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Sonbhadra: तूल पकड़ सकता है डिलीट हो चुकी खदानों की डीसीआर का मसला, NGT की सख्ती के बाद हड़कंप
Sonbhadra News: एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली बेंच की तरफ से पिछले दिनों दिए गए निर्देश में, प्रश्नगत खदानों की गहराई और उसके औचित्य की जांच के लिए संयुक्त समिति गठित की गई है।
Sonbhadra News: ओबरा खनन क्षेत्र में वर्ष 2018 में कथित तौर पर डिलीट ठहराई जा चुकी पत्थर खदानों का वर्ष 2021 में नए तरीके से डीसीआर (डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट) का मसला एक बार फिर से गरमाने लगा है। इस बार एनजीटी की तरफ से संबंधित खदानों की गहराई का निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट देने के निर्देश के बाद अंदरखाने खासी हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं, पूर्व में की गई शिकायतों को जिस तरीके से निराधार बताकर खारिज किया गया, उस पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। अब सभी की निगाहें संबंधित खदानों की गहराई को लेकर आने वाले रिपोर्ट पर टिकी हुई है।
जानिए क्यों उठ रहे हैं सवाल और क्या है 2018 से जुड़ा माजरा?
वर्ष 2018 में ई-आक्सन के लिए छह खदानों की सूची (डीसीआर) जारी की गई। इसके आधार पर खंड एक से खंड चार और खंड आठ और नौ के लिए ई-आक्सन की प्रक्रिया अपनाई गई। तत्कालीन समय में महकमे से जुड़े जिम्मेदारों की तरफ से कथित तौर पर यह दावा किया गया कि चूंकि खंड पांच से सात तक की गहराई मानक से अधिक है, इसलिए उसे डिस्ट्रिक्ट सर्वेक्षण रिपोर्ट की सूची से डिलीट कर दिया गया।
वर्ष 2020 में डिलीट खदानों की आई डीसीआर तो उठने लगे सवाल
दिसंबर 2020 में अचानक से खनन विभाग की तरफ से पूर्व में डिलीट बताई जा चुकी खदानों की नई डीसीआर जारी हुई तो सवाल उठने लगे। इस डीसीआर के आधार पर वर्ष 2021 में ओबरा खनन क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित खंड छह से जुड़े आराजी नंबर 4478छ रकबा 2.200 हेक्टेयर, 4949ख रकबा 5.880 हेक्टेयर और खंड पांच से जुड़े 7536ग रकबा 4.900 हेक्टेअर की एरिया खनन पट्टे के लिए अनुमन्य कर दी कई। पहली जनवरी 2022 में इसको लेकर एक शुद्धिपत्र जारी किया गया और डीएफओ ओबरा की तरफ से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए खनन पट्टे के लिए अधिसूचित की गई एरिया/नामकरण से खंड, पांच, खंड छह और खंड सात शब्द हटा दिया गया और आगे इसी आधार पर पट्टा आवंटन की भी प्रक्रिया अपना ली गई।
शिकायतों को निराधार बताते हुए कर दिया गया खारिज
डिलीट बताई गई खदानों को लेकर दिसंबर 2020 में जारी डीसीआर पर सात जनवरी और आठ जनवरी को आराजी संख्या 4949ख, 4471 और 4478 को लेकर तीन शिकायतें डीएम के यहां प्रस्तुत की गई। डीएम की तरफ से तत्कालीन खान अधिकारी से इसको लेकर रिपोर्ट तलब की गई। खान अधिकारी की तरफ से शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि 20 अक्टूबर 2020 को क्षेत्रीय कार्यालय के तत्कालीन भू वैज्ञानिक डा. विजय कुमार मौर्या की तरफ से रिपोर्ट दी गई थी कि पूर्व में सृजित खंड छह 4949 रकबा दो हेक्टेयर और खंड सात 4949ख रकबा दो हेक्टेअर तथा उसके पूर्व दिशा में स्थित मेसर्स अग्रवाल स्टोन वर्क्स जिसकी अवधि समाप्त हो गई है, के कुछ आंशिक भाग को शामिल कर दो खंड की बजाय एक खंड सृजित कर दिया जाए तो क्षेत्रफल 5.8800 हेक्टेअर हो जाएगा और उसमें खनन योग्य उपखनिज उपलब्ध हो जाएगा। गाटा संख्या 4471 के लिए कोई डीसीआर जारी न होने की रिपोर्ट दी गई। वहीं, खंड छह के गाटा संख्या 4478 की जगह, 4949ख की ही रिपोर्ट देकर चुप्पी साध ली गई।
एनजीटी ने दिया गहराई जांचने के निर्देश
हाल में ही एनजीटी में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें 4949ख और 4478 की गहराई के मसले पर सवाल उठाए गए तो एक बार फिर से कथित डिलीट बताई जा चुकी खदानों की नई डीसीआर जारी करने का मसला गरमा उठा। अब एनजीटी की तरफ से संयुक्त समिति गठित करते हुए, मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
इनको दिया गया जांच का निर्देश
एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली बेंच की तरफ से पिछले दिनों दिए गए निर्देश में, प्रश्नगत खदानों की गहराई और उसके औचित्य की जांच के लिए संयुक्त समिति गठित की गई है। इसमेें सदस्य सचिव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, क्षेत्रीय अधिकारी एमओईएफ एंड सीसी, डीएफओ सोनभद्र, डीएम सोनभद्र और डीजीएमएस खान सुरक्षा वाराणसी को शामिल करते हुए, रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।