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कैमूर वाइल्ड लाइफ ने फिर दोहराया, इको सेंसिटिव जोन में हुआ टोल प्लाजा-आवासीय भवन निर्माण
Sonbhadra News: कैमूर वाइल्ड लाइफ की ओर से दावा किया गया है कि लोढ़़ी में टोल प्लाजा और आवासीय भवन का निर्माण इको सेंसिटिव जोन में किया गया है।
Sonbhadra News: वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर लोढ़ी में एसीपी टोलवेज लिमिटेड की ओर से संचालित टोल प्लाजा और आवासीय भवनों को लेकर मसला और उलझता जा रहा है। पूर्व में संयुक्त समिति की ओर से एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट के साथ ही एक बार फिर से कैमूर वाइल्ड लाइफ की ओर से दावा किया गया है कि लोढ़़ी में टोल प्लाजा और आवासीय भवन का निर्माण इको सेंसिटिव जोन में किया गया है।
सेंसिटिव जोन में निर्माण के लिए प्रस्तावक विभाग की ओर से भारत सरकार या राष्ट्रीय वन्य जीव परिषद की ओर से अनुमति लिए जाने संबंधी कोई अभिलेख प्रभागीय कार्यालय अभिलेख में उपलब्ध नहीं है। वहीं, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय का कहना है कि परियोजना निर्माण में पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। अब लोगों की निगाहें, इस मसले पर जुलाई माह में एनजीटी में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है।
बताते चलें कि अधिवक्ता आशीष चौबे की ओर से एनजीटी में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि वन क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए जो शर्तें तय की गई थीं कि उसकी अनदेखी करते हुए, टोला प्लाजा और आवासीय भवन निर्मित कराए गए हैं। वहीं, टोल प्लाजा की ओर से दाखिल जवाब में आवासीय भवन के निर्माण से इंकार करते हुए, टोला प्लाजा और उससे जुड़े कार्यालय निर्माण की बात स्वीकार गई है और कहा गया है कि जो भी प्रावधान लागू होते थे, उसका पालन करते हुए, जरूरी अनुमति लेते हुए नियमों के मुताबिक निर्माण कराया गया है। जबकि एनजीटी के निर्देश पर गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट थी कि निर्माण इको सेंसिटिव जोन में है। इसको देखते हुए याचिकाकर्ता की ओर से निर्माण को ढहाए जाने की मांग की गई थी।
एनजीटी की ओर से सुनवाई के दौरान सामने आए सभी बिंदुओं को दृष्टिगत रखते हुए, पर्यावरणीय क्षति और निर्माण ढहाए जाने की मांग पर मौके की तथ्यात्मक स्थिति का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद पिछली सुनवाई में पर्यावरण को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं पहुंची। इसको देखते हुए यूपीपीसीबी को पर्यावरण से जुड़े कार्रवाई बिंदु को दृष्टिगत रखते हुए, रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।
नए निर्देश में यह सामने आई परिस्थितियां
पिछली सुनवाई की तारीख पर दिए गए निर्देश के क्रम में यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी की ओर से एनजीटी में जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है उसमें दो रिपोटों/तथ्यों का खास तौर पर जिक्र किया गया है। प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव प्रभाग की ओर से 12 जनवरी 2023 को डीएफओ ओबरा को भेजे गए पत्र का जिक्र किया गया है। पत्र में उल्लिखित है कि कैमूर वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत मारकुंडी ढलान से नची किमी संख्या 76 से 87 तक वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अधीन भारत सरकार द्वारा अनुमति दी गई है। प्रस्तावक विभाग द्वारा ग्राम लोढ़ी में पूर्व से निर्मित वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के बायीं तरफ निर्मित टोल प्लाजा एवं आवासीय कालोनी आदि कैमूर वन्य जीव विहार के इकोसेंसिटिव जोन के अंदर हैं जिसके संबंध में प्रस्तावक विभाग द्वारा भारत सरकार/राष्ट्रीय वन्य जीव से अनुमति लिए जाने से संबंधित अभिलेख प्रभागीय कार्यालय अभिलेखों में नहीं पाया गया।
यूपीपीसीबी की ओर से इस बात का किया जा रहा दावा
24 अप्रैल 2024 को यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डीएफओ कैमूर वाइल्ड लाइफ को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि 19 दिसंबर 2023 को (लोढ़ी टोल प्लाजा और वहां बने आवासीय भवन के मसले पर) हुई मिटिंग में यह जानकारी चाही गई थी इस परियोजना में पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता है कि नहीं? इसके जवाब में भारत सरकार की ओर से जारी अधिसूचना 7एफ में संशोधन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि संबधित परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। सवाल उठता है कि आखिर पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी तो मारकुंडी ढलान नीचे के लिए अनुमति क्यों लेनी पड़ी? फिलहाल अब सभी की निगाहें, इस मसले पर एनजीटी की ओर से आने वाले फाइनल फैसले पर टिकी हुई हैं।