TRENDING TAGS :
Sonbhadra: प्रदूषण को लेकर NGT सख्त, कार्रवाई का दिया निर्देश, UPPCB से तलब की नई रिपोर्ट
Sonbhadra: जिले की लाइफलाइन का दर्जा रखने वाले वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर फ्लाईऐश और कोयले के असुरक्षित परिवहन को लेकर एक बार फिर से एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सख्त रवैया अपनाया है।
Sonbhadra News: जिले की लाइफलाइन का दर्जा रखने वाले वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर फ्लाईऐश और कोयले के असुरक्षित परिवहन को लेकर एक बार फिर से एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सख्त रवैया अपनाया है। इसको लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, महज डायरेक्शन की बात को दरकिनार कर दिया गया है। याचिकाकर्ता की तरफ से दलीलों को देखते हुए, जहां सिर्फ निर्देश नहीं, कार्रवाई की हिदायत दी गई है। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पूर्व में प्रभावी एक्शन के दिए गए निर्देश के क्रम में, प्रदूषण नियंत्रण और स्थिति को लेकर यूपीपीसीबी से नई रिपोर्ट तलब की गई है।
बताते चलें कि राख के असुरक्षित परिवहन के मसले पर अनपरा निवासी पंकज मिश्रा ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर रखी है। उनकी दलील है कि राख और कोयले के असुरक्षित परिवहन से सड़क पर जहां कोयला और राख का जगह-जगह ढेर गिर रहा है। वहीं, इससे फैलने वाला प्रदूषण जिले के एक बड़ी आबादी को प्रदूषणजनित बीमारियों का दंश झेलने के लिए विवश किए गए हैं। उन्होंने याचिका में सोनभद्र और सिंगरौली की 30 वर्गकिमी एरिया को, इसका सेंसिटिव जोन बताया है।
NGT ने मांगा था मामले की एक्शन रिपोर्ट
एनजीटी ने इस मामले में यूपीपीसीबी और एमपीपीसीबी के साथ ही, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से यूपी के सोनभद्र और मध्यप्रदेश के सिंगरौली से होने वाले राख-कोयला परिवहन, इससे फैलने वाले प्रदूषण औन उसके नियंत्रण के अपनाए जा उपायों तथा अपनाए जाने वाले उपायों की जरूरत के बाबत विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी। इसको लेकर एमपीपीसीबी की तरफ से गत 19 दिसंबर को और यूपीपीसीबी की तरफ से 30 दिसंबर को एनजीटी में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। वहीं, एमओईएफसीसी की तरफ से भी 30 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल की गई।
सुनवाई के दौरान इन तथ्यों पर हुई चर्चा
चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली एनजीटी की मुख्य पीठ ने पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई की। पाया कि कोयला, फ्लाई ऐश आदि ले जाने वाले ट्रक अपने निचले हिस्से में अटक गए टुकड़े और सड़क पर हर टक्कर या गड्ढे से परिवहन के चलते, इसके कुछ न कुछ अंश को सड़क पर गिराते रहे जो संबंधित एरिया में प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। सोनभद्र और सिंगरौली के सीमावर्ती 30 किमी एरिया में फ्लाई ऐश भंडारण की जानकारी दी गई। बेंच को बताया गया कि सोनभद्र के पर्यावरण में प्रदूषण को सहने की कितनी क्षमता रह गई है, इसके मूल्यांकन और मापदंड निर्धारण का काम एनईईआरआई को सौंपा गया है। फ्लाई ऐश का खुले ट्रकों से परिवहन, असुरक्षित भंडारण स्वीकारते हुए इसको लेकर कई जरूरी निर्देश दिए जाने और मानदंडों का पालन कराए जाने की बात कही गई।
याचिकाकर्ता ने उठाई मांग, प्रदूषण के जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई
मामले की सुनवाई के दौरान आवेदक की तरफ से वर्चुअल माध्यम से बेंच को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अवगत कराया गया कि फलाई ऐश अभी भी उनके घर के सामने सड़क पर पड़ी हुई है और जो ट्रक फ्लाई ऐश का परिवहन कर रहे हैं, वह प्रदूषण फैला रहे है। कहा कि यूपीपीसीबी ने इस संबंध में केवल अस्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। दलील दी कि अगर एक बार यह बात स्वीकार कर ली जाती है कि खुले ट्रक से हो रहा राख परिवहन प्रदूषण फैला रहा है तो इसके जिम्मेदारी तय करते, हुए, जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। यूपीपीसीबी के अधिवक्ता ने कहा कि इसे रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की जाएगी। याचिककर्ता की तरफ से दी गई दलीलों का जवाब देने के लिए समय भी मांगा।
यूपीपीसीबी से रिपोर्ट और आवेदन से प्रतिक्रिया की गई तलब
आवेदन और यूपीपीसीबी दोनों दलीलों को ध्यान में रखते हुए, एनजीटी ने यूपीपीसीबी को निर्देश किया किया आवेदन द्वारा उठाए गए सवालों और की गई टिप्पणियों के क्रम में चार सप्ताह के भीतर एक नई रिपोर्ट दाखिल की जाए। वहीं, आवेदक को निर्देशित किया कि यूपीपीसीबी, एमपीपीसबी और एमओईएफसीसी की तरफ से दाखिल रिपोर्ट पर सुनवाई की अगली तारीख एक मार्च 2024 से एक सप्ताह पहले प्रतिक्रिया दाखिल कर दी जाए।