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Sonbhadra Sand Smuggling: बड़ा घोटाला! सोनभद्र से निकली बालू, छत्तीसगढ़ का थमाया परमिट, दावा-कई अफसरों ने दिया संरक्षण, सीएम-मुख्य सचिव से शिकायत
Sonbhadra News Today: सीएम, मुख्य सचिव सहित अन्य को भेजी शिकायत में दावा किया गया है कि बालू तो सोनभद्र से निकाली गई लेकिन परमिट छत्तीसग़ढ़ थमाया गया।
Sonbhadra Sand Smuggling
Sonbhadra News: सोनभद्र में वर्ष 2022 में एक बालू साइट से छत्तीसग़ढ़ की परमिट पर बड़े पैमाने पर बालू तस्करी का आरोप लगाया गया है। सीएम, मुख्य सचिव सहित अन्य को भेजी शिकायत में दावा किया गया है कि बालू तो सोनभद्र से निकाली गई लेकिन परमिट छत्तीसग़ढ़ थमाया गया। महज चंद माह के भीतर 22 सौ से अधिक गाड़ियां परमिट और रिकर्डों की हेरोफेरी कर, बगैर रायल्टी अदायगी के गुजार दी गई। इसको लेकर कई दस्तावेजी साक्ष्य सामने आए।
लगातार होती रही शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई:
ट्रक चालकों-संचालकों ने अफसरों से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला लगातार तूल पकड़ता रहा तो संबंधित पट्टाधारक फर्म, पट्टा अवधि खत्म होने से पहले, ही साइट सरेंडर कर दी गई। तीन वर्ष पूर्व के इस मामले की अब सीएम, मुख्य सचिव सहित अन्य को रजिस्टर्ड डाक से शिकायत भेजने के साथ ही सूचना अधिकार के जरिए कई दस्तावेजी साक्ष्य मिलने के दावे किए जा रहे हैं। इसको देखते हुए, अब इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है? इस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।
खनिज-वन विभाग के अलग-अलग आंकड़े पर उठाए जा रहे सवालः
भेजी गई शिकायत में दावा किया गया है कि प्रभागीय वनाधिकारी, रेणुकूट की तरफ से 28 दिसंबर .2022 को आरटीआई के जरिए दी गई जानकारी में अवगत कराया गया है कि वर्ष- 2022 में (विंढमगंज वन रेंज मार्ग से) पट्टाधारक विरेंद्र सिंह जादौन फर्म मेसर्स आरएसआई स्टोन वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड के कोरगी-पिपरडीह खनन स्थल से बालू लेकर निकले वाहनों से 19 जनवरी .2022 से अभिवहन/ वनमार्ग शुल्क लिया जाना प्रारंभ किया गया। 30 जून 2022 तक पिपरडीह-कोरगी दोनों वनमार्गों से खनिज लदे वाहनों से कुल 4,06,600 रुपये, प्रति वाहन 100 रुपये के हिसाब से की गई। इस अनुपात से इस दरम्यान संबंधित खनन स्थल से कुल 4066 खनिज लदे वाहनों का परिवहन हुआ।
अनरिकर्डेड 2208 वाहनों को कहां से थमाए गए परमिट?
वहीं, खनिज कार्यालय से 22 अगस्त 2022 को आरटीआई के जरिए दी गई जानकारी में अवगत कराया कि संबंधित खनिज स्थल पर खनन कार्य चार जून 2022 से शुरू किया गया और इस अवधि में 1858 वाहनों के लिए ईएमएम-11 प्रपत्र निर्गत किया गया। दावा किया जा रहा है कि वन विभाग और खनिज विभाग दोनों की जानकारी से यह स्पष्ट होता है कि वन विभाग बैरियर से 2208 वाहन ऐसे गुजारे गए, जिनके लिए परमिट संबंधित खनन पट्टास्थल से जारी ही नहीं किया गया। ऐसे में यह वाहन बगैर परमिट गुजारे गए या फिर किसी दूसरे जगहों की परमिट पर, इसकी जांच में उदासीनता क्यों बरती जा रही है? साथ ही वन विभाग और खनिज विभाग दोनों की तरफ से खनन कार्य शुरू होने की बताई गई अलग-अलग तिथियां और उनमें लगभग पांच माह के अंतर को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
कई ने की थी छत्तीसगढ का परमिट थमाए जाने की शिकायतः
दावा किया है कि तत्कालीन समय में कई वाहन संचालकों की तरफ से संबंधित खनन साइट पर छत्तीसग़़ढ़ का परमिट थमाए जाने की शिकायत की गई थी। तत्कालीन अफसरों को संचालकों की तरफ से शपथपत्र भी सौंपा गया था। बारिश काल में भंडारण के नाम पर, कोरगी-पिपरडीह साइट से बालू खनन की शिकायत की गई थी। आरोप है कि बावजूद खनन महकमे के तत्कालीन अफसर-जिम्मेदार, खनन को सही ठहराने में तो लगे ही रहे, छत्तीसग़ढ़ के परमिट के मामले में भी कोई एक्शन लिया गया या नहीं, इसकी भी जानकारी सामने नहीं आई। दावा किया गया है कि कार्रवाई दूर, अवैध खनन की शिकायत के साथ ही, उसका साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने के बावजूद, खान विभाग की टीम ने आल इज ओके की रिपोर्ट दे दी।
दावाः इस तरह होता था छत्तीसगढ़ के परमिट पर परिवहन:
शिकायतकर्ता का दावा है कि तत्कालीन ज्येष्ठ खान अधिकारी के समक्ष ट्रक चालकों-संचालकों की तरफ से की गई शिकायत से बालू/मोरंग तस्करी के आरोपों को बल तो मिलता ही है। आरोप है कि छत्तीसगढ़ का परमिट थमाए जाने से सात आठ घंटे पहले ही संबंधित वाहन का वन विभाग और जिला पंचायत शुल्क की रसीद कटवा दी जाती थी ताकि छत्तीसगढ़ से सोनभद्र तक आने में लगने वाले समय को आसानी से समायोजित कर लिया जाए। दावा किया है कि गैर प्रांत के आईएसटीपी प्रपत्र पर परिवहन कराने की लिखित शिकायत एक वाहन चालक की ओर से 17 जून 2022 को ही तत्कालीन ज्येष्ठ खान अधिकारी को उपलब्ध करा दी गई थी। बावजूद इस गोरखधंधे पर चुप्पी बनी रही।
जिस अवधि में नहीं जारी हुआ परमिट, उस अवधि में हुआ खनन:
आरोप लगाया गया है कि जिस अवधि में खान विभाग की तरफ से परमिट जारी नहीं किया गया, उस अवधि में भी खनन किया गया। इसको लेकर जिला पंचायत और वन विभाग की तरफ से, बालू परिवहन करने वाले वाहनों से वसूले गए शुल्क तथा जारी किए गए रसीद का विवरण आरटीआई से मिलने का दावा किया गया है।
फाइलों में दब गई कार्रवाई के लिए भेजी गई नौ वाहनों की सूचीः
29 नवंबर 2020 को तत्कालीन एसडीएम की तरफ से जारी एक पत्र का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि एसडीएम की तरफ से 28 नवंबर 2020 की रात की गई जांच में नौ वाहन बगैर परमिट परिवहन करते पकड़े गए थे। एसडीएम ने पुलिस से सहयोग न मिलने की बात कहते हुए, पकड़े गए नौ वाहनों की सूची तत्कालीन थानाध्यक्ष चोपन को ह्वाट्सएप पर भेजने का दावा किया था। जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में पांच वाहनों के मूल कागजात कार्यालय में रखने की भी जानकारी दी थी। बावजूद इन वाहनों पर कार्रवाई हुई या नहीं, यह मसला भी फाइलों में गुम होकर रह गया।
कई अफसरों की भूमिका पर उठाया गया है सवाल:
शिकायतकर्ता धीरज सिंह अध्यक्ष उत्तर प्रदेश ट्रक कल्याण समिति की तरफ से तत्कालीन खान सर्वेक्षक सन्तोष पाल की तरफ से कोरगी-पिपरडीह साइट के तत्कालीन पट्टा एरिया से सटे काश्तकार के खिलाफ एफआईआर कराने, कागज पर खनन बंद होने के बावजूद, पट्टा एरिया में हो रहे खनन पर नजर न पड़ने को लेकर आरोप तो लगाए ही गए हैं। प्रकरण में दो ज्येष्ठ खान अधिकारियों के साथ ही, अन्य कई की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाया गया है। वहीं, इस मामले में मौजूदा ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह का फोन पर कहना था कि लगाए जा रहे आरोप या इससे संबंधित प्रकरण उनकी जानकारी में नहीं हैं।