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Sonbhadra News: यूपी का एक ऐसा हाइवे, जहां जरा सी बारिश पैदल-बाइक सवारों का चलना कर देती है दूभर, पांव भिगाकर आगे बढ़ते हैं पैदल राहगीर
Sonbhadra News: हाइवे और उससे जुड़े साइड रास्तों का निर्माण आवागमन सुगम बनाने के लिए किया जाता है लेकिन सोनभद्र से गुजरा यूपी का स्टेट हाइवे फाइव-ए (वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग) एक ऐसा हाइवे हैं, जहां जरा सी बारिश, फ्लाईओवर के छोर वाली एरिया में पैदल और बाइक सवारों का चलना दूभर कर देती है।
Sonbhadra News: हाइवे और उससे जुड़े साइड रास्तों का निर्माण आवागमन सुगम बनाने के लिए किया जाता है लेकिन सोनभद्र से गुजरा यूपी का स्टेट हाइवे फाइव-ए (वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग) एक ऐसा हाइवे हैं, जहां जरा सी बारिश, फ्लाईओवर के छोर वाली एरिया में पैदल और बाइक सवारों का चलना दूभर कर देती है। साइड रास्तों पर चंद मिनटों की बारिश, जहां नहर का शक्ल अख्तियार कर लेती है।
वहीं, पैदल चलने वालों को पानी में पांव भिगोकर आगे बढना उनकी मजदूरी बन जाती है। यह स्थिति है, जब जिला मुख्यालय के मारकुंडी पहाड़ी से लेकर नारायणपुर के बीच महज 70 किमी दूरी का सफर तय करने के लिए, टोल टैक्स के रूप में चार पहिया वाहनों को कम से कम 425 रूपये की अदायगी करनी पड़ती है।
- महज 70 किमी सफर के लिए अदा करते हैं 400 से अधिक की रकमः
बताते चलें कि सोनभद्र में हाथीनाला से नरायनपुर तक 115 किमी हाइवे का निर्माण किया गया है लेकिन इस पर टोल टैक्स की कुछ ऐसा संरचना रच दी गई है। जहां जिला मुख्यालय क्षेत्र से नरायनपुर के बीच महज 60 से 70 किमी के लिए छोटे चार पहिया वाहन वालों को महज एक चक्कर आने-जाने का चार सौ से अधिक रूपये अदा करने पड़ती है। बड़े वाहनों के लिए रकम एक हजार से भी अधिक पड़ जा रही है। वहीं, लोढ़ी स्थित फ्लाईओवर से आगे यानी लगभग 50 किमी सफर के लिए छोटे वाहनों को हाथीनाला के पास पहुंचने पर, सिर्फ 50 रूपये चुकाने पड़ते हैं। इस असमानता भरे टोल टैक्स की अदायगी के साथ ही, जिला मुख्यालय के बाशिंदों को आवागमन को दुश्वारियों से जूझना पड़ रहा है। मुख्यालय पर लगभग तीन किमी लंबा फ्लाईओवर अपने अलबेले बनावट को लेकर चर्चा में तो है ही, फ्लाईओवर के उपर के बीच अंधेरे और घुमावदार रास्ते से होकर गुजरना कई बार असमय मौत का कारण बन चुका है।
- 20 साल का कांट्रैक्ट, नागरिक सुविधाओं की नहीं कोई फिक्र
हाइवे पर वसूले जाने वाले टोल टेक्स के एवज में उपसा और एसीपी टोलवेज लिमिटेड के 20 साल तक हाइवे के देख-रेख, मरम्मत के साथ ही, नागरिक सुविधाओं को बेहतर तरीके से बहाल रखने का कांट्रैक्ट है। इसकी आड़ में जिला प्रशासन और नगरपालिका प्रशासन को भी किस हाइवे के हिस्से में किसी तरह के डेवलपमेंट तथा नागरिक सुविधाओं से जुड़े कार्य के लिए मना किया जा चुका है। बावजूद, हाइवे पर अधूरे पडे़ निर्माण को कौन कहे, जिला मुख्यालय पर फ्लाईओवर के दोनों छोर जरा सी बारिश से जलजमाव और फजीहत की बनी स्थिति, पिछले सात साल से, यहां से गुजरने वालों की नियति बनी हुई है।
-अधिकारियों के फरमान का भी नहीं पड़ता फर्क
दिलचस्प मसला यह है कि जिस सरकार को प्रदेश सरकार की सबसे सख्त सरकार होने का दावा किया जाता है, उसी के राज में उसी के अफसरों के फरमान टोल टैक्स वसूली का कांट्रैक्ट लेने वालों के लिए कोई मायने नहीं रखते। फर्स्ट एड वाहन, पेट्रोलिंग वाहन, हाइवे पर रोशनी जैसे इंतजामात तो दूर, जिला मुख्यालय पर फ्लाईओवर के दोनों साइड पर स्थित सड़क को जलजमाव और जगह-जगह टूटी सड़़क से निजात नहीं मिल पाई है। मंडी समिति के सामने मौत को दावत देती खंदकनुमा जगह को लेकर भी डीएम-एडीएम के फरमान, बेमानी साबित होते रहे हैं।
एफआईआर की चेतावनी के बाद, फ्लाईओवर से गिरने वाले पानी को नियंति करने के लिए पाइप तो लगाए गए लेकिन कई पाइपों को गिरने वाले पानी से जुड़ाव ही नहीं पाया है। यह हालत तब है, जब विधायकी, सांसदी, जिला पंचायत अध्यक्षी, प्रमुखी सभी पर सत्तापक्ष का कब्जा है और सत्तापक्ष के माननीयों सहित कई कद्दावरों का ठिकाना है। इस बारे में एसीपी टोलवेज लिमिटेड के अफसरों से संपर्क साधा गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।