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Sonbhadra News: जंगल में बकरी चराने गई नौ वर्षीय मासूम से किया था दुष्कर्म, 20 वर्ष कैद की सुनाई गई सजा, न्यायालय के हस्तक्षेप पर दर्ज हुआ था केस:

Sonbhadra News: जुगैल थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नौ वर्षीय मासूम नौ अगस्त 2021 की सुबह 10 बजे अपनी बस्ती के अन्य बच्चों के साथ जंगल में बकरी चराने के लिए गई हुई थी तभी उसके साथ दुष्कर्म हुआ था।

Kaushlendra Pandey
Published on: 7 Jan 2025 5:57 PM IST
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Sonbhadra News: जंगल में बकरी चराने गई नौ वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को 20 वर्ष कैद और 55 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। साढ़े तीन वर्ष पुराने इस मामले में एफआईआर के लिए पीड़ित परिवार को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। अब जाकर दोषी को न्यायालय से सजा सुनाई गई है। प्रकरण जुगैल थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।

विशेष न्यायाधीश पास्को एक्ट ने की प्रकरण की सुनवाई

प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत की तरफ से की गई। मंगलवार को हुई मामलेग की फाइनल सुनवाई के दौरान पत्रावली में उपलब्ध कराए गए साक्ष्य और अधिवक्ताओअं की तरफ से दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्ध पाया गया और दोषी लालबहादुर को 20 वर्ष की कठोर कैद के साथ ही 55 हजार अर्थदंड से दंडित किया गया। न्यायालय ने आदेश दिया कि अर्थदंड अदा न करने की दशा में दोषी को तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद, 55 हजार रुपये में से 40 हजार की रकम नियमानुसार पीड़िता को प्रदान की जाएगी।

यह था मामला, जिसको लेकर आया बड़ा फैसला

अभियोजन कथानक के अनुसार जुगैल थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नौ वर्षीय मासूम नौ अगस्त 2021 की सुबह 10 बजे अपनी बस्ती के अन्य बच्चों के साथ जंगल में बकरी चराने के लिए गई हुई थी। दोपहर एक बजे के वहां लालबहादुर पुत्र हीरालाल निवासी चंचलिया टोला पनारी , थाना जुगैल पहुंचा और नाबालिग को पकड़ लिया। शोर पर पास में बकरी चरा रहे बच्चे वहां आए तो उन्हें मारने के लिए दौड़ा लिया जिससे वह डरकर भाग गए। इसके बाद उसने मासूम के साथ जबरिया दुष्कर्म किशोर किया। पीड़िता के चीखने- चिल्लाने पर कई लोग पहुंचे तो आरोपी जान से मारने की धमकी देता हुआ भाग निकला।

घर पहुंचकर पीड़िता ने सुनाई आपबीती, तब पुलिस को दी गई तहरीर

पीड़ित परिवार के मुताबिक घर आकर पीड़िता ने आपबीती बयां की। इसके बाद उसके पिता ने जुगैल थाने जाकर तहरीर दी। पुलिस अफसरों से भी गुहार लगाई। कोई मदद न मिलती देख 8 सितंबर 2021 को न्यायालय में धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल कर हस्तक्षेप की मांग की। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए 8 अक्तूबर 2021 को न्यायालय ने जुगैल थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। इसके क्रम में 16 अक्तूबर 2021 को एफआईआर दर्ज कर विवेचना की गई।

पुलिस ने प्रकरण में पर्याप्त सबूत मिलने का किया था दावा:

विवेचना के बाद पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए जुगैल पुलिस ने न्यायालय में दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत आरोप पत्र दायर किया जहां लगभग तीन साल तक चली सुनवाई के बाद लालबहादुर को दोषी पाया गया और उसे 20 वर्ष की कठोर कैद तथा 55 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अभियोजन मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह की तरफ से की गई।



Ramkrishna Vajpei

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