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Sonbhadra News: 12 इकाइयों की बंदी से लडखड़ाया विद्युत उत्पादन, 5500 मेगावाट बिजली की उपलब्धता प्रभावित, मांग के बावजूद आपात कटौती जारी
Sonbhadra News: अनपरा परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं की 12 इकाइयां बंद रहने से लगभग 5500 मेगावाट विद्युत उपलब्धता सीधे तौर पर प्रभावित हुई।
Sonbhadra News: राज्य सेक्टर सहित ज्वाइंट वेंचर वाले बिजली परियोजनाओं की कई इकाइयों के बंद होने से विद्युत उत्पादन लड़खड़ा गया है। शनिवार को अनपरा परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं की 12 इकाइयां बंद रहने से लगभग 5500 मेगावाट विद्युत उपलब्धता सीधे तौर पर प्रभावित हुई।
बंद चल रही इकाइयों में राज्य सेक्टर की आधा दर्जन इकाइयां होने से सस्ती बिजली की उपलब्धता पर भी खासा असर पड़ा है। इसके चलते सिस्टम कंट्रोल को आपूर्ति की स्थिति नियंत्रित करने के लिए महंगी बिजली का सहारा लेना पड़ा। वहीं, ठंड में बढ़ोत्तरी के चलते अधिकतम मांग में अच्छी-खासी गिरावट के बावजूद, शुक्रवार की रात पीक ऑवर के दौरान 190 मेगावाट बिजली की आपात कटौती करानी पड़ी।
यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की रात पीक ऑवर के दौरान बिजली की प्रतिबंधित मांग 16543 मेगावाट थी। वही, उपलब्धता 16353 मेगावाट तक पहुंच पाई। वहीं, अधिकतम मांग के आंकड़े 17344 मेगावाट पर नजर डालें तो सूबे के पावर सेक्टर को विद्युत उपलब्धता के मामले में लगभग एक हजार मेगावाट बिजली की कमी झेलनी पडी।
यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि सप्ताह भर पूर्व तक बिजली की मांग 19 हजार मेगावाट के पार थी। गत बृहस्पतिवार को भी बिजली की मांग 18 हजार मेगावाट से अधिक दर्ज की गई। अचानक ठंड में बढ़ोत्तरी के चलते बिजली की अधिकतम मांग घटकर 17344 मेगावाट पर आ गई। यहीं कारण है कि मांग में कमी के बावजूद, 12 विद्युत इकाइयों से उत्पादन किसी न किसी कारण से ठप रहने के कारण, सिस्टम कंट्रोल को आपात कटौती का सहारा लेना पड़ रहा है।
यहां-यहां की इकाइयां हैं बंद
प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली देने वाले अनपरा ए की 210 मेगावाट वाली पहली इकाई, अनपरा बी की 500 मेगावाट वाली दूसरी इकाई, अनपरा डी की पांच सौ मेगावाट वाली पहली इकाई बंद चल रही है। अनपरा ए की यूनिट को रविवार रात पर उत्पादन पर आने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, अनपरा बी और अनपरा डी की बंद इकाई को 28 से छह दिसंबर के बीच उत्पादन पर आने की उम्मीद है। इसके अलावा हरदुआगंज की चार, जवाहरपुर की एक, बारा की एक, रोजा की एक, टांडा की पांच, मेजा की एक उंचाहार की एक इकाई से विद्युत उत्पादन ठप है।
सोनभद्र में इकाइयों की बंदी से सस्ती बिजली की उपलब्धता होती है प्रभावित
प्रदेश की कुल जरूरत की लगभग आधी बिजली पैदा करने वाले सोनभद्र में चाहे यूपीआरवीएनएल की परियोजना हो, निजी क्षेत्र की लैंको हो या फिर एनटीपीसी की परियोजनाएं, यहां किसी की भी इकाई के बंद पर उसका सीधा असर राज्य सरकार को मिलने वाली सस्ती बिजली की उपलब्धता पड़ता है। कोयला खदान के मुहाने पर होने के कारण, यहां की बिजली राज्य सरकार के लिए सबसे सस्ती पड़ती है।