Sonbhadra News : भूत-प्रेत के शक में ससुर हरी प्रसाद का कुल्हाड़ी से किया था कत्ल, बहू को मिली उम्रकैद

Sonbhadra News : हरी प्रसाद हत्याकांड में न्यायालय का बड़ा फैसला आया है। अंधविश्वास के चलते तीन वर्ष पूर्व की गई हत्या से जुड़े इस मामले की अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जितेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने सोमवार को सुनवाई की।

Kaushlendra Pandey
Published on: 22 July 2024 1:40 PM GMT
Sonbhadra News : भूत-प्रेत के शक में ससुर हरी प्रसाद का कुल्हाड़ी से किया था कत्ल, बहू को मिली उम्रकैद
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Sonbhadra News : हरी प्रसाद हत्याकांड में न्यायालय का बड़ा फैसला आया है। अंधविश्वास के चलते तीन वर्ष पूर्व की गई हत्या से जुड़े इस मामले की अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जितेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने सोमवार को सुनवाई की। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों के आधार पर दोषसिद्ध पाया और दोषी बहू सुखवंती को उम्रकैद तथा 10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने की दशा में चार माह की अतिरिक्त कैद निर्धारित की गई। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित किए जाने का आदेश दिया गया।

अभियोजन कथानक के मुताबिक, हरी प्रसाद निवासी साओडीह, हथवानी, थाना हाथीनाला की 28 अगस्त की भोर में तीन बजे हत्या कर दी गई थी। पुत्र राम हुलास ने हाथीनाला पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि उसके छोटे भाई देवलाल की पत्नी सुखवंती ने तीन बजे भोर में भूत-प्रेत के शक में उसके पिता हरी प्रसाद की हत्या कर दी है। तहरीर में बताया गया कि कुल्हाड़ी से प्रहार कर हरी प्रसाद के सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें पहुंचाईं गई। उन्हें इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी ले जाया गया, जहां हालत नाजुक बताते हुए प्राथमिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान सिर और चेहरे पर गंभीर चोट लगने के कारण मौत हो गई। दी गई तहरीर पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और विवेचना की और पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए बहू के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी।

न्यायालय ने पाया कठोरतम दंड का मामला

न्यायालय में लगभग तीन साल इसकी सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तरफ से पेश किए तर्क, गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर सुखवंती को दोषी पाया गया। न्यायालय ने विधि निर्णयों का अवलोकन करते हुए पाया कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से दी गई विधि व्यवस्था में कहा गया है कि दंडादेश कठोर होना चाहिए। असम्यक उदारता एवं सहानुभूति प्रकट करके यदि अभियुक्त को विधि द्वारा प्रावधानित सम्यक दंड से पर्याप्त रूप से दंडित न किया जाए तो इससे सामान्य जन का विश्वास प्रभावित होता है। इसको दृष्टिगत रखते हुए हत्या की दोषी पाई गई सुखंवती को उम्रकैद के साथ ही अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनोद कुमार पाठक की तरफ से की गई।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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