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Sonbhadra News: एक और बुजुर्ग को मृत दिखा रोक दी गई पेंशन, स्वयं को जिंदा साबित करने के लिए काट रहा दफ्तरों का चक्कर

Sonbhadra News: बभनी इलाके के नधिरा गांव में भी एक बुजुर्ग को मृत दिखाकर पेंशन रोक देने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 24 Nov 2024 7:51 PM IST
Another elderly man found dead stopped pension, cutting offices to prove himself alive
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एक और बुजुर्ग को मृत दिखा रोक दी गई पेंशन, स्वयं को जिंदा साबित करने के लिए काट रहा दफ्तरों का चक्कर: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: जिंदा रहते समय मृत दिखाकर पेंशन रोकने, राशन कार्ड गायब कर सरकारी कोटे से मिलने वाले राशन से वंचित करने और अंततः आर्थिक तंगी से जूझ रहे शक्तिनगर इलाके के चिल्काटांड़ निवासी कांता पांडेय की मौत मामले को लेकर जहां अभी कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है। वहीं, बभनी इलाके के नधिरा गांव में भी एक बुजुर्ग को मृत दिखाकर पेंशन रोक देने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

बताते हैं कि बभनी ब्लाक के नधिरा निवासी अनुसूचित वर्ग के 65 वर्षीय दूधनाथ दो वर्ष पूर्व वृद्धा पेंशन के लिए पात्र पाए गए थे। एक वर्ष तक उन्हें पेशन भी मिली लेकिन सत्यापन की बारी आई तो सत्यापनकर्ता अधिकारी की तरफ से उन्हें मृत दिखा दिया गया। पेंशन बंद होने के चार माह बाद उन्हें, इसकी जानकारी तब हुई जब उन्होंने अपने पेंशन आईडी की स्थिति ऑनलाइन चेक कराई। अब वह स्वयं को जिंदा साबित करने और इसके आधार पर पेंशन बहाली के लिए दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं।


मंत्री के तेवर भी नहीं दिला पा रहा पीड़ितों को मदद

बता दें कि दो दिन पूर्व जिले में आए मंत्रियों ने ऐसी स्थिति को लेकर नाराजगी जताई है और जिंदा को मृत दिखाने के मामले में कार्रवाई करते हुए, सामने आ रहे प्रकरणों की जांच कराकर पीड़ितों को मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था। अभी इस मामले में जहां अभी कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है। मौत के 10 दिन बाद प्रशासनिक तंत्र से जुड़ा कोई व्यक्ति कांता के यहां संवेदना के दो शब्द व्यक्त करने नहीं पहुंच सका है। वहीं, अब दूधनाथ का मामल सामने आने के बाद, ऐसे कितने मामले हैं, इसकी चर्चाएं तेज हो गई हैं।


दूरी-आर्थिक तंगी के चलते प्रकाश में नहीं आ पाते कई मामले

बताया जा रहा है कि जिले के एक बड़े हिस्से की जिला मुख्यालय से अच्छी-खासी दूरी होने के कारण जहां ज्यादातर बुजुर्ग अपनी फरियाद लगाने जिला मुख्यालय नहीं पहुंच पाते। वहीं आर्थिक तंगी के चलते भी उन्हें फरियाद लगाने के लिए पहुंचने में दिक्कत आती है। जो लोग पहुंचते भी हैं, उसमें कई नाम ऐसे हैं जो दफ्तर का चक्कर दर चक्कर लगाने की स्थिति को देखते हुए, सब कुछ नियति के भरोसे छोडकर बैठ जाते हैं।


कार्रवाई न होने से सत्यापन में मनमानी जारी

बताते चलें कि सत्यापन में जिंदा को मृत दिखाकर पात्रों को योजना के लाभ से वंचित करने का खेल पुराना है। चूंकि ऐसे मामलों में सत्यापनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती थी, इसलिए सत्यापनकर्ता अधिकारी या तो घर बैठे-बैठे सत्यापन सूची फाइनल कर देते हैं या फिर ग्रामीण राजनीति से जुड़े चहेते की तरफ से दी गई सूची को ही फाइनल मानकर अपनी मुहर लगा देते हैं।

बता दें कि दो दिन पूर्व जिले में आए जलशक्ति मंत्री ने जहां ऐसे मामलों की जांच कराकर कार्रवाई की बात कही थीं। वहीं, जिले के प्रभारी मंत्री ने जिंदा को मृत दिखाकर पात्रों को योजना के लाभ से वंचित करना अक्षम्य बताते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।



Shashi kant gautam

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