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Sonbhadra News: गड्ढा मुक्ति अभियान को पलीता: फाइलों में गुम हो गई सड़क, ग्रामीण लगा रहे मरम्मत की गुहार
Sonbhadra News: वर्ष 2020 में निर्मित इस सड़क के मरम्मत के लिए पांच माह से गुहार लगाई जा रही है। एसडीएम के साथ ही, डीएम, सीडीओ मरम्मत को लेकर आवश्यक कार्यवाही का निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद मरम्मत दूर, सड़क किस विभाग से बनाई गई, यहीं जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है।
Sonbhadra News: सीएम योगी आदित्यनाथ की तरफ से सभी सड़क-संपर्क मार्गों को गड्ढामुक्त रखने के सख्त निर्देश के बावजूद, यूपी के आखिरी छोर पर स्थित दुद्धी तहसील मुख्यालय के पास की एक सड़क को लेकर ग्रामीण अजीब पसोपेश में फंस गए हैं। वर्ष 2020 में निर्मित इस सड़क के मरम्मत के लिए पांच माह से गुहार लगाई जा रही है। एसडीएम के साथ ही, डीएम, सीडीओ मरम्मत को लेकर आवश्यक कार्यवाही का निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद मरम्मत दूर, सड़क किस विभाग से बनाई गई, यहीं जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। शनिवार को यह मामला एक बार फिर से दुद्धी के तहसील समाधान दिवस में पहुंचा तो वहां मौजूद अफसर भी भौंचक रह गए। समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे एसडीएम निखिल यादव ने जल्द प्रकरण की जांच कर सड़क मरम्मत कराने का भरोसा दिया लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक अफसर, सड़क की जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे हैं, उसको देखत हुए, गड्ढों में तब्दील हो चली सड़क की मरम्मत कब तक हो पाएगी? फिलहाल कुछ कह पाना मुश्किल है।
कुछ इस तरह सड़क की जिम्मेदारी से झाड़ा जा रहा पल्ला
प्रकरण दुद्धी तहसील मुख्यालय से धनौरा गांव के लिए जाने वाली सड़क का है। ग्रामीणों की तरफ से गत 14 अगस्त को दुद्धी में आयोजित तहसील समाधान दिवस में गुहार लगाई गई। ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सड़क की मरम्मत कराने का अनुरोध किया गया। ग्रामीणों का कहना था कि सड़क 2020 में बनी थी। निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी महकमे के तत्कालीन जेई राजेश शर्मा की देखरेख में कराया गया था लेकिन इस पर दिए गए निर्देश के क्रम में जब निर्माण कार्य से जुड़े सभी महकमों की तरफ से उनके विभाग से सड़क निर्मित होने की आख्या भेजी गई तो इस मामले ने सिर्फ ग्रामीणों को ही नहीं, मरम्मत का निर्देश देन वाले अफसरों को भी भौंचक कर दिया।
जानिए, किस महकमे ने क्या भेजी रिपोर्ट?
- पहली आख्या पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड की तरफ से सामने आई। एक्सईएन की तरफ से 28 अगस्त 2024 को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि उक्त मार्ग निर्माण खंड के अंतर्गत नहीं है। इसलिए इस खंड से इस संबंध में कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं की जा सकता।
इसी तरह सात अक्टूबर 2024 को एक्सईएन निर्माण खंड की तरफ से भेजी गई और एक्सईएन प्रांतीय खंड की ओर से अनुमोदित की गई दूसरी आख्या सामने आई। इसमें कहा गया कि संदर्भित मार्ग का निर्माण पूर्व में किसी अन्य कार्यदायी संस्था द्वारा कराया गया था। यह मार्ग लोक निर्माण विभाग के मार्ग परिक्षेत्र में अंकित नहीं है। यह मार्ग लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व में नहीं है। इसलिए इस खंड से पैच मरम्मत का कार्य कराया जाना संभव नहीं है।
- तीसरी आख्या 15 अक्टूबर 2024 को सामने आई। एक्सईएन पीएमजीएसवाई की तरफ से एक्सईएन निर्माण खंड को भेजी आख्या में कहा गया कि उक्त मार्ग उनके खंड से संबंधित नहीं है। सड़क विकास खंड दुद्धी क्षेत्र में स्थिति है और उसका कार्यक्षेत्र निर्माण खंड का है।
- चौथी आख्या 24 अक्टूबर 2024 को सामने आई। जिला पंचायत के अभियंता और अवर अभियंता की तरफ से अपर मुख्य अधिकारी को भेजी गई आख्या में कहा गया कि उक्त मार्ग लोक निर्माण विभाग से संबंधित है। चौथी आख्या 25 नवंबर 2024 को भेजी गई। एक्सईएन निर्माण खंड दो की तरफ से डीएम को भेजी रिपोर्ट में कहा गया कि संबंधित प्रकरण निर्माण खंड के कार्यक्षेत्र से संबंधित है।
इस खंड द्वारा प्रश्नगत प्रकरण पर पांचवीं आख्या खंड विकास अधिकारी दुद्धी की तरफ से दो दिसंबर 2024 को सीडीओ को उपलब्ध कराई गई। कहा गया कि धनौरा गांव की सड़क से जुड़े मामले की जांच ग्राम विकास अधिकारी अनीश कुमार सिंह से कराई गई। ग्रामीणों की तरफ से स्पष्ट किया गया कि संबंधित सड़क का निर्माण चार-पांच वर्ष पूर्व पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा कराया गया है। इसलिए उस सड़क का निर्माण/मरम्मत ग्राम पंचायत से संभव नहीं है।
सड़क मरम्मत के नाम पर करोड़ों खर्च, डीएमएफ का खासा बजट, फिर भी नहीं हो पा रही मरम्मत
दिलचस्प मसला यह है कि मानसून डैमेजेज के नाम पर जहां प्रतिवर्ष सड़क निर्माण से जुड़ी कार्यदायी संस्थाएं/विभाग जहां प्रतिवर्ष करोड़ों का व्यय दिखाते हैं। वहीं, सड़क, नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए जिले के डीएमएफ का भी बजट करोड़ों में है। बावजूद जिस तरह से सड़क की मरम्मत नाम पर आख्या दर आख्या का खेल चल रहे हैं, उससे ग्रामीणों में आक्रोश है। तहसील दिवस में फरियाद लगाने पहुंचे ग्रामीणों का कहना था कि जल्द मरम्मत कार्य नहीं शुरू हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।