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Sonbhadra News: ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ी दो महिलाओं को 5-5 वर्ष की कठोर कैद, चचेरी बहनों के अपहरण के लिए पाया गया दोषी, 9 साल पुराने मामले में आया फैसला :
Sonbhadra News: चचेरी बहनों को अगवा कर, उन्हें मथुरा ले जाकर बेच दिए जाने के मामले में दो महिलाओं को 5-5 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है।
Sonbhadra Babhani Thana News (Image From Social Media)
Sonbhadra News:चचेरी बहनों को अगवा कर, उन्हें मथुरा ले जाकर बेच दिए जाने के मामले में दो महिलाओं को 5-5 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। प्रकरण बभनी थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई की। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों, अधिवक्ताओं की दलीलों, गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों के आधार पर धारा-363, 366 आईपीसी के तहत दोषसिद्ध पाया गया और दोषी पाई गई लीलावती तथा उर्मिला को 5-5 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई। 20-20 हजार के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने की दशा में अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश दिया गया।
क्या है मामला
घटना वर्ष 2016 की है। चचेरी बहनों के लापता होने पर एक पीड़िता के पिता की तरफ से बभनी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। विवेचना के दौरान पुलिस ने मानव तस्करी और दुष्कर्म का मामला पाया। प्रकरण में दोषी पाई गई दोनों महिलाओं के साथ ही अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 363, 366, 370 376 आईपीसी और पाक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में चार्जशीट प्रेषित की गई। सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों और दी गई दलीलों के आधार पर धारा 363, 366 आईपीसी के तहत चचेरी बहनों का अपहरण कर बेचने की आरोपी लीलावती पुत्री रामलाल खरवार, निवासी घघरा, थाना बभनी और उर्मिला गुप्ता पत्नी स्व. श्याम बिहारी गुप्ता निवासी चैनपुरा, थाना बभनी को दोषी पाया गया। सेठ आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत न पाए जाने पर उन्हें बरी कर दिया गया।
-- अभियोजन और पक्ष की यह थी दलील :
अभियोजन की तरफ से तर्क दिया गया कि लीलावती और उर्मिला चचेरी बहनों का व्यपहरण करके मथुरा ले गई और वहां दुर्व्यापार कर शारीरिक शोषण कराया गया। साथ बलात्कार किया गया। वहीं, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि कोई व्यपहरण नहीं किया गया न ही कोई बलात्कार किया गया। अभियोजन की ओर से परीक्षित कराए
गए तथ्य से जुड़े गवाह ने अभियोजन कथानक का समर्थन नहीं किया है।
-- इस-इस अपराध के लिए पाया गया दोषी :
न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क सुने। पत्रावली पर उपलब्ध मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्यों का अवलोकन और परिशीलन किया। इसके आधार पर लीलावती और उर्मिला गुप्ता को धारा 363 आईपीसी के अपराध के लिए तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास, 10-10 हजार अर्थदंड, धारा 366 आईपीसी के अपराध के लिए पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास तथा 10-10 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अर्थदंड जमा होने के बाद 40 हजार में से 30 हजार पीड़िता को प्रदान किए जाएंगे । पीड़िता के पुनर्वास के लिए यह प्रतिकर पर्याप्त न होने के कारण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रतिकर की धनराशि तय कर पीड़िता को प्रदान किए जाने के लिए कहा गया।