Sonebhadra News: प्रदूषित पानी के सेवन से बीमारी-मौतों पर NHRC गंभीर, आठ सप्ताह के भीतर कड़े एक्शन के निर्देश

Sonebhadra News: सोनभद्र का एक बड़ा इलाका प्रदूषण जनित बीमारियों की मार से कराह रहा है। फ्लोराइड जनित फ्लोरोसिस बीमारी जहां लोगों के दांतों, हड्डियों को गलाने में लगी हुई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 14 Jun 2024 8:06 AM GMT
Sonebhadra News
X

Sonebhadra News (Pic: Newstrack)

Sonebhadra News: सोनभद्र के प्रदूषण प्रभावित इलाकों में फ्लोराइड जनित फ्लोरोसिस से फैल रही विकलांगता, मरकरी, आर्सेनिक एवं अत्यधिक आयरन युक्त पानी पीने से हो रही बीमारी और बीमारियों के चलते हो रही मौतों पर एनएचआरसी (राष्ट्रीय मानवाधिकसार आयोग) ने कड़ा रूख अपनाया है। की गई शिकायत को गंभीरता से लेते हुए, जिलाधिकारी को प्रदूषण और बीमारी नियंत्रण के लिए अविलंब जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। आठ सप्ताह के भीतर कड़े एक्शन के लेने के साथ ही, की गई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए कहा गया है।

यह की गई थी शिकायत

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपाशंकर पनिका की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी शिकायत में अवगत कराया गया है कि म्योरपुर ब्लॉक के विभिन्न गांवों में फ्लोराइड, मरकरी, आर्सेनिक और अत्यधिक आयरन युक्त पानी लोगों को अकाल मृत्यु की ओर धकेल रहा है। रिहंद के तटवर्ती इलाके के कई गांवों में ग्रामीण को बरसाती नालों, कच्चे कुओं, चुआड और रिहंद बांध का पानी पीने के लिए मजबूर हैं। डड़ियरा, रासपहरी, कुसम्हा, गोविंदपुर आश्रम जैसे इलाकों में फ्लोरोसिस से कई परिवार विकलांग हो गए हैं। डड़ियारा गांव में एक ही परिवार के दो सगे भाई कपिल देव यादव, किशुन देव यादव ओर उनकी मां मोहनी फ्लोरोरिसिस की चपेट में आकर जिंदगी-मौत से जूझ रही हैं। इसी गांव की 13 वर्षीय खुशबू पुत्री हुकुमचंद के आंखों की 80 फ़ीसद रोशनी चली गई है। शुद्ध पेयजल के लिए स्थापित ज्यादातर आरओ प्लांट, फिल्टर प्लांट खराब हैं। फ्लोरोसिस रिमूवल प्लांट बेकार पड़े हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डाक्टर, ईसीजी, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, प्रमुख पैथोलॉजी जांच आदि का अभाव है।


संबंधित अधिकारी के जरिए कराएं कड़ी कार्रवाई

एनएचआरसी के अनुभाग अधिकारी पंकज कुमार ने जिलाधिकारी को भेजे निर्देश में अवगत कराया है कि 24 मई 2024 को भेजी गई शिकायत आयोग के समक्ष 13 जून 2024 को रखी गई थी। इसको लेकर आयोग ने निर्देश दिया है कि यह शिकायत समुचित कार्रवाई के लिए संबंधित प्राधिकारी को प्रेषित की जाएगी। संबंधित प्राधिकारी को शिकायतकर्ता/पीड़ित को शामिल करते हुए 8 सप्ताह के भीतर प्रभावी कार्रवाई करते हुए, की गई कार्रवाई से अवगत कराना होगा।


निगरानी तंत्र की उदासीनता किए-कराए पर फेर रहा पानी

बताते चलें कि सोनभद्र का एक बड़ा इलाका प्रदूषण जनित बीमारियों की मार से कराह रहा है। फ्लोराइड जनित फ्लोरोसिस बीमारी जहां लोगों के दांतों, हड्डियों को गलाने में लगी हुई है। वहीं, कई इलाकों में मरकरी और आर्सेनिक की अधिकता कैंसर के साथ ही त्वजा से जुड़ी गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण बनी हुई है। आयरन की अधिकता पेट संबंधी दिक्कत पैदा कर रहा है सो अलग। इसको लेकर जहां, एनजीटी और शासन की ओर से कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं। वहीं, जिला प्रशासन की ओर से कई कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण और इससे राहत के लिए अपनाए जाने वाले उपायों के निगरानी के लिए स्थापित तंत्र और उससे जुड़े अधिकारियों की उदासीनता, सारे किए-कराए पर पानी फेरे हुए हैं। हालत यह है कि जहां सोनभद्र की आबोहवा दिन ब दिन जहरीली होती जा रही है। वहीं, शुद्ध पेयजल जैसा मसला अभी भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है।




Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story