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Sonbhadra News: सांसद छोटेलाल 'कमकर' या 'खरवार', डीएम चंदौली करेंगे निर्धारण, हाईकोर्ट ने 10 सप्ताह में निबटारे का दिया आदेश
Sonbhadra News: राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के सांसद छोटेलाल खरवार की वास्तविक जाति खरवार है या कमकर... इस पर उठाए जा रहे सवालों की गुत्थी सुलझाने की जिम्मेदारी डीएम चंदौली को सौंपी गई है।
Sonbhadra News: सपा सांसद (राबटर्सगंज संसदीय क्षेत्र) छोटेलाल खरवार की वास्तविक जाति खरवार है या कमकर... इस पर उठाए जा रहे सवालों की गुत्थी सुलझाने की जिम्मेदारी डीएम चंदौली को सौंपी गई है। लोकसभा निर्वाचन के दौरान जताई गई आपत्ति के क्रम में दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की डबल बेंच की तरफ से इसको लेकर गत 17 अक्टूबर को यह निर्णय आया है। डीएम चंदौली को 10 सप्ताह के भीतर प्रकरण के निस्तारण के आदेश दिए गए हैं।
यह था मामला
बताते चलें कि अनपरा क्षेत्र निवासी इंद्रजीत की तरफ से लोकसभा निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान डीएम सोनभद्र और चंदौली को 22 मई 2024 को शिकायती पत्र सौंपा गया था। इसके जरिए सांसद छोटेलाल खरवार की जाति पर सवाल उठाते हुए जाति प्रमाणपत्र निरस्त करने और नामांकन पत्र अस्वीकार किए जाने की मांग की गई थी। नामांकन प्रक्रिया के दौरान जाति प्रमाणपत्र प्रभावी रहने के कारण डीएम सोनभद्र ने लगाए जा रहे आरोपों पर तात्कालिक परिस्थिति में किसी तरह का विचार/निर्णय लेने से इंकार कर दिया था। तब इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
शिकायत पर नहीं हुआ निर्णय तो दाखिल की याचिका
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौबे के मुताबिक याचिका 29 मई 2024 को दाखिल की गई थी जिस पर 13 अगस्त 2024 को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सांसद छोटेलाल खरवार को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर 2024 तिथि नियत की गई थी। आरोप लगाया गया कि छोटेलाल खरवार की तरफ से गलत तथ्यों के आधार पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करया गया है। वास्तव में वह कमकर बिरादरी से आते हैं लेकिन इस तथ्य को छिपाकर जनपद चंदौली से खरवार अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया गया है।
इन मुद्दों को लेकर भी उठाए गए सवाल
याचिका में यह भी जानकारी दी गई है किएससी ऑर्डर 1950 में सीरियल नंबर 48 पर खरवार/खैरवार बिरादरी पूरे उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में आती थी लेकिन एसटी ऑर्डर 1967 अमेंडमेंट 1976 तत्पश्चात पार्लियामेंट द्वारा पारित अमेंडमेंट एक्ट 2002 के आधार पर खरवार/खैरवार को वाराणसी, सोनभद्र, देवरिया, बलिया और गाजीपुर में अनुसूचित जनजाति तथा शेष उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है। बावजूद छोटेलाल खरवार ने गलत तथ्यों के आधार पर खरवार समाज का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र चंदौली से जारी करवा लिया।
डबल बेंच ने की सुनवाई, लिया अहम निर्णय
आर्टिकल 226 के तहत दाखिल याचिका की 17 अक्टूबर 2024 को न्यायमूूर्ति बी सराफ शेखर और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक कुमार चौबे और छोटेलाल खरवार की तरफ से अधिवक्ता एनके पांडेय ने प्रकरण से जुड़े तथ्य और दलील बेंच के सामने रखी। सामने आए तथ्यों के आधार पर याचिका को निर्णीत करते हुए, डीएम चंदौली को आदेशित किया गया कि वह याचिकाकर्ता के शिकायत पत्र/प्रत्यावेदन 22 मई 2024 को लेकर दोनों पक्षों की सुनवाई करें और निर्णय तिथि से 10 सप्ताह के भीतर तर्कसंगत आदेश पारित करें।
यह है खरवार-कमकर का मसला
बता दें कि खरवार जाति को जहां एसटी ऑर्डर 1967 अमेंडमेंट 1976 के तहत प्रदेश के सोनभद्र सहित पांच जनपदों में अनुसूचित जनजाति और यूपी के शेष जिलों में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है। वहीं, कमकर जाति किसी तरह के आरक्षण सूची में शामिल नहीं है। इसे सामान्य जाति के तहत माना जाता है। इसको लेकर खरवार प्रदेश महासभा की तरफ से भी कई बार सवाल उठाया गया है लेकिन अभी तक कमकर बिरादरी को किसी भी आरक्षण पैनल-सूची में शामिल करने का निर्णय सामने नहीं आया है।