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Sonbhadra: सड़कों पर दौड़ रहे 25 हजार से ज्यादा व्यावसायिक वाहन, NGT रिपोर्ट में खुलासा, स्टोन क्रशर प्रदूषण के सही मापन पर फंसा पेंच
Pollution in Sonbhadra: एनजीटी में दाखिल एक याचिका के क्रम में सोनभद्र में 25 हजार से अधिक व्यवसायिक वाहनों को सड़कों पर दौड़ने का नया सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। ये प्रदूषण के बड़े वाहकों में से एक हैं।
Sonbhadra Exclusive: वायु प्रदूषण मसले पर भारत के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र सिंगरौली रीजन (सोनभद्र-सिंगरौली दोनों जनपदों की एरिया शामिल) को लेकर जहां राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) तक जहां हालात पर चिंता जता चुका है। वहीं, एनजीटी में दाखिल एक याचिका के क्रम में सोनभद्र में 25 हजार से अधिक व्यवसायिक वाहनों को सड़कों पर दौड़ने का नया सनसनीखेज खुलासा सामने आया है।
सोनभद्र में इसे प्रदूषण का बड़ा कारण माना गया है। वहीं, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कार्यालय की तरफ से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्यालय भेजी गई रिपोर्ट में, क्रशर फील्ड में भारी वाहनों को प्रदूषण का बड़ा कारण मानते हुए, स्टोन क्रशर जनित प्रदूषण और भारी वाहनों से जनित प्रदूषण के अलग-अलग आंकलन को लेकर एपार्समेंट स्टडी की संस्तुति की गई है।
प्रदूषण पर दाखिल याचिका में क्या?
दरअसल एनजीटी में सोनभद्र में राख प्रदूषण के साथ ही, कोयला तथा स्टोन क्रशर फील्ड जनित प्रदूषण को लेकर एक याचिका दाखिल की गई। जिसके जरिए जिले के लोगों को प्रदूषण से प्रभावी राहत देने तथा अत्यधिक प्रदूषण वाले इलाकों में इसको लेकर अपेक्षित उपाय किए जाने की मांग की गई है। इसके क्रम में जिले से राज्य प्रदूषण बोर्ड के समन्वयन में गठित संयुक्त समिति की तरफ से जो रिपोर्ट एनजीटी को उपलब्ध कराई गई, उसमें इस बात का स्पष्ट जिक्र किया गया है कि सोनभद्र में वर्तमान में 25423 व्यावसायिक वाहन सड़क पर है। दिलचस्प ये है कि यह आंकड़ा सोनभद्र में औसतन रोजाना आवागमन करने वाले व्यवसायिक वाहनों का है। इसमें अगर सीमावर्ती प्रांतों से जब-तब बड़ी संख्या में आने वाले वाहनों को जोड़ दिया जाए, तो और इजाफा देखने को मिल सकता है।
वाहनों का दिया हवाला, क्रशर फील्ड प्रदूषण मापन में फंसा पेंच
newstrack.com के पास जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक जिला मुख्यालय पर स्थित क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी की तरफ से मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त-दो को भेजी गई एक रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि डाला क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति जांची गई तो डाला पुलिस चौकी के पास वायु गुणवत्ता सूचकांक 290.9 पाया गया। यह अधिकतम भारतीय मानक 100 से लगभग तीन गुने के बराबर है। लेकिन, यह प्रदूषण क्रशर प्लांट जनित या फिर भारी वाहनों के आवागमन की देन है। इसको लेकर पेंच फंसा दिया गया है।
भेजे गए पत्र/रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टोन क्रशर जनित और भारी वाहन जनित प्रदूषण के अलग-अलग अध्ययन से ही स्टोन क्रशर जनित उत्सर्जन से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की सही जानकारी सामने आ पाएगी। इसके लिए एपार्समेंट स्टडी की जरूरत जताई गई है। इस मसले को लेकर क्या कार्रवाई चल रही है, इसके बारे में जानकारी के लिए ज्येष्ठ खान अधिकारी राकेश बहादुर सिंह और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह से सेलफोन के जरिए संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
सोनभद्र में राख प्रदूषण वजह
बता दें कि, सोनभद्र में कोयले का असुरक्षित परिवहन और बिजली परियोजनाओं से निकलने वाली राख प्रदूषण का बड़ा कारण तो है ही, स्टोन क्रशर फील्ड में 24 घंटे छाए रहने वाली पत्थर की धूल और हाइवे पर खिली धूप में भी धुंध जैसा नजारा, इस एरिया के बाशिदों का जीवन नारकीय बनाए हुए है। उधर, सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के क्षेत्रीय संयोजक बेचन राम का कहना है कि सोनभद्र में प्रदूषण बड़ा मसला है। यह लोगों के स्वास्थ्य को तेजी से प्रभावित कर रहा है। इस मामले में कागजी जाल में उलझाने से बेहतर होगा कि प्रभावितों को राहत और इस पर नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाय अमल में लाए जाएं।