहीं है। उनका प्रयास है कि संबंधित बिल्डिंग में ब्लड बैंक का संचालन शुरू हो जाए ताकि मरीजों को मेेडिकल कालेज से राबटर्सगंज शहर तक की छह से सात किमी लंबी दौड़ न लगानी पड़े। कहा कि प्रयास जारी है। जल्द ही स्थिति बेहतर दिखनी शुरू हो जाएगी।