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Sonbhadra News: परमिट कीमतों में उछाल से खनन जगत में हड़कंप, कालाबाजारी के खेल के पीछे ’DVS’ सिंडीकेट का हाथ

Sonbhadra News:पिछले तीन दिन के भीतर जिस तरह से खनन बेल्ट में गिट्टी के लिए मिलने वाली परमिट की कीमत में तेजी से इजाफा हुआ है उसने खनन पट्टा धारकों के साथ ही ट्रांसपोर्टरों को चौंका कर रख दिया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 17 Jan 2024 12:18 PM GMT (Updated on: 17 Jan 2024 1:42 PM GMT)
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परमिट कीमतों में उछाल से खनन जगत में हड़कंप (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: परमिट में हो रहे फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद परमिट कालाबाजारी को लेकर बड़ा खेल सामने आना शुरू हो गया है। पिछले तीन दिन के भीतर जिस तरह से खनन बेल्ट में गिट्टी के लिए मिलने वाली परमिट की कीमत में तेजी से इजाफा हुआ है उसने खनन पट्टा धारकों के साथ ही ट्रांसपोर्टरों को चौंका कर रख दिया है। चर्चाओं के जरिए दावा किया जा रहा है कि परमिट के कालाबाजारी के खेल के पीछे ’डीवीएस’ सिंडीकेट का हाथ है। कहा जा रहा है कि खान महकमे से कई क्रशर प्लांटों के नाम पर भंडारण लाइसेंस हासिल कर, चंद क्रशर प्लांटों को ही चालू रखते हुए, परमिट की कालाबाजारी का एक बड़ा मार्केट तैयार कर लिया गया है।

बुधवार दोपहर बाद इसको लेकर खान महकमे की एक टीम की तरफ से, बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र के एक क्रशर प्लांट को सील करने की भी बात सामने आई। बताया गया कि चेकिंग के दौरान, एक ट्रक ड्राइवर से मिली जानकारी के आधार पर माइनिंग इंस्पेक्टर मनोज कुमार की अगुवाई वाली टीम ने ओबरा पहुंच कर बिल्ली स्थित कथित कृष्णा स्टोन नामक क्रशर प्लांट को सील कर दिया। कार्रवाई के दौरान मौके पर मौजूद रहे लोगों की बातों पर यकीन करें तो इस मामले को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज करने की भी बात कही गई।

खनन विभाग की टीम को वहां मौजूद कुछ लोगों की तरफ से परमिट कालाबाजारी के पीछे बताए जा रहे कथित ’डीवीएस’ सिंडीकेट के बारे में भी जानकारी दी गई। हालांकि इस मसले पर ज्येष्ठ खान अधिकारी राकेश बहादुर सिंह से जानकारी के लिए कई बार संपर्क साधा गया। लेकिन एक बार भी वह उपलब्ध नहीं हुए। सरकारी राजस्व को चूना लगाने के साथ ही बिल्डिंग मैटेरियल के दाम में वृद्धि कर देने वाले ऐसे संवेदनशील मसले पर खान अधिकारी की चुप्पी और बगैर किसी छानबीन के चंद लोगों को थोक के भाव में थमाए जा रहे परमिट के पन्नों को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जाते रहे।

खदान और क्रशर प्लांट संचालकों में बेचैनी

क्रशर प्लांट की कालाबाजारी ने सोनभद्र के खनन बेल्ट में एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी है। जिन्होंने महंगी रॉयल्टी का टेंडर देकर खदान हासिल कर रखी है उनके लिए कालाबाजारी का खेल दोहरा नुकसान का कारण बन रहा है। रॉयल्टी रेट महंगा होने के कारण वैसे ही उन्हें कम रॉयल्टी वाली खदानों के मुकाबले मुनाफे का नुकसान सहना पड़ रहा है। वहीं, बढ़ती कीमतों के चलते 3 दिन के भीतर गिट्टी लोडिंग के लिए आने वाली गाड़ियों की संख्या में आई कमी, पत्थर खदान संचालकों में बेचैनी की स्थिति पैदा कर दी है।

वहीं, जो क्रशर संयंत्र संचालक परमिट कालाबाजारी के खेल से अछूते हैं वह इस डर से खदानों से कम बोल्डर ले रहे हैं कि कहीं उन्हें मानक से ज्यादा गिट्टी रखने के कारण खनन विभाग की पेनाल्टी ना सहनी पड़े। वहीं, जिन्हें परमिट कालाबाजारी के खेल में शामिल बताया जा रहा है। उनके द्वारा 10 से 12 क्रशर प्लांटों के भंडारण का लाइसेंस लेकर, तीन से चार प्लांट का ही प्रमुखता से संचालन कराया जा रहा है और परमिट कालाबाजारी के जरिए खासा मुनाफा कमाने की व्यूहरचना रची जा रही है।

500 रुपये में उपलब्ध होने वाले परमिट की वसूली जा रही ₹1600 कीमत

पत्थर खनन के मामले में सामान्यतया प्रति घन मीटर परमिट की कीमत 160 से 180 रुपये निर्धारित है। यह, वह रकम है जो सरकारी खजाने में जमा होती है । लेकिन 160 रुपए से ₹180 वाली परमिट 480 से ₹500 प्रति घन मीटर में बिकने की परंपरा सी बन गई है। वहीं, वर्ष 2023 से जिस तरह से परमिट के कालाबाजारी का खेल खेला जाने लगा है, उसने 160 से 180 रुपए में मिलने वाली परमिट की कीमत बढ़ाकर 1600 पहुंचा दी है। अब ट्रांसपोर्टर और खदान संचालन से जुड़े लोग विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल के जरिए डीएम से सीएम तक राहत की गुहार लगाने लगे हैं। अब परमिट कालाबाजारी पर किस तरह का एक्शन लिया जाता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

गिट्टी से अधिक परमिट की कीमत ने भवन निर्माण करा रहे लोगों के उड़ाए होश

अगर कोई व्यक्ति 1000 फीट गिट्टी खरीदना है तो इसके लिए उसे क्रशर संयंत्र संचालक को गिट्टी की कीमत महज 25000 रुपये अदा करनी पड़ेगी। वहीं इसके लिए उसे परमिट के 32000 रुपये अदा करना पड़ेंगे। स्पष्ट है कि 160 से 120 रुपए घन मीटर निर्धारित परमिट रॉयल्टी के एवज में खनन क्षेत्र की परंपरा अनुसार, अधिकतम ₹500 भी लिया जाता है तो, गिट्टी की कीमत में प्रति 1000 फीट 100, 200 रुपए नहीं बल्कि 22000 से अधिक की बचत होगी। इसका सीधा असर बिल्डिंग मैटेरियल की कीमतों पर पड़ेगा और जनता को भी राहत महसूस होगी लेकिन जिस तरह से पिछले करीब एक साल से परमिट माफियाओं के नए-नए पैतरे सामने आ रहे हैं उसे फिलहाल कोई बड़ी राहत मिलती नहीं दिख रही।

मामले की हो रही जांच, की जा रही कार्रवाई

ज्येष्ठ खान अधिकारी राकेश बहादुर सिंह ने फोन पर कहा कि एडीएम के निर्देशन में खान विभाग की टीम मामले की जांच और कार्रवाई में लगी हुई है। एक क्रशर प्लांट को सील किया गया है। जल्द ही और लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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