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Sonbhadra News: अफसरशाही के जाल में उलझाया एनजीटी का फरमान, UPPCB ने साधी चुप्पी
Sonbhadra News: सोनभद्र में खनन के मामले में हमेशा, इससे जुड़े अफसरों की ही चली है। जल एवं वायु अधिनियम के अंतर्गत बगैर सीटीई/सीटीओ संचालित खदानों की बंदी का आठ माह पूर्व जारी किया गया आदेश अब तक प्रभावी नहीं हो सका है।
Sonbhadra News: प्रदेश में सत्ता किसी की भी हो, सोनभद्र में खनन के मामले में हमेशा, इससे जुड़े अफसरों की ही चली है। जल एवं वायु अधिनियम के अंतर्गत बगैर सीटीई/सीटीओ संचालित खदानों की बंदी का आठ माह पूर्व जारी किया गया आदेश अब तक प्रभावी नहीं हो सका है। पिछले माह यूपीपीसीबी की ओर से एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में, प्रिंसिपल बेंच को अवगत कराया गया है कि डीएम की तरफ से गत एक जुलाई को ही संबंधित खदानों को बंदी का निर्देश जारी करते हुए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। बावजूद अब तक यह बंदी आदेश प्रभावी क्यूं नहीं हुआ, इस सवाल पर यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अफसरों की तरफ से लगातार चुप्पी बनी हुई है।
जानिए क्या है पूरा मामला ?
वर्ष 2022 में अमन चौधरी की तरफ से दाखिल एक याचिका पर एनजीटी की प्रधान पीठ ने यूपी में बगैर सीटीई-सीटीओ संचालित खदानों के बाबत रिपोर्ट तलब की थी और इसको लेकर हो रही अद्यतन कार्रवाई का ब्यौरा मांगा गया था। इसके क्रम में यूपीपीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी की तरफ से जनवरी 2024 में एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में अवगत कराया गया कि कई बार नोटिस दिए जाने के बावजूद सोनभद्र में नौ खदान संचालकों ने वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत लिए जाने वाले सीटीई-सीटीओ अनुज्ञा के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। बेंच को अवगत कराया गया कि सभी नौ खदानों को तत्काल प्रभाव से बंदी के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
एनजीटी ने लिया स्वतः संज्ञान तब गठित हुई टीम
मामले को लेकर लगभग पांच माह तक कागजी खेल चलता रहा। कागजों पर चल रहे वायु प्रदूषण नियंत्रण अभियान को लेकर न्यूजट्रैक की खबर का संज्ञान लेते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपीपीसीबी, सीपीसीबी और डीएम से, बंदी के निर्देश के अनुपालन के स्थिति के बाबत रिपोर्ट तलब की, तब जाकर यूपीपीसीबी के अफसरों की तंद्रा टूटी। डीएम को बगैर सीटीई-सीटीओ आठ खदानों के संचालन की जानकारी देते हुए, पहली जुलाई 2024 को, बंदी का निर्देश प्रभावी बनाने के टीम गठन का निर्देश जारी किया गया। आठ जुलाई को एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल कर इस बात की जानकारी भी दी गई लेकिन इस बंदी के आदेश का क्रियान्वयन कब होगा, इस मसले पर चुप्पी साध ली गई।
इन खदानों से जुड़ा है मामला
सिरसिया ठकुराई स्थित मेसर्स श्रीमती बिंदुमती, ओबरा क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित मेसर्स श्री त्रिपाठी, मेसर्स श्री अजय कुमार सिंह-मेसर्स एकेएस इंडस्ट्रीज, मेसर्स श्री अजय कुमार सिंह, श्री अरूण सिंह यादव से जुड़े मेसर्स महादेव इंटरप्राइजेज, श्री राजीव कुमार शर्मा (बाबा खाटू इंडस्ट्रीज), श्री अमित कुमार मित्तल और श्री अभिषेक कुमार सिंह से जुड़े मेसर्स उन्नति इंटरप्राइजेज की तरफ से संचालित/पक्ष में स्वीकृत खदान को सीटीई-सीटीओ न लिए जाने की जानकारी एनजीटी को दी गई है। यूपीपीसीबी की तरफ से आठ जुलाई 2024 को एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में इन्हीं खदानों की बंदी के लिए एक जुलाई 2024 को डीएम की ओर से टीम गठित किए जाने की जानकारी दी गई है।
इन बिंदुओं पर उठ रहे सवाल
सोनभद्र में संचालित उद्योगों को सीटीओ/सीटीई दिए जाने से संबंधित डिटेल की जानकारी के लिए संबंधित वेबसाइट पर ऑनलाइन जानकारी सर्च की गई तो पता चला कि 10 जनवरी 2024 से 14 अगस्त 2024 के बीच प्रश्नगत खदानों में महज मेसर्स श्रीमती बिंदुमती और बाबा खाटू इंडस्ट्रीज को ही अब तक वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत अनुज्ञा/एनओसी जारी की गई है। इसमें बाबा खाटू को 28 जून 2024 और मेसर्स बिंदुमती को 10 मार्च 2024 को सीटीओ प्रमाणपत्र जारी किए जाने का विवरण दर्ज है। सवाल उठता है कि जब दो को अनुज्ञा जारी की गई थी तो फिर डीएम के समक्ष बंदी के निर्देश को प्रभावी बनाने के लिए फाइल प्रस्तुत करते, इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई और एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट में इस बात का कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया ? शेष को सीटीओ/सीटीई प्रमाणपत्र जारी न होने का ऑनलाइन विवरण दर्ज न होने के बावजूद, इसका संज्ञान क्यूं नहीं लिया जा रहा ?
खनन अधिकारी का दावा, UPPCB के अफसरों की रिपोर्ट गलत
एनजीटी में दाखिल की गई रिपोर्ट और डीएम की तरफ से बंदी को प्रभावी बनाने के दिए गए निर्देश के बाबत फोन पर खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह से जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि जिन खदानों को लेकर यूपीपीसीबी की ओर से बंदी के आदेश दिए गए हैं, उनके लिए बंदी प्रभावी बनाने के निर्देश, के पहले ही सीटीई/सीटीओ जारी किया जा चुका है। खान अधिकारी की तरफ से दी गई जानकारी के क्रम में, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से जानकारी के लिए उनके सेलफोन पर 7839891713 पर कई बार कॉल की गई लेकिन न तो वह कॉल पर ही उपलब्ध हुए, न ही डीएम की तरफ से बंदी प्रभावी बनाने के लिए जारी किए गए पत्र और खान अधिकारी की तरफ से दिए गए दावे के बारे में ही कोई जानकारी उपलब्ध कराई गई। इसको लेकर किए गए मैसेज पर भी उनके द्वारा चुप्पी साध ली गई।