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Sonbhadra News: सोनभद्र की आदिवासी महिलाओं ने बाबा विश्वनाथ के लिए तैयार किया प्राकृतिक अबीर-गुलाल, बुलावे पर पहुंची महिलाओं की टीम
Sonbhadra News: सोनभद्र में वर्षों से टेसू यानी पलाश के फूलों से होली खेलने की परंपरा रही है...
Sonbhadra News: सोनभद्र, होलाष्टक के दौरान बाबा विश्वनाथ सोनभद्र में प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए अबीर-गुलाल से सरोबार नजर आएंगे। एनआरएलएम की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी आदिवासी महिलाओं के जरिए तैयार किए गए हर्बल अबीर-गुलाल की एक बड़ी खेप लेकर शनिवार को आठ महिलाओं की टीम बाबा विश्वनाथ के लिए रवाना हुई। सीडीओ जागृति अवस्थी और उपयुक्त एनआरएलएम सरिता सिंह ने हरी झंडी दिखाई। इसके जरिए जहां बाबा विश्वनाथ को प्राकृतिक गुलाल भेंट कर श्रद्धा व्यक्त की जाएगी। वहीं, इस पहल के जरिए, ज्यादा से ज्यादा लोग, प्राकृतिक रंग-अबीर के जरिए होली खेलने के लिए प्रेरित हों, इसकी तो कोशिश की ही जा रही है। जिन इलाकों में पानी का संकट है, वहां के लिए प्राकृतिक गुलाल एक बेहतर विकल्प साबित हों, इसके भी प्रयास जारी हैं।
टेसू के फूलों से होली खेलने की रही है परंपरा
सोनभद्र में वर्षों से टेसू यानी पलाश के फूलों से होली खेलने की परंपरा रही है। अभी भी कई आदिवासी गांवों में टेसू के फूलों के रंगों और प्राकृतिक तरीके से तैयार अबीर-गुलाल से, चार से पांच दिन पूर्व होली खेलने की परंपरा विद्यमान है। चकाचौंध भरे इस दौर में, जहां यह परंपरा महज आदिवासी परिवारों तक सिमट कर रह गई हैं। वहीं, हर्बल रंगों और अबीर-गुलाल तैयार करने में लगने वाले समय और मेहनत को देखते हुए, आदिवासी इलाकों में भी प्राकृतिक रंगों की पहचान पर संकट की स्थिति बनने लगी है। ऐसे समय में, जहां केमिकल युक्त रंग सेहत खासकर स्किन के लिए खासा नुकसानदेह साबित होने लगे हैं, वहां, जिले के विकास महकमे और आजीविका मिशन की तरफ से प्राकृतिक रंगों और अबीर-गुलाल के लिए बड़ा बाजार विकसित करने की कोशिश और बाबा विश्वनाथ के पूजन-अर्जन में इनका प्रयोग, लोगों को प्राकृतिक होली खेेलने के प्रति एक बड़ा संदेश देता साबित हो सकता है।
प्रकृति और सेहत दोनों के लिए लाभप्रद हैं हर्बल अबीर-गुलाल: सीडीओ
बाबा विश्वनाथ के लिए प्राकृतिक अबीर-गुलाल लेकर रवाना हुई आदिवासी महिलाओं की टीम को हरी झंडी दिखाते हुए सीडीओ जागृति अवस्थी ने बताया कि आदिवासियों में हर्बल गुलाल से होली खेलने की परंपरा वर्षों से बनी हुई है। पलास के फूलों के साथ पालक, चुकंदर बनाकर तरह-तरह के रंगों का अबीर तेयार किया जाता है। कहा कि हम सभी प्रकृति की संतान है। ऐसे में प्राकृतिक उत्पाद को अपने जीवन में कैस और किस तरह से उपयोग करें, इस पर खासा ध्यान देने की जरूरत है। होली इसका बेहतर माध्यम साबित हो सकती है।
कम पानी वाले इलाकों के लिए हर्बल अबीर बेहतर विकल्प: सीडीओ
कहा कि बाजार में बिकने वाले सिंथेटिक रंग-गुलाल और हर्बल रंग-गुलाल की कीमत बराबर है। इसमें अरारोट के साथ सब्जियों का अर्क मिलाकर अबीर बनाया जाता है। यह स्कीन के लिए हर तरह से फायदेमंद है। इसके जरिए जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिलेगी। वहीं, ऐसे इलाके जहां पानी का संकट है, प्राकृतिक अबीर-गुलाल से होली खेलना एक बेहतर विकल्प साबित होगा। 60-60 किलो गुलाल के आर्डर आए हैं, ज्यादा से ज्यादा लोग इसे यूज करे समाज, स्किन के लिए, अच्छा, हर ब्लाक में अलग-अलग समूह, पांच से छह समूह थोड़ा समय, मेहनत ज्यादा है तो दो तीन महिलाएं मिलकर इसे कर रही हैं।
पहली बार मिला है बाबा विश्वनाथ से बुलावा: संजू
बाबा विश्वनाथ के लिए हर्बल अबीर-गुलाल लेकर रवाना हुई आदिवासी महिलाओं के टीम की अगुवा संजू देवी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के मुख्य पुजारी की मांग पर वह लोग टेसू के फूल और प्राकृतिक तरीके से तैयार अबीर लेकर वाराणसी रवाना हो रही हैं। उन्होंने सभी समूह की दीदियों को टेसू के फूल और हर्बल गुलाल बाबा विश्वनाथ को अर्पित करने और दर्शन करने के लिए बुलाया है। पहली बार यह बुलावा आया है और विशेष रूप से प्राकृतिक रंगों को मंगाया गया था। उन्हें यह यह भरोसा था कि जो हाथों से बना होगा, वह अच्छा होगा।
इस तरीके से तैयार किए गए हैं प्राकृतिक अबीर:
संजू ने बताया कि टेसू के फूलों का रस निकालकर, उसमें आरारोट मिलाकर हर्बल अबीर बनाया गया है। इसमें पालक मिलाकर हरा, चुकंदर मिलाकर गुलाबी और गेंदा मिलाकर पीले रंग का अबीर बनाया गया है। कहा कि बाबा विश्वनाथ पर फूल-पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। चूंकि उनके द्वारा फूलों-पत्तियों का ही इस्तेमाल कर इसे तैयार किए गया है, इसलिए बाबा विश्वनाथ न्यास की तरफ से स्पेशल रूप से इसकी मांग की गई है। कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें बाबा विश्वनाथ का करीब से दर्शन करने का मौका मिलेगा और उनके हाथ से चढाया हुआ रंग-गुलाल बाबा विश्वनाथ पर चढ़ाया जाएगा। बताया कि फिलहाल कुछ आठ महिलाओं की टीम जा रही है।