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Sonbhadra News: घर में घुसकर नाबालिग से किया था अप्राकृतिक दुष्कर्म, परियोजना कॉलोनी क्षेत्र का मामला, सात वर्ष के कठोर कैद की सुनाई गई सजा

Sonbhadra News Today: पीड़ित के मां की तहरीर पर ओबरा थाने में अप्राकृतिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर मामले की विवेचना की गई।

Kaushlendra Pandey
Published on: 18 Jan 2025 7:20 PM IST
Sonbhadra News Today Seven Years Rigorous Imprisonment in Case of Unnatural Minor Rape Case
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Sonbhadra News Today Seven Years Rigorous Imprisonment in Case of Unnatural Minor Rape Case

Sonbhadra News in Hindi: सोनभद्र, ओबरा परियोजना कॉलोनी क्षेत्र में एक घर में घुसकर अकेले मौजूद 13 वर्षीय नाबालिग के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले में दोषी को सात वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। 22 हजार अर्थदंड भी लगाया गया है। इस मामले की फाइनल सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत में शनिवार को की गई। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य, गवाहों की तरफ से दर्ज कराए गए बयान और अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए, दोषसिद्ध पाया गया और दोषी को सात वर्ष के कठोर कैद के साथ ही, अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया।

अभियोजन कथानक के मुताबिक एक महिला ने पांच पांच अगस्त 2017 को ओबरा थाने पहुंचकर तहरीर दी। इसके जरिए पुलिस को अवगत कराया कि चार अगस्त 2017 की दोपहर सवा 12 बजे वह काम करके घर वापस आई तो देखा कि मूलतः रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के मानपुर गांव का रहना वाला मनोज पुत्र खरपत्तू जो घटना के समय ओबरा में ही रहता था, उसके बेटे के साथ दुष्कर्म कर रहा था। पीड़ि़त के शोर मचाने पर उसके साथ मारपीट की। शोर सुनकर पास-पड़ोस के भी कई लोग आ गए। यह देख आरोपी वहां से भाग निकला।

अप्राकृतिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया था केस:

पीड़ित के मां की तहरीर पर ओबरा थाने में अप्राकृतिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर मामले की विवेचना की गई। पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए विवेचक ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। लगभग सात साल तक प्रकरण की सुनवाई चली। सात गवाहों ने बयान परीक्षित कराए। इस दौरान सामने आए तथ्यों और दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए मनोज को दुष्कर्म का दोषी पाया गया और उसे सात वर्ष के कठोर कारावास के साथ ही 22 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद उसमें से 15 हजार पीड़ित को दिए जाने के आदेश दिए गए। पीड़ित पक्ष यानी अभियोजन की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह की तरफ से की गई।



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