Sonbhadra News: स्कूल में होना चाहिए किचन गार्डन, करवा रहे धान की खेती, वीडियो वायरल

Sonbhadra News: बेसिक शिक्षा परिषद के कंपोजिट विद्यालय खरूआंव परिसर में परिसर के एक हिस्से में लंबे समय से धान की खेती की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वह सिर्फ इतना जानते हैं कि यहां तैनात गुरूजी पिछले कई सालों से धान की खेती करवा रहे हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 15 Sep 2024 2:36 PM GMT (Updated on: 15 Sep 2024 2:36 PM GMT)
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Sonbhadra News: जिस स्कूल में किचन गार्डन होना चाहिए, वहां धान की खेती हो रही है। वह भी एक-दो साल से नहीं, पिछले चार सालों से यह क्रम चल रहा है। रविवार को जब इसका वीडियो वायरल हुआ तो तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। प्रकरण घोरावल शिक्षा क्षेत्र के खरूआंव गांव से जुड़ा है। जिस विद्यालय का यह वीडियो बताया जा रहा है, वहां यानी एक ही विद्यालय में पिता-पुत्र दोनों की शिक्षक के रूप में तैनाती की चर्चा है। बताते हैं कि बेसिक शिक्षा परिषद के कंपोजिट विद्यालय खरूआंव परिसर में परिसर के एक हिस्से में लंबे समय से धान की खेती की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि वह सिर्फ इतना जानते हैं कि यहां तैनात गुरूजी पिछले कई सालों से धान की खेती करवा रहे हैं। इसके लिए पास में रहने वाले एक व्यक्ति के जरिए बंटाई पर खेती कराई जाती है। इसकी सिंचाई के लिए, विद्यालय में ही लगे समरसेबल का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रधान प्रतिनिधि का दावाः बंटाई पर गुरूजी करा रहे खेती

इस प्रकरण को लेकर प्रधान प्रतिनिधि रामसूरत यादव से फोन पर जानकारी चाही गई तो उनकी जानकारी में पिछले चार साल से यह खेती कराई जा रही है। यह कैसे और किस व्यवस्था के तहत खेती कराई जा रही हैं, इसकी जानकारी उन्हें या प्रधान को नहीं है। जो उनके पास जानकारी है, उसके मुताबिक वह खेती विद्यालय के पास में रहने वाले एक व्यक्ति के जरिए बटाई पर कराई जा रही है। बटाई में मिलने वाली फसल का उपयोग विद्यालय यानी मध्यान्ह भोजन की बजाय गुरू जी द्वारा ही किया जाता है। पिता-पुत्र दोनों के यहां शिक्षक के रूप में भी तैनात किए जाने की बात उन्होंने स्वीकारी।

बीईओ ने नेटवर्क प्राब्लम बता काट ली कन्नी

उधर, इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी अशोक सिंह से फोन पर जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि धान की खेती किचन गार्डेन के तहत की जा सकती है लेकिन इससे होने वाले आय को विद्यालय और बच्चों पर खर्च करना होता है। प्रधान प्रतिनिधि द्वारा बताई गई बातों पर उनसे फोन पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने नेटवर्क प्राब्लम बताते हुए कन्नी काट ली। इस बारे में बीएसए से भी संपर्क साधा गया लेकिन बात नहीं हो पाई। ग्राम पंचायत अधिकारी नरेश सिंह से जानकारी चाही गई तो उन्होंने फोन पर बताया कि पिछले वर्ष किचन गार्डेन के लिए क्यारी तैयार कराई गई, इस वर्ष के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है।

जानिए क्या है विद्यालयों से जुडे किचन गार्डेन का माजरा:

बताते चलें कि शासन स्तर से वर्ष 2020 में किचन गार्डेन को लेकर निर्देश जारी किए गए थे। इसके लिए जिला बेसिक शिक्षाधिकारी के माध्यम से विद्यालयों का चयन कर किचन गार्डन विकसित कराया जाना था। इसके लिए मनरेगा से जेई द्वारा टेक्निकल इस्टीमेट तैयार कर, सक्षम स्तर पर अनुमोदन कराना था। वहीं, पंचायत सचिव को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि प्रधानाध्यापक से समन्वय स्थापित कर कार्य को पूर्ण कराएं। साथ ही इसके जरिए उत्पादित होने वाली वस्तुओं का दोपहर भोजन में उपयोग करते हुए, संबंधित रजिस्टर पर प्रधान और प्रधानाध्यापक दोनों की जानकारी में इसका अंकन करना था। बता दें कि मिड-डे-मिल के लिए अनाज की आपूर्ति जहां सरकारी कोटे के दुकान से की जाती है। वहीं, सब्जी एवं अन्य जरूरत की सामग्री के लिए, प्रधानाध्यापक-प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से, संबंधित खाते से धन की निकासी की जाती है।

Shalini singh

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