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Sonbhadra News: आयुष्मान कार्डधारक से इलाज के नाम पर वसूले गए 1.50 लाख, घंटों रोके रखी डेड बाडी, डीएम ने दिखाई सख्ती तब सौंपा शव
Sonbhadra News: मरीज को आयुष्मान कार्ड का झांसा देकर भेजा गया लेकिन भर्ती किए जाने के बाद रूपये की मांग शुरू कर दी गई। डेढ़ साल वसूल भी लिए गए। सवा लाख और.. की मांग पूरी न होने पर मरीज को मरने के लिए छोड़ दिया गया। मृत्यु के बाद डेड बाडी भी घंटों रोके रखी गई।
Sonbhadra News: एक तरफ जहां केंद्र सरकार आयुष्मान कार्ड के जरिए, गरीबों को प्रतिवर्ष पांच लाख का मुफ्त इलाज मुहैया कराने में लगी हुई है। वहीं, जुगाड़ सिस्टम से संचालित अस्पतालों का सिंडीकेट, सरकार की कवायदों पर पानी फेरने में लगा हुआ है। ताजा मामला राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जिला मुख्यालय स्थित कथित सनराइज नामक हास्पीटल में इलाज के लिए लाई गई वृद्धा को अपनी संस्था से जुड़ा अस्पताल वाराणसी में संचालित होने की बात कहते हुए वहां भेज दिया गया।
मृत्यु के बाद डेड बाडी भी घंटों रोके रखी गई
आरोप है कि मरीज को आयुष्मान कार्ड का झांसा देकर भेजा गया लेकिन भर्ती किए जाने के बाद रूपये की मांग शुरू कर दी गई। डेढ़ साल वसूल भी लिए गए। सवा लाख और.. की मांग पूरी न होने पर मरीज को मरने के लिए छोड़ दिया गया। मृत्यु के बाद डेड बाडी भी घंटों रोके रखीगई। सोनभद्र के डीएम की तरफ से मामले को लेकर सख्ती दिखाई गई, तब जाकर शव परिजनों को मिल सका। वहीं डीएम के निर्देश पर, देर शाम शव के पीएम की प्रक्रिया अपनाई जा रही थी।
मूलतः यह प्रकरण कोन थाना क्षेत्र के गिधिया से जुड़ा हुआ है। गिधिया निवासी राजकुमार, देवकुमार, अशोक कुमार ने पुलिस और स्वास्थ्य महकमे को दिए प्रार्थना पत्र में बताया है कि उनकी मां चंपा देवी को गैस और ब्लड प्रेशर की समस्या था। कुछ लोगों की सलाह पर इलाज के लिए उसको लेकर उरमौरा स्थित कथित सनराइज हास्पीटल पहुंचे। वहां मौजूद मिले कथित डा. पाल की तरफ से सलाह दी गई है कि उनसे जुड़ा एक हास्पीटल वाराणसी के अवलेशपुर में स्थित है। वहां, गरीबों का आयुष्मान कार्ड पर मुफ्त इलाज किया जाता है।
आरोप है कि जब, वह उनकी बातों पर भरोसा कर अवलेशपुर स्थित कथित वाराणसी सनराइज हास्पीटल पहुंचे तो वहां, उनकी मां चंपा देवी को भर्ती करने के बाद रूपये की मांग शुरू कर दी गई और इलाज के नाम पर उनसे दो-तीन किश्तों में डेढ़ लाख वसूल लिए गए। इसके बाद सवा लाख की और मांग की गई। असमर्थता जताने पर उनकी मां को मरने के लिए छोड़ गया। मृत्यु के बाद भी पैसे के इंतजार में घंटों डेड बाडी रोके रखी गई। बध्ुावार को परिजन डीएम चंद्रविजय सिंह के यहां पहुंचे। प्रार्थना पत्र सौंपकर हस्तक्षेप की गुहार लगाई। इसको लेकर डीएम की तरफ से सख्ती दिखाई गई तो दोपहर बाद, शव वाराणसी मौजूद परिजनों को सौंप दिया गया। परिजनों का कहना था कि शव सौंपते समय उनसे कई कागजातों पर दस्तखत भी कराए गए।
डीएम के निर्देश पर शव का कराया गया पीएम
वाराणसी से शव लेकर परिजन बुधवार की शाम राबटर्सगंज पहुंचे। यहां उन्होंने सदर कोतवाली पहुंचकर शव का पीएम कराए जाने की मांग की। वाराणसी में मौत होने के चलते प्रथमदृष्ट्या वाराणसी का प्रकरण बताते हुए, पुलिस ने पीएम कराने में असमर्थता जताई तो परिजन देर शाम शव लेकर डीएम के कैंप कार्यालय पहुंच गए। वहां डीएम से मिलकर स्थिति से अवगत गया। परिस्थिति को देखते हुए, डीएम की तरफ से रात में ही पीएम का निर्देश दिया गया। समाचार दिए जाने तक जिला अस्पताल में मृतका के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अपनाई जा रही थी।