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Sonbhadra News: चुनाव से असल मुद्दे गायब, जातिगत समीकरण से होगा खेल
Sonbhadra News: यूपी को सबसे अधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र की राबटर्सगंज संसदीय सीट पर हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार असल मुद्दे गायब से हो गए हैं।
Sonbhadra News: गाजियाबाद के बाद यूपी को सबसे अधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र की राबटर्सगंज संसदीय सीट पर हो रहे लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार असल मुद्दे गायब से हो गए हैं। यूपी की आखिरी संसदीय सीट पर जहां अभी भी बेकारी, गरीबी, शुद्ध पेयजल और आदिवासियों का पिछड़ापन बड़ा मुद्दा बना हुआ है। वहीं, सत्तापक्ष जहां मोदी मैजिक के सहारे, सरकार की उपलब्धियों का बखान कर चुनावी जीत का रास्ता तैयार करने में लगा हुआ है। वहीं, प्रमुख दल भाजपा और सपा की ओर से चुनावी मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों के समर्थकों की ओर से अगड़ों को लेकर, एक-दूसरे पर सियासी तीर साधने के साथ ही, एनडीए गठबंधन उम्मीदवार से कथित नाराजगी वाले वोटों को अपने खेमे में आने के भरोसे जीत की उम्मीद जताई जा रही है। फिलहाल इस बार का समीकरण किस तरह से रंग लाएगा, यह तो पहली जून को होने वाले मतदान ही तय करेगा लेकिन फिलहाल जिले के जल, जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दे, इस बार की सियासी राजनीति से गायब दिख रहे हैं।
सपा को है इन समीकरणों के भरोसे चमत्कार की उम्मीद
बताते चलें कि समाजवादी पार्टी की तरफ से इस बार भाजपा के पूर्व सासंद छोटेलाल खरवार को ऐन वक्त पर अपने पाले में कर चुनावी मैदान मे उतारा गया है। बताते हैं कि पार्टी के रणनीतिकारों को इस बात उम्मीद है कि बदले समीकरण में पार्टी के परंपरागत वोटरों के अलावा, छोटेलाल के जरिए एक बड़े आदिवासी तबके का साथ मिलेगा। साथ ही, मौजूदा सांसद की ओर से अगड़ों को दी गई गाली और उनके वोट की जरूरत न होने को लेकर वायरल हो रहे कथित आडियो-वीडियो को लेकर उम्मीद जा रही है कि अगड़ों का बड़ा वर्ग सपा उम्मीदवार को समर्थन देता नजर आएगा। बता दें कि विरोध की स्थिति को देखते हुए, अपना दल एस ने इस बार सांसद पकौड़ीलाल कोल का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को चुनावी समर में उतारा है। विपक्षी खेमा गाली देने वाले सांसद की बहू होने का मामला उठाकर नया समीकरण साधने में लगा हुआ है।
एक बार फिर मोदी मैजिक जीतेगा बाजी
वहीं, एनडीए गठबंधन को इस बात को भरासा है कि उनके परंपरागत वोटरों का साथ मिलने के साथ ही, इस बार भी मोदी मैजिक का भरपूर साथ मिलेगा और पिछले चुनाव की तरफ इस बार भी विरोध के ऊंचे स्वर के बावजूद, जीत की बाजी अद एस के हाथ होगी। बता दें कि अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष भी पार्टी उम्मीदवार के नामांकन के वक्त इस बात का दावा कर चुके हैं कि सोनभद्र में अपना दल एस ने अब तक जीतने चुनाव लड़े हैं, सब में जीत मिली है। इस बार भी वह जीत हासिल करने जा रहे हैं। फिलहाल इन दानों-समीकरणों की तस्वीर क्या बनती है? इसको लेकर लोगों की निगाहें चुनावी परिणाम पर टिकी हुई हैं।
अगड़े वोटरों को साधने को लेकर कुछ इस तरह का हो रहा खेल
पांच विधानसभा वाले अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित राबटर्सगंज सीट पर इस बार अगड़ा वोटर (जिनकी तादाद लगभग साढ़े तीन से चार लाख होने की उम्मीद जताई जा रही है) प्रमुख दलों (भाजपा, बसपा, सपा) के लिए जिताऊ समीकरण बनता नजर आ रहा है। सपा खेमे, खासकर पूर्व सांसद खेमे को यह लग रहा है कि अद एस के मौजूदा सांसद पकौड़ीलाल से अगड़ा समाज की एक बड़ी संख्या नाराज है, जिसका फायदा उनको मिल सकता है। समर्थकों की ओर से इस उम्मीद में विभिन्न सोशल मीडिया हैंडलों पर सांसद की पुरानी आडियो-वीडियो वायरल करने का क्रम जारी है। वहीं, दूसरी ओर भाजपा गठबंधन से जुड़ा खेमा, जिले की प्रभारी मंत्री रही अर्चना पांडेय के सामने हुए विवाद और इस मामले को लेकर पूर्व सांसद की ओर से अगड़ा वर्ग से आने वाले लोगों पर एफआईआर दर्ज कराए जाने के कथित प्रयास को सोशल मीडिया के जरिए जमकर उछाला जा रहा है। वहीं, बसपा की ओर से बगैर सोशल मीडिया का सहारा लिए, इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि बसपा के परंपरागत वोटरों के साथ ही, अगड़े वोटरों का साथ, जीत का एक नया समीकरण लिखता नजर आ सकता है। फिलहाल किसकी होगी जीत और किसकी होगी हार? इसको लेकर अटकलबाजी जारी है।