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Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर सोन घड़ियाल सेंचुरी में हो रहा था खनन, एमपी में पट्टा-यूपी में खनन पर दोनों राज्यों से मांगी रिपोर्ट
Sonbhadra News: आवेदक के अधिवक्ता ने केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से आई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि खनन पट्टे वाली एरिया सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य जो एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र है, के एक किमी के भीतर आता है।
Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश सीमा (ठठरा-कुडारी बॉर्डर) पर बालू खनन का मसाला दिन ब दिन गंभीर होता जा रहा है। एनजीटी की तरफ से केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मांगी गई रिपोर्ट में जहां खनन क्षेत्र सोन-घड़ियाल सेंचुरी से जुड़ी एरिया में पाए जाने की पुष्टि हुई है। वहीं, प्रस्तुत किए गए मानचित्र में खनन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा में इंगित होने की स्थिति को देखते हुए, मामले को तथ्यात्मक तौर पर और स्पष्ट करने के लिए, यूपी-एमपी दोनों राज्यों के वन्य जीव वार्डन तथा सदस्य सचिव, एसईआईएए मध्यप्रदेश से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। रंगीन मानचित्र के जरिए खनन की स्थिति दर्शाने के साथ ही भू-निर्देशांक की भी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।
बताते चलें कि एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाले बेंच ने मामले की सुनवाई की। आवेदक के अधिवक्ता ने केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से आई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि खनन पट्टे वाली एरिया सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य जो एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र है, के एक किमी के भीतर आता है। इसको दृष्टिगत रखते हुए मौके पर खनन गतिविधियां तत्काल प्रतिबंधित किए जाने की मांग की। नदी तल की मुख्य धारा में किया जा रहे खनन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है। रेत का पुल बनाकर मुख्य धारा के प्रवाह को बाधित किए जाने के बीच जानकारी दी गई। इस मसले पर प्रतिवादी पक्ष की तरफ से जानकारी दी गई कि खनन पट्टा की अवधि जून 2023 में समाप्त हो चुकी है। आगे कोई खनन नहीं किया जा रहा है।
एनजीटी में दाखिल मानचित्र में खनन क्षेत्र की एरिया यूपी में हो रही प्रदर्शित
बेंच ने पाया कि पेपर-बुक के पृष्ठ संख्या 406, 407 और 420 पर प्रदर्शित मानचित्र दर्शाते हैं कि खनन क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत आता है। इसलिए, इस पहलू को स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है। वहीं निषिद्ध क्षेत्र को और अधिक तथ्यात्मक रूप से स्पष्ट किए जाने की आवश्यकता है। सही स्थिति का पता लगाने के लिए, सदस्य सचिव, एसईआईएए मध्यप्रदेश तथामध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के वन्यजीव वार्डन को निर्देशित किया गया।
दोनों राज्यों के वन्य जीव वार्डन से मांगी गई विस्तृत रिपोर्ट
उन्हें हिदायत दी गई है कि वह अलग-अलग रिपोर्ट में सोन घड़ियाल वन्यजीव अभ्यारण्यकी सीमा से दिए गए खनन पट्टा की दूरी का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें। वह खनन को दर्शाते हुए एक रंगीन नक्शा भी दाखिल करेंगे। इसमें क्षेत्र, वन्यजीव अभयारण्य और पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के साथ-साथ प्रासंगिक भू-निर्देशांक का भी स्पष्ट रूप से जिक्र किया जाएगा। यह भी स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि रेत पुल अभी भी मौजूद है या नहीं और क्या प्रतिवादी संख्या 17 (पट्टाधारक) या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा सोन नदी की मुख्य धारा के भीतर रेत खनन किया गया है।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा कि क्या लीज खनन क्षेत्र सोन घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य का पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के अंतर्गत आता है। साथ ही सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 13.12.2016 का उल्लंघन कर संबंधित क्षेत्र में खनन कार्य न होने पाए। मामले में अगली सुनवाई की तिथि 30 नवंबर तय की गई है।