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Sonbhadra: प्रदूषण मामले में Newstrack की खबर का NGT ने लिया संज्ञान, मांगा जवाब
Sonbhadra News: इस बारे में जब क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से फोन के जरिए जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि इस मामले में अभी वह उच्चाधिकारियों से इस मामले में निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
Sonbhadra News: वायु प्रदूषण नियंत्रण के नियमों, मानकों की अनदेखी कर जिले में संचालित हो रहे नौ खनन पट्टों के बंदी का आदेश फाइलों में सिमटे होने का मामला एनजीटी की प्रधान पीठ के सामने जा पहुंचा है। गत 24 मार्च को न्यूजट्रैक की तरफ से, फाइलों में सिमटा यूपीपीसीबी का प्रदूषण नियंत्रण अभियान.. शीर्षक से चलाई गई खबर का एनजीटी की ओर से स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलाधिकारी से जवाब मांगा गया है। यूपीपीसीबी की ओर से जारी बंदी का निर्देश अब तक प्रभावी क्यों नहीं किया गया, इसको लेकर भी, यूपीपीसीबी सहित अन्य को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए गए हैं।
बताते चलें कि एनजीटी में वर्ष 2022 में दाखिल एक याचिका के परिप्रेक्ष्य में राज्य प्रदूषण नियत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी वृत्त दो की तरफ से गत 17 अक्टूबर 2023 को यूपी के अन्य जनपदों के साथ ही, सोनभद्र के नौ खनन पट्टों का संचालन तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश जारी किया गया था। कहा गया था कि जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21 के शर्तों की पूर्ति किए गए बगैर खदान संचालन किए जाने के कारण यह निर्देश जारी किया जा रहा है। निर्देश के प्रभावी अनुपालन की जिम्मेदारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय को सौंपी गई है। वहीं, खान विभाग सहित अन्य को पत्र भेज चिन्हित खदानों का अनुज्ञा पत्र निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। इस बारे में जब क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता से फोन के जरिए जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि इस मामले में अभी वह उच्चाधिकारियों से इस मामले में निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेते हुए गत 22 को एनजीटी की चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली प्रधानपीठ ने मामले की सुनवाई की। कहा कि यह समाचार पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, जल (रोकथाम और नियंत्रण) प्रदूषण) एसीई, 1974, और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम से जुड़े प्रावधानों के उल्लंघन का संकेत देता है। समाचार पर्यावरण मानदंड के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दा उठाता है। इसलिए इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रकरण में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के उपनिदेशक, क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ सदस्य सचिव यूपीपीसीबी, सदस्य सचिव सीपीसीबी और जिलाधिकारी को पक्षकार नामित किया जाता है। पीठ ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए, मामले की सुनवाई के लिए 11 जुलाई 2024 की तिथि मुकर्रर की है। साथ ही, इस मामले को पूर्व में चल रहे मामले के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।
इन-इन खनन पट्टों की बंदी का जारी किया गया था निर्देश
यूपीपीसीबी की ओर से सिरसिया ठकुराई में बिंदुवती देवी के नाम संचालित पत्थर खदान, ओबरा तहसील क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी में गाटा संख्या 7536ग में संचालित चार हेक्टेयर एरिया का पत्थर खनन, मेसर्स श्री महादेव इंटरप्राइजेज, गाटा संख्या 4949ख, एरिया 5.880 हेक्टेअर, प्रोपराइट अरूण सिंह यादव के नाम जारी पत्थर खनन पट्टा, अजय कुमार सिंह के नाम गाटा संख्या 7536 ग में जारी चार हेक्टेयर के पत्थर खनन पट्टा, ओबरा तहसील क्षेत्र के ससनई में सोन नदी में अभिषेक कुमार सिंह की फर्म मेसर्स उन्नति इंजीनियिरंग के नाम गाटा संख्या 221छ में 18.215 हेक्टेअर के लिए जारी बालू खनन पट्टा, मेसर्स एकेएस इंडस्ट्रीज प्रोपराइटर अजय कुमार सिंह के नाम दुद्धी तहसील क्षेत्र के जाताजुआ में गाटा नंबर 2ग में जारी 1.670 हेक्टेअर पत्थर खनन पट्टा, लखनऊ के रहने वाले राजीव कुमार शर्मा के नाम ओबरा तहसील क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी स्थित एरिया 1.80 हेक्टेअर की खदान और बारी डाला निवासी अमित मित्तल की मेसर्स अमित इंटरप्राइजेज के नाम बिल्ली-मारकुंडी खंड नंबर आठ रकबा 4.230 हेक्टेअर में संचालित पत्थर खनन पट्टा का संचालन तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश जारी किए गए थे।