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Sonbhadra: Fluorosis बीमारी की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतें आईं आगे, बनी रणनीति

Sonbhadra News: वनवासी सेवा आश्रम में आयोजित दो दिवसीय फ्लोरोसिस नियंत्रण विचार गोष्ठी/कार्यशाला में बुधवार को इसको लेकर रणनीति बनाई गई।

Sidheshwar Nath Pandey
Published on: 20 March 2024 1:02 PM GMT
फ्लोरोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए हुई कार्यशाला।
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फ्लोरोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए हुई कार्यशाला। (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: म्योरपुर ब्लाक के फ्लोरोसिस प्रभावित दो गांवों में तीन सालों तक किए गए सर्वे और प्रभावितों को समुचित खान-खान और आयुर्वेदिक दवा किट के कराए गए सेवन के आए उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए, अन्य ग्राम पंचायतों में भी लोगों को फ्लोरोसिस से राहत दिलाने के लिए पहल की जाएगी। वनवासी सेवा आश्रम में आयोजित दो दिवसीय फ्लोरोसिस नियंत्रण विचार गोष्ठी/कार्यशाला में बुधवार को इसको लेकर रणनीति बनाई गई। प्रधानों और ग्रामीणों के बीच देर तक चले संवाद के बाद तय हुआ कि ग्राम पंचायतें इसको लेकर अपने यहां खुली बैठक आयोजित करेंगी और उसमें फ्लोरोसिस से लोगों को राहत दिलाने का प्रस्ताव देकर, पहल आगे बढ़ाएंगी।


जलस्रोतों की जांच, फ्लोरोसिस की पहचान के बारे में हासिल की जानकारी

काचन, जरहा, बभनडीहा, गड़िया, पड़री, करहिया, रनटोला, खैराही, बभनी आदि ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों और प्रधानों ने, वनवासी सेवा आश्रम में आयोजित कार्यशाला में दूसरे दिन के सत्र में भाग लिया। इस दौरान जहां ग्रामीणों और प्रधानों ने आपस में संवाद कर फ्लोरोसिस से निजात के लिए, ग्राम पंचायत स्तर की जाने वाली पहल को लेकर प्लान बनाया। वहीं, जल स्रोतों की जांच, फ्लोरोसिस पीड़ितो की पहचान का तरीका सीखा। इसके लिए प्रधान और ग्रामीण अत्यधिक रूप से प्रभावित गोविंदपुर और कुसम्हा गांव के पीड़ितों से भी मिली। उनका हाल जानने के बाद यह तय किया कि इस लाइलाज बीमारी के रोकथाम के लिए वह अपनी ग्राम सभा में प्रस्ताव पास करेंगे। ग्राम पंचायतों में फ्लोराइड जांच किट उपलब्ध कराने के लिए पंचायत राज विभाग को पत्र लिखेंगे। वहीं समूह सखियों के जरिए जलस्रोतों और फ्लोराइड प्रभावित व्यक्तियों के जांच की पहल की जाएगी।


ग्राम पंचायत स्तर पर लैब की जताई गई जरूरत

पीएसआई के पर्यावरण वैज्ञानिक डा. अनिल गौतम, प्रेम नारायण अग्रहरी ने जहां कार्यशाला में मौजूद लोगों को बीमारी के जांच और राहत के बारे में तकनीकी जानकारी और प्रभावितों के लिए जरूरी पौष्टिक आहार की जानकारी दी। वहीं, यह सुझाव भी दिया कि सोनभद्र जैसे जनपद, जहां फ्लोराइड जनित बीमारी फ्लोरोसिस तीन दशक से अभिशाप बनी हुई है, वहां प्रत्येकं ग्राम पंचायत में एक स्माल लैब की स्थापना की जरूरत है। ताकि मिट्टी, हवा, पानी के साथ यूनियन ,की जांच हो सके।

प्रदूषण जनित बीमारियों से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

डा. गौतम ने कहा कि प्रदूषण जनित समस्याओं-बीमारियों से बचाव के लिए लोगों का जागरूक होना अत्यंत जरूरी है। कहा कि इसका स्थाई हल निकाला जाना चाहिए। यह तभी संभव है जब व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनो तरह के प्रयास हों। डा. विभा ने फ्लोरोसिस जैसी बीमारी से बचाव के लिए कैल्सियम युक्त भोजन पर जोर दिया। कहा कि अभी से बीमारी को लेकर जागरूकता और बचाव पर ध्यान नहीं दिया गया है तो फ्लोरोसिस आने वाली पीढ़ी के लिए और ज्यादा घातक साबित हो सकता है। इस दौरान प्रधान राजपति, दिनेश , संत कुमार, मुनी देवी, मंजू देवी, जगत नारायण विश्वकर्मा, अशोक यादव, संगीता, मोती लाल, गंगा राम, संगीता आदि मौजूद रहे।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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