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Sonbhadra News: फाइलों तक सिमटी निष्प्रयोज्य खदानों में फ्लाई ऐश भराव की कवायद, गुजर गए डेढ़ साल
Sonbhadra News: प्रदूषण नियंत्रण महकमे का कहना है कि खान विभाग की तरफ से अभी इसको लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।
Sonbhadra News: देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सिंगरौली जोन की सोनभद्र एरिया में बिजली घरों से निकलने वाली राख का निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी पत्थर खदानों में भराव की पहल, अभी फाइलों तक ही सिमटी हुई है। एनजीटी के निर्देश के क्रम में शासन स्तर से चल रही पहल डेढ़ साल बाद भी जहां फाइलों में ही उलझी हुई है। वहीं, सोनभद्र में कितनी पत्थर खदानें निष्प्रयोज्य हैं और किसमें फ्लाई ऐश भरने की जरूरत है? इसको लेकर ही अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। प्रदूषण नियंत्रण महकमे का कहना है कि खान विभाग की तरफ से अभी इसको लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। वहीं, खान विभाग का दावा है कि खदानों के चिन्हांकन की प्रक्रिया जारी है।
मार्च 2022 से चल रही कवायद अभी नहीं चढ़ पाई परवान
बताते चलें कि एनजीटी से मिले निर्देश के क्रम में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ मिशन फार फ्लाई ऐश मैनेजमेंट एंड यूटीलाइजेशन समिति का गठन किया गया था और सोनभद्र तथा झांसी में निष्प्रयोज्य खदानों का चिन्हांकन करते हुए, उसमें फलाई ऐश की बैक फिलिंग को लेकर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। गत चार जुलाई 2023 को इसको लेकर हुई बैठक में भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की तरफ से जरूरी निर्देश देने के साथ ही निष्प्रयोज्य खदानों में फ्लाई ऐश भराव को लेकर चल रही कवायद में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
मुख्य पर्यावरण अधिकारी ने बिजली परियोजनाओं को जारी किया पत्र
गत 13 अक्टूबर को मुख्य पर्यावरण अधिकारी पर्यावरण वृत्त-दो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से भी इसको लेकर सोनभद्र में स्थित यूपीआरवीएनएल, एनटीपीसी, लैंको, हिंडाल्को रेणु पावर को पत्र जारी कर, फ्लाई ऐश निस्तारण की स्थिति और इसको लेकर प्लान-फिजिबिलिटी रिपोर्ट को लेकर जानकारी मांगी गई है। पत्र में खान निदेशालय से सोनभद्र और झांसी में निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी खदानों की सूची भी संलग्न कर भेजे की बात अंकित की गई है। वहीं, जिला खान अधिकारी और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को पत्र भेजकर, फ्लाई ऐश की बैक फिलिंग योग्य खदानों के चिन्हांकन का निर्देश दिया गया है।
फ्लाई ऐश भराव के लिए खदानों के चिन्हांकन के लिए चल रही प्रक्रिया
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह से फोन पर बात की गई तो उनका कहना कि अभी सोनभद्र में फ्लाई ऐश भराव के लिए कितनी खदानें हैं, इसका चिन्हांकन नहीं हो पाया है न ही अभी खान विभाग की तरफ से अभी इसको लेकर कोई जानकारी दी गई है। वहीं, ज्येष्ठ खान अधिकारी राकेश बहादुर सिंह ने कहा कि छह पत्थर खदानें निष्प्रयोज्य पाए जाने की बात उनकी जानकारी में है। इसमें से फ्लाई ऐश की बैक फिलिंग के लिए कौन सी खदान उपयुक्त है कौन सी अनुपयुक्त, इसके चिन्हांकन की प्रक्रिया जारी है।
खदानों में इस तरह किया जाना है फ्लाई ऐश का भराव
बताते चलें कि बिजली परियोजनाओं से हर दिन निकलने वाले लाखों टन कोयले की राख का निस्तारण बड़ी चुनौती बना हुआ है। स्थिति को देखते हुए एनजीटी ने निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी गहरी खदानों में इस फ्लाई ऐश को पर्यावरणीय मानकों के हिसाब से भराव के निर्देश दिए गए हैं। इसी कड़ी में खदानों में गिट्टी-भस्सी मिक्स करते हुए, ऐश का भराव किया जाना है ताकि राख का सुरक्षित निस्तारण हो सके और इसका भूजल पर कोई प्रतिकूल असर न पड़ने पाए।