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Sonbhadra: NTPC के विस्थापित परिवारों की UPPCL ने अचानक काट दी बिजली, घंटों हंगामा
Sonbhadra News: एनटीपीसी की शक्तिनगर स्थित मदर यूनिट की स्थापना के समय विस्थापितों को चिल्काटांड ग्राम पंचायत के निमियाटांड़, रानी बारी, दिया पहरी और परसवार राजा में बसाया गया था।
Sonbhadra News: एनटीपीसी के सैकड़ों विस्थापित परिवारों की यूपीपीसीएल द्वारा अचानक बिजली काट दिए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। इससे खफा विस्थापितों ने जहां घंटों हंगामा किया। वहीं, शक्तिनगर थाने का घेराव कर भी नाराजगी जताई। हालात को देखते हुए, यूपीपीसीएल की तरफ से आपूर्ति बहाल की गई तब जाकर हंगामे की बनी स्थिति शांत हो पाई। बुधवार को इस मसले को लेकर देर तक बैठक भी चली लेकिन एनटीपीसी और यूपीपीसीएल की तरफ से अलग-अलग तर्क रखे जाने से कोई नतीजा नहीं निकल पाया। स्थिति को देखते हुए एसडीएम दुद्धी ने एक सप्ताह तक आपूर्ति बहाल की स्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। तय किया गया कि इसके बाद बैठक कर, मसले का हल निकाला जाएगा।
बगैर किसी नोटिस के अचानक काटी गई बिजली
बताते चलें कि एनटीपीसी की शक्तिनगर स्थित मदर यूनिट की स्थापना के समय विस्थापितों को चिल्काटांड ग्राम पंचायत के निमियाटांड़, रानी बारी, दिया पहरी और परसवार राजा में बसाया गया था। ग्रामीणों का कहना था कि बसावट के बाद उन्हें एनटीपीसी की तरफ से बिजली सुविधा उपलब्ध कराई गई जिसका उपयोग-उपभोग बगैर कोई शुल्क अदा किए वह अब तक करते आ रहे हैं। बिजली फाल्ट आने या फिर खंभे-ट्रांसफार्मर की जरूरत पड़ने पर एनटीपीसी प्रबंधन की तरफ से ही इसकी पूर्ति की जाती रही है लेकिन अचानक से यूपीपीसीएल की तरफ से मंगलवार को बगैर किसी नोटिस-सूचना के सैकड़ों विस्थापितों को बिजली यह कहते हुए काट दी गई कि वह यूपीपीसीएल की बिजली का उपभोग कर रहे हैं। बिजली बिल की अदायगी के बाद ही उन्हें बिजली जलाने दी जाएगी।
हंगामा मचाते हुए सैकड़ों लोग पहुंचे थाने तो फूलने लगे हाथ-पांव
अचानक से बगैर किसी नोटिस के बिजली काटने की बात जब ग्रामीणों को पता चली तो उन्होंने पहले एनटीपीसी मानव संसाधन और यूपीपीसीएल वितरण खंड के अफसरों से इसको लेकर आपत्ति जताई। कोई राहत न मिलती देख शक्तिनगर थाने पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया। थाने की घेराव की स्थिति की जानकारी जब यूपीपीसीएल और एनटीपीसी के अफसरों को मिली तो उनके हाथ-पांव फूलने लगे। पुलिस की तरफ से भी अचानक से स्थिति बिगाड़ने को लेकर कड़ा हस्तक्षेप किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, आनन-फानन में रात 12 बजे आपूर्ति बहाल कर दी गई। इसके बाद ग्रामीण थाने से वापस चले गए लेकिन प्रकरण को लेकर तनाव की स्थिति बनी रही।
ग्रामीणों ने कहा, 1990 से एनटीपीसी संभाल रहा बिजली व्यवस्था
बुधवार को इस मामले की जानकारी विस्थापितों की तरफ से एसडीएम दुद्धी को दी गई। उनकी पहल पर शक्तिनगर में विस्थापितों और एनटीपीसी व यूपीपीसीएल के अफसरों के बीच बैठक कराई गई। ग्रामीणों का कहना था कि वह 1990 से ही बिजली का उपभोग कर रहे हैं। विस्थापन के फलस्वरूप दी गई बिजली पर एनटीपीसी प्रबंधन की तरफ से कभी आपत्ति नहीं जताई गई। खंभोें, ट्रांसफार्मर की जरूरत पूरी करने के साथ ही, बिजली की पूरी व्यवस्था एनटीपीसी प्रबंधन की तरफ से संभाली जाती रही। अब अचानक से एनटीपीसी जहां, गांव में लगे बिजली कनेकसन को यूपीपीसीएल को स्थानांतरित किए जाने की बात कह रहा है। वहीं, यूपीपीसीएल द्वारा बगैर कनेक्सनों के सत्यापन, रि-कनेक्सन, नोटिस/सूचना की प्रक्रिया अपनाए ही बिजली काट दी जा रही है।
एसडीएम ने ली बैठक तो सामने आए तर्क पर तर्क
वहीं, एनटीपीसी के अफसरों का कहना था कि उन्होंने जो बिजली व्यवस्था दी है वह स्ट्रीट लाइटों के लिए है न कि विस्थापितों को उनके घर में जलाने के लिए। वहीं यूपीपीसीएल अफसरों का कहना था कि उनके रिकर्ड में 300 कनेक्सन विस्थापित कालोनी में चल रहे हैं। बिजली बिल न जमा किए जाने के कारण बिजली काटी गई। वहीं, ग्रामीणों का कहना था कि आखिरकार एनटीपीसी ने इस पर मसले पर कोई आपत्ति इससे पहले क्यूं नहीं दर्ज कराई। अगर विस्थापितों के घरों में बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल को सौंपी गई तो उन्हें कोई सूचना क्यूं नहीं दी गई?।
ग्रामीणों का यह भी सवाल था कि जब उन्होंने यूपीपीसीएल के यहां कनेक्सन के लिए न कभी आवेदन किया न कभी कनेक्सन देने की मांग की, न ही एनटीपीसी के यहां ही कनेक्सन देने के लिए कोई प्रक्रिया अपनाई गई फिर किस आधार पर 300 परिवारों को कनेक्सन में सूचीबद्ध कर बिजली बिल की गणना शुरू की गई। अजीबोगरीब तर्क और मामले का कोई नतीजा न देख फिलहाल एसडीएम ने एक सप्ताह तक यथास्थिति रखने के लिए निर्देशित किया और मामले को लेकर एक सप्ताह बाद दोबारा बैठक कर निर्णय पर पहुंचने की बात कही गई।