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Sonbhadra News: सपा का सियासी दांव बना पाएगा नया समीकरण? दो वर्गों के बीच दुश्मनी की दीवार अटकलों का बाजार गर्म

Sonbhadra News: भाजपा गठबंधन को उसी के गढ़ में मात देने के लिए सपा की ओर से भाजपा के पूर्व सांसद को ही, एनडीए गठबंधन के मुकाबले राबर्टसगंज संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारकर जहां एक नई सियासी बाजी खेली गई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 19 May 2024 8:14 PM IST
Will the new equation be able to make SPs political bet? The wall of enmity between two classes, the market of speculation is hot
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सपा का सियासी दांव बना पाएगा नया समीकरण? दो वर्गों के बीच दुश्मनी की दीवार अटकलों का बाजार गर्म: Photo- Social Media

Sonbhadra News: भाजपा गठबंधन को उसी के गढ़ में मात देने के लिए सपा की ओर से भाजपा के पूर्व सांसद को ही, एनडीए गठबंधन के मुकाबले राबर्टसगंज संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारकर जहां एक नई सियासी बाजी खेली गई है। वहीं, समाजवादी पार्टी का यह सियासी दांव, यूपी-बिहार सीमा क्षेत्र स्थित बीहड़ वाले गांवों में दो बिरादरी के लोगों के वर्षों से चल रही दुश्मनी का मिथक तोड़ पाएगा? इसको लेकर चर्चाएं जारी हैं।

यूपी-बिहार सीमा पर वर्षों तक धधकती रही है दुश्मनी की आग

दरअसल, यूपी-बिहार सीमा स्थित एरिया और इस क्षेत्र स्थित गांवों को एक दशक पूर्व तक बीहड़ों का दर्जा हासिल था। पहले इस एरिया में डाकुओं का साम्राज्य कायम हुआ। इसके बाद नक्सलवाद ने लगभग 14 वर्ष तक अपना पांव जमाए रखा। कम्युनिटी पुलिसिंग की धार और विकास की बयार ने इस एरिया में सुकून की स्थिति तो पैदा कर दी लेकिन सीमा क्षेत्र में बीहड़ का दर्जा रखने वाले एरिया में वर्चस्व बनाए रखने को लेकर यादव और खरवार बिरादरी के बीच वर्षों तक धधकती रही दुश्मनी की आग कितनी ठंडी हुई? इसको लेकर अभी भी चर्चाओं-आशंकाएं जताए जाने का दौर बना हुआ है।

घमड़ी ने किया था प्रयास, हत्या के साथ ही ठंडा पड़ गया मामला

यूपी-बिहार सीमा स्थित बीहड़ों तक वर्षों तक अपना वर्चस्व बनाए रखने के दौरान कुख्यात डकैत का दर्जा रखने वाले बिहार के कैमूर जिला अंतर्गत धूमरदेव गांव निवास घमड़ी खरवार ने वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में राबटर्सगंज सीट से निर्दल चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की थी तो सभी को लगा था कि यादव-खरवार बिरादरी के बीच चल रही वर्चस्व की जंग अब समाप्त हो गई है।

घमड़ी उर्फ हरि खरवार की तरफ से भी यह जताने की कोशिश की गई। यादव समाज की तरफ से उन्हें स्वीकारने की स्थिति भी दिखी लेकिन वर्ष 2006 में यादव बिरादरी के ही तीन व्यक्तियों की तरफ से जिस तरह से खलिहान में घेरकर घमड़ी की हत्या की गई और उसके बाद यादव बंधु गिरोह की तरफ से कई वर्ष तक कैमूर की पहाड़ियों की आड़ लेकर अपहरण उद्योग चलाया गया, उससे दोनों बिरादरी के लोगों के बीच एक बार फिर से तलवार तनने की स्थिति सामने आ गई।

बदले माहौल में तैयार हो पाएगा नया सियासी समीकरण? चर्चाएं जारी

हालांकि पिछले आठ साल से यूपी-बिहार क्षेत्र में इस मसले पर शांति का माहौल है। यादव बिरादरी को सपा का परंपरागत वोटर माना जाता है। पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार की, उनकी सजातीय बिरादरी में अच्छी पकड़ बताई जाती है। इन दोनों समीकरणों को साधने के लिए, सपा की ओर से बड़ा सियासी दांव भी खेला गया है।

ऐसे में यह दांव जीत की पटकथा लिखने के साथ ही, यूपी-बिहार सीमा क्षेत्र स्थित बीहड़ एरिया में वर्षों तक धधकती रही दुश्मनी की आग को हमेशा के लिए शांत कर, एक नया सियासी समीकरण तैयार कर पाएगा? इसको लेकर चर्चाएं बनी हुई हैं।



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Shashi kant gautam

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