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Sonbhadra : डॉक्टरों ने महिला डॉक्टर के प्रसव में बरती लापरवाही, दोनों किडनियां खराब, मां नर्सिंग आफिसर फिर भी बरती गई क्रूरता, दो के खिलाफ केस
Sonbhadra News: संजीवनी अस्पताल से जुड़़ा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि अपोलो हॉस्पीटल हैदराबाद में कार्यरत महिला डॉक्टर के प्रसव के दौरान यहां इस कदर लापरवाही बरती गई कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो गई।
Sonbhadra News (Pic- Social- Media)
Sonbhadra News : एनटीपीसी के शक्तिनगर स्थित संजीवनी अस्पताल से जुड़़ा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि अपोलो हॉस्पीटल हैदराबाद में कार्यरत महिला डॉक्टर के प्रसव के दौरान यहां इस कदर लापरवाही बरती गई कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो गई। यह स्थिति तब हुई, जब पीड़िता की मां स्वयं संजीवनी हास्पीटल में नर्सिंग आफिसर की कार्यरत है। किडनियां खराब होने के कारण पीड़ित डॉक्टर हैदराबाद में जिंदगी-मौत से जूझ रही है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय के हस्तक्षेप पर शक्तिनगर पुलिस ने प्रसव और एनेस्थिसिया से जुड़े दोनों डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। मामले में धास 336, 229 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है।
प्रसव के लिए मां के पास आई हुई थी पीड़िता
बिल्लर नगर 228 इल्डेको रेगालीया पोस्ट आईआईएम लखनऊ की रहने वाली डा. अंकिता कुशवाहा पत्नी डा. योगेश अपोलो हास्पीटल हैदरावाद तेलंगाना में डाक्टर के पद पर कार्यरत है। आरोप है कि वह आठ माह की गर्भावस्था में हैदरावाद से, शक्तिनगर स्थित एनटीपीसी के संजीवनी अस्पताल में नर्सिंग आफिसर के पद पर कार्यरत मां के पास आई हुई थी। उसे लगा कि यहां डिलीवरी में सहूलियत होगी। इसको देखते हुए संजीवनी हॉस्पीटल में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. दिव्या कसाल जैन से 2 फरवरी 2022 को मिल कर चेकअप करवाया। अगले दिन परामर्श लिया। 24 फरवरी 2022 को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर महिला वार्ड में उसे भर्ती कराया गया।
नहीं दिए गए पर्याप्त तरल पदार्थ, निर्जलीकरण से बिगड़ी स्थिति
ब्ताया गया है कि प्रसव का कार्य डा. दिव्या और एनेस्थेटिस्ट डा. बृजेश जैन ने कराया। आरोप है कि उसके स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए सामान्य डिलीवरी कराने का भरोसा तो दिया गया लेकिन डॉक्टर द्वारा पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं दिया गया। निर्जलीकरण होने से शाम तक स्थिति बिगड़नी शुरू हो गई। बार-बार कहे जाने के बाद भी हालत बिगड़ती रही। काफी गम्भीर दर्द और परेशानी के बावजूद एबार्शन में प्रयुक्त होने वाली दवाएं खिलाई गईं। नार्मल डिवलेरी केनाम पर समय से झिल्ली फटने के बावजूद 14 घंटे के अधिक समय गुजार दिया गया। सर्जरी से पूर्व हीमोग्लोबीन परीक्षण को छोड़ कर शेष कोई भी सामान्य नियमित रक्त परीक्षण नहीं किया गया।
शिकायत पर डांटकर कराया जाता रहा चुप और किडनियां हो गईं खराब
पेशाब की मात्रा काफी कम होने की शिकायत किए जाने के बावजूद, डांटकर चुप कराया जाता रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि दोनों किडनियां खराब हो गईं। आरोप है कि लगातार हालत बिगड़ने की शिकायत और असहनीय दर्द के बावजूद प्रकरण को गंभीरता से नहीं लिया गया। दर्द निवारक दवाएं दी गईं उससे भी कोई राहत नहीं मिली। बावूद दर्द निवारक (हाइक्लोफेनाक) जैसे नेफोटाक्सीन कई बार दिए जाने का क्रम जारी रहा। सर्जरी के तीन घण्टे के बाद केवल 50 मिली लीटर पेशाब की शिकायत के बावजूद इसे सामान्य बताया गया।
ले जाया गया अपोलो हास्पिटल तो पता चला खराब हो चुकी है किडनी
आरोप है कि दो दिन बाद भी हालत में कोई सुधार न होने, बेहतर इलाज के लिए एयर एंबुलेंस से अपोलो हॉस्पीटल हैदराबाद ले जाया गया। वहां जाकर पता चला कि उसके दोनों गुर्दे खराब हो गए हैं। रिकवरी काफी मुश्किल हैं। वहां के डॉक्टरों ने गुर्दे को ट्रान्सप्लांट कराने की सलाह दी है। यह बड़ा आपरेशन और काफी मंहगा आपरेशन है इसलिए लगातार दवाईया खानी पड़ रही है। शक्तिनगर पुलिस के मुताबिक न्यायालय के दिए गए आदेश पर संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। प्रकरण की छानबीन जारी है।