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Sonbhadra Update: हाईकोर्ट ने साढ़े छह साल से सजा काट रहे बंदी को दी बड़ी राहत, जानें क्या है पूरा मामला

Sonbhadra Update: बेंच ने माना कि आपराधिक अपील की सुनवाई पूरी होने में देर है। इसलिए मामले के गुण-दोष तथा उसे दी गई सजा पर कोई राय व्यक्त किए बिना, आवेदक जमानत पर रिहा किए जाने का हकदार है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 27 Oct 2024 6:16 PM IST
The High Court granted bail to a prisoner serving sentence for six and a half years
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हाईकोर्ट ने साढ़े छह साल से सजा काट रहे बंदी को दी बड़ी राहत: Photo- Social Media

Sonbhadra Update: कोई व्यक्ति लंबे समय से जेल में बंद है और उसके खिलाफ कोई दूसरा आपराधिक मामला नहीं है तो उसे अपील की सुनवाई के दौरान जमानत दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने इस आधार पर अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले में साढ़े छह साल से जिला कारागार गुरमा में बंद व्यक्ति को बड़ी राहत दी है। वर्ष 2018 का यह प्रकरण पन्नूगंज थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। सजा के विरूद्ध दाखिल की गई अपील और अधिवक्ता की तरफ से पेश की गई दलीलों के आधार पर, जिला कारागार गुरमा में निरूद्ध दोषी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है।

यह था आरोप, इस आधार पर दी गई थी सजा

पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने 16 मार्च 2018 को पन्नूगंज थाने पहुंचकर एक तहरीर दी। आरोप लगाया कि उसके छह वर्षीय बेटे के साथ थाना क्षेत्र के ही विकास मौर्य पुत्र रामबली मौर्य ने खेत घुमाने के बहाने ले जाकर गलत काम किया है। मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के साथ ही, चार्जशीट न्यायालय में भेज दी। प्रकरण को लेकर एक साल से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने विकास को धारा 377 व पाक्सो एक्ट के तहत दोषी पाया तथा 20 वर्ष कठोर कैद और 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई।

बचाव पक्ष ने इन तथ्यों को बनाया आधार

बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल मिश्रा के जरिए सजा के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। साथ ही जमानत की याचना की गई। तीन दिन पूर्व जमानत के बिंदु पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने सुनवाई की। अधिवक्ता एके मिश्र की तरफ से दलील दी गई कि अपीलार्थी छह वर्ष दस माह से जेल में है। जिला कारागार, सोनभद्र की रिपोर्ट के अनुसार छूट सहित पूरी अवधि दस वर्ष से अधिक है।

यह भी कहा गया कि फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट में पीड़िता के कपड़े में कोई शुक्राणु नहीं पाया गया था। मेडिकल रिपोर्ट में कोई ताजा खून नहीं पाया गया है। शिकायतकर्ता और अपीलकर्ता के बीच जमीन को लेकर पहले से विवाद था। पीड़ित ने अपनी गवाही के दौरान कहा था कि उसने बयान इसलिए दिया था क्योंकि उसे उसके पिता ने पढ़ाया था। अपील निस्तारण में देर लगने की संभावना जताते हुए, जमानत की मांग की गई।

कोर्ट ने इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए दी जमानत

बेंच ने माना कि आपराधिक अपील की सुनवाई पूरी होने में देर है। इसलिए मामले के गुण-दोष तथा उसे दी गई सजा पर कोई राय व्यक्त किए बिना, आवेदक जमानत पर रिहा किए जाने का हकदार है। अधिवक्ता एके मिश्रा ने बताया कि हाईकोर्ट ने संबंधित न्यायालय की संतुष्टि के अनुसार समान राशि के दो जमानतदारों सहित व्यक्तिगत बंधपत्र प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।



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Shashi kant gautam

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