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Sonbhadra News: लाखों टन कोल डंपिंग का एनजीटी को देना होगा ब्यौरा, एनसीएल, रेलवे और यूपीपीसीबी को दिए गए निर्देश, रेलवे साइडिंग पर अनियमित भंडारण का मामला
Sonbhadra News: पूर्व मध्य रेलवे के कृष्णशिला रेलवे कोल साइडिंग पर लाखों टन कोयले की अनियमित डंपिंग मामले की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की तरफ से नए सिरे से (मौजूदा स्थिति की) रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निदेश दिए गए है।
Sonbhadra News: पूर्व मध्य रेलवे के कृष्णशिला रेलवे कोल साइडिंग पर लाखों टन कोयले की अनियमित डंपिंग मामले की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की तरफ से नए सिरे से (मौजूदा स्थिति की) रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निदेश दिए गए है। सेटेलाइट और ड्रोन से ली गई तस्वीरों के साथ मौके की मौजूदा स्थिति, कोयला खरीदारों का विवरण और प्रदूषण मानक की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। संबंधितों को 18 अप्रैल से पहले यह रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल कर देनी होगी।
- मौके पर 30 हजार करोड़ के कोयले का पाया गया था भंडारण:
बताते चलें कि 30 जुलाई 2022 को कृष्णशिला रेलवे साइड पर कोयले का बड़ा अवैध भंडारण पाया गया था। तात्कालिक तौर पर इस भंडारण की मात्रा एक मिलियन टन आंकी गई थी और इसको लेकर 13 दावेदारों को लगभग आधा कोयला रिलीज कर दिया गया था। बाद में जब यह मामला अधिवक्ता अभिषेक चौबे के जरिए एनजीटी में पहुंचा तो संयुक्त समिति की रिपोर्ट में कोयले की मात्रा लगभग तीन मिलियन टन अनुमानित की गई, जिसकी बाजारू कीमत एनजीटी की तरफ से 30 हजार करोड़ आंकी गई। वादी की तरफ से मामले से खुद को अलग किए जाने के बाद, एनजीटी ने स्वतः संज्ञान का मामला निर्धारित करते हुए सुनवाई जारी रखी।
- रिलीजिंग के बाद 1,29,236.85 टन कोयला मौके पर पड़े होने की दी गई थी रिपोर्ट
25 मार्च 2023 को इसको लेकर जो रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी गई उसमें बताया गया कि जो दावेदार सामने आए थे, उनके दावे का अवलोकन कर लगभग आधा कोयला रिलीज कर दिया गया है। अभी भी मौके पर 45 से 50 फीसद कोयला पड़ा हुआ है, जिसकी मात्रा 1,29,236.85 एमटी आंकी गई। वहीं कोयले में स्वतः से लगी आग के चलते खासा नुकसान बताया गया। गूगल सेटेलाइज इमेज के जरिए यह दावा किया गया कि कृष्णशिला में लगातार कोयले की डंपिंग जारी थी। मौके पर वायु प्रदूषण की मात्रा मानक से लगभग पांच गुना अधिक रिकार्ड की गई थी।
- एनसीएल ने रेलवे-कोयला खरीदारों को ठहराया है जिम्मेदार
रिपोर्ट के साथ यूपीपीसीबी ने अनियमित भंडारण और प्रदूषण के लिए एनसीएल को जवाबदेह ठहराते हुए, 4.43 करोड़ की क्षतिपूर्ति अधिरोपित की गई थी। वहीं, एनजीटी ने मौके की स्थिति को देखते हुए इसे 10 करोड़ कर दिया था। एनसीएल बीना ने सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय की अपील की और इसके लिए रेलवे और खरीदारों को जिम्मेदार ठहराया। इसके क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएल पर दो करोड़ की देनदारी तय की, जिसे पिछले दिनों अदा कर दिया गया।
- सुनवाई के बाद एनजीटी की तरफ से यह दिए गए निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आए निर्णय और एनसीएल की तरफ से किए गए कथन के परिप्रेक्ष्य में चार दिन पूर्व न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और एक्सपर्ट मेंबर डा.अए सेंथिल की बेंच ने मामले की सुनवाई की। एनसीएल बीना और पूर्व मध्य रेलवे को निर्देशित किया कि मौके पर किन खरीदारों ने कोयला डंप किया। मौके की स्थिति के बाबत सेटेलाइट और एरियल फोटोग्राफ्स के साथ शपथपत्र भी दाखिल करने के लिए कहा गया है। साथ ही एनसीएल बीना को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर, मौके पर प्रदूषण की स्थिति, की निगरानी करते हुए उसे रिकार्ड करने और उसे शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही पूर्व मध्य रेलवे से कोयले का सही भंडारण सुनिश्चित करने और मौके की वायु गुणवत्ता बेहतर बनाए रखने के लिए उठाए गए कदम की रिपोर्ट मांगी गई है।
- डंपिग में इन-इन कंपनियों/फर्मों का सामने आ चुका है नाम
बताते चलें कि अब तक इस मामले में खरीदार के रूप में मध्यप्रदेश के एमबी पावर, जयप्रकाश पावर वेंचर, मैहर कोल रिसोर्स प्राइवेट लिमिटेड, पंजाब के तलवांडी साबो पावर, न्यू देलही के आनंद ट्रिपलेक्स बोर्ड, वर्टिगो इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, उड़ीसा के आरती स्टील लिमिटेड, काई इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, श्याम मेटालिक्स एंड एनर्जी लिमिटेड, कोलकाता के रश्मि मेटालिक्स लिमिटेड, राजस्थान की बिरला कॉरपोरेशन, यूपी के सहारनपुर की स्टार पेपर मिल्स, चंदासी मंडी की फर्म आरजी ट्रेडलिंग प्राइवेट लिमिटेड को भंडारित कोयले का खरीदार पाया गया है और पाए गए भंडारण का एक बडा हिस्सा उन्हें रिलीज किया जा चुका है।